जाट आरक्षण आंदोलन में दर्ज पहला केस हुआ रद्द, हाईकोर्ट ने निचली अदालतों के आदेश को पलटा

punjabkesari.in Sunday, Apr 10, 2022 - 01:47 PM (IST)

 

झज्जर (प्रवीण धनखड़): करीब 6 साल पहले जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज पहले मुकदमे में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने निचली अदालतों के आदेशों को रद्द करते हुए जाट नेताओं को राहत दी है। किसान नेता रमेश दलाल की याचिका को स्वीकार कर लिया गया है और इस फैसले को भविष्य में प्रतिपादित करने के लिए भी इसे रिपोर्टेबल करने के आदेश भी जारी किए गए हैं। साथ ही कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की है कि जाट आरक्षण आंदोलन शांतिपूर्ण था और जाट समाज ने ही आंदोलन के समापन के बाद समाज में शांति कायम की है।

जाट समाज के लोगों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए अदालत का आभार जताया। साथ ही सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। न्यायधीश सुरेश्वर ठाकुर द्वारा पारित आदेश हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हो गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि जाट आरक्षण आंदोलन सापला में शांति पूर्वक चला और शांतिपूर्वक समाप्त हुआ। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण की मांग के लिए यहां सिर्फ रोड जाम हुआ था और किसी प्रकार के सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया गया था। इसीलिए जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज किया गया पहला केस रद्द हो गया है।

दरअसल 15 फरवरी 2016 को जाट आरक्षण आंदोलन की शुरुआत में सापला के सर छोटू राम संग्रहालय में सर्व खाप पंचायत के बाद दलाल खाप की अगुवाई में दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाया गया था। इस मामले में सापला थाने में राष्ट्रीय किसान नेता रमेश दलाल, पप्पू दलाल, संजय दलाल , कैप्टन मानसिंह बुल्लड़ पहलवान, प्रदीप देशवाल, देवेंद्र सापला, चिंटू प्रधान अनिल प्रधान, मनोज दूहन और सुदीप कलकल आदि के विरुद्ध दंगे और राष्ट्रीय राजमार्ग को बलपूर्वक रोकने जैसी विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ था।

सरकार ने जाट समाज के साथ हुए समझौते के आधार पर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के माध्यम से सीआरपीसी की धारा 321 के तहत केस वापसी की पहल की थी। लेकिन निचली अदालतों ने इसे अस्वीकार कर दिया था। जिसके विरुद्ध रमेश दलाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। लंबी लड़ाई के बाद यह फैसला आया है और अब यह केस रद्द कर दिया गया है। पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए रमेश दलाल समेत व कई अन्य जाट नेताओं ने अदालत का आभार जताया। लेकिन उन्होंने सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। रमेश दलाल का कहना है कि सरकार ने इस मामले में आगे ठीक ढंग से पैरवी नहीं की।

उन्होंने खुद के दम पर यह केस लड़ा और जीत हासिल की। रमेश दलाल का कहना है कि इस फैसले का सकारात्मक प्रभाव जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए सभी विचाराधीन मुकदमों पर भी पड़ेगा और महज रोड जाम कर शांतिपूर्वक अपना अधिकार मांगने वाले युवाओं को राहत मिलेगी।


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Content Writer

Isha

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