वहील चेयर से मिनिस्टर की चेयर पर मेरी आत्मशक्ति, परिवार की मेहनत ने मुझे पहुंचा दिया :संदीप सिंह

punjabkesari.in Tuesday, Aug 24, 2021 - 03:15 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी): प्रदेश के खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह का जीवन बेहद उपलब्धियों से भरा है। साधारण किसान परिवार में जन्मे संदीप सिंह के जीवन की गहराई को अगर देखें तो शायद यकीन कर पाना भी बेहद मुश्किल है कि आखिर इस दौर से भी गुजरे हैं  खेल मंत्री संदीप सिंह। क्योंकि जो दुर्घटना 2006 में उनके साथ घटी  तो उसके बाद जीवन भर खेलना तो दूर की बात चलना भी परमात्मा की रहमत मानी जाएगी। 2006 में उनकी रीड की हड्डी में गोली लग जाने के कारणउन्हें पैरालाइसिस हो गया था।

उनके लिवर और किडनी बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। लेकिन दृढ़ संकल्प शक्ति और हिंदुस्तान के लिए खेलने का जुनून सर पर इतना हावी था कि इतनी बड़ी दुर्घटना के  बावजूद हिंदुस्तान की हॉकी टीम के कप्तान बनना, 2012 ओलंपिक में देश के लिए महत्वपूर्ण 5 गोल करना, बेहतरीन प्रदर्शन के कारण भारत सरकार द्वारा अर्जुन अवार्ड से सम्मानित करना और फिर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए मंत्री की कुर्सी पर विराजमान होना एक सपने से ज्यादा नहीं लगता। लेकिन यह सपना साकार हुआ है।

जीवन के संघर्ष की इस जर्नी को चरितार्थ करने के लिए प्रदेश के मंत्री संदीप सिंह पर पहले सूरमा मूवी बनाई गई थी। लेकिन 2010 से 2021 तक का सफर यानि मंत्री पद की उपलब्धि हासिल करने तक का सफर चरितार्थ करने के लिए अब सिंह सूरमा नामक मूवी तैयार करने पर काम किया जा रहा है। जोकि 2023 में रिलीज होगी। सोशल मीडिया पर सिंह सूरमा का पोस्ट नजर आते ही खेलमंत्री के दस हजार चेहतों ने कुछ ही देर में इस पोस्ट को लाइक और कमेंट किए। जिसके बाद से मूवी की पूरी टीम के हौसले काफी बुलंद है। इस बारेे में पंजाब केसरी ने खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह से खास मुलाकात की। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रशन:- सिंह सूरमा फिल्म किस थीम पर आधारित है और फिल्म का लक्ष्य क्या है ?
उत्तर:-
2018 में पहली मूवी सूरमा आई थी। उसमें मेरी जर्नी की कहानी थी। उसमें 2006 से पहले वह 2010 में जो मुझे अर्जुन अवार्ड मिला, वह सारी मेरी जर्नी इसमें दिखाई गई थी। लेकिन जिंदगी के सफर में बहुत कुछ रह गया था। बहुत सी चीजें-बहुत सी बातें ऐसी रह गई जो मुझे लगता है कि युवाओं को बताने की जरूरत है। युवा वर्ग को जीवन में लगता है, उनका हौसला टूट जाता है कि मुझे गोल नहीं मिल रहा। अगर मिल भी रहा है तो मैं इसमें कामयाबी कैसे हासिल करूं ? पहली मूवी में भी हमारा लक्ष्य बच्चों को इंस्पायर करने का था। सिंह सूरमा को लाने का मकसद भी हमारा केवल यही है कि बच्चे अपने उद्देश्य को निर्धारित करें और उसे प्राप्त करें।

प्रशन:- 2006 में आपका एक तरह से पुनर्जन्म हुआ। उसके बारे में कुछ बताएं ?|
उत्तर:-
मैं टीम इंडिया हॉकी का सदस्य था और हमारी टीम ने 27 अगस्त 2006 को दिल्ली से जर्मनी के लिए फ्लाइट मे वर्ल्ड कप जर्मनी खेलने के लिए जाना था। 1 दिन पहले मैं अंबाला से दिल्ली के लिए  कालका एक्सप्रेस ट्रेन में बैठा था। मेरी सीट के पीछे एक आरपीएफ के एएसआई थे। उनसे गोली चल गई। उन्होंने बयान यही दिया कि गलती से यह घटना घटी है। यह गोली सीधा मेरी रीड की हड्डी में लगी और मौके पर ही मुझे पैरालाइसिस हो गया। 19-20 वर्ष की उम्र थी। यह मेरा जीवन का सबसे कीमती समय था। चिकित्सकों ने साफ कह दिया था कि यह न तो कभी चल पाएगा और ना ही कभी खेल पाएगा। डेढ़-दो साल बाद मैं फील्ड में दोबारा लौटा और बहुत मेहनत की। बहुत संघर्ष किया और वहील चेयर से मिनिस्टर की चेयर पर परिवार की मेहनत और लोगों की दुआओं ने मुझे पहुंचा दिया।


प्रशन:- इस मुश्किल घड़ी में आपका सहायक आखिर कौन बना ?
उत्तर:-
2006 में जब यह घटना घटी तो चिकित्सकों की बातों से एक बार तो परिवार बहुत मायूस हो गया था। चिकित्सकों ने कह दिया था कि यह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाएगा। उसके बावजूद खेलना और टीम इंडिया का कप्तान बनना और फिर अर्जुन अवार्ड समेत कई अवार्ड मिले। आज चाहे हाईएस्ट स्पीड की बात हो, हाईएस्ट गोल की बात हो या हाईएस्ट गोल स्कोर इन द वर्ल्ड के रिकॉर्ड की बात हो मेरे नाम पर हैं। मैंने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। लेकिन घटनाओं से आप सीखते क्या हैं और मुश्किलों का सामना कैसे करते हैं ? यह बड़ी बात है और यही बात मैं सभी तक पहुंचाना चाहता हूं।


प्रशन:- 2010 से 2021 तक के सफर में आप राजनीति में आए। प्रेरणा कहां से मिली ?
उत्तर:-
सारी चीजें मैं अभी नहीं बता सकता। लेकिन जो चीजों की कमी हमारे समय में रही, वह अगले बच्चों को फेस न करनी पड़े, ऐसी मेरी सोच है।

 

प्रशन:- क्या इस फिल्म में आप किसी महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आएंगे ?
उत्तर:-
मैं पिछली फिल्म में भी नहीं था और इस फिल्म में भी नहीं रहूंगा। जिसका काम उसी को साजे। जो एक्टर हैं उनमें से ही चूज़ किया जाएगा। कोई भी स्टार लिया जा सकता है। अभी तो स्टोरी और डायरेक्टर पर काम हो रहा है।

प्रशन:- 2010 में आपने महत्वपूर्ण पांच गोल किए थे। जबकि चिकित्सकों द्वारा मायूसी दी गई थी ?
उत्तर:-
मेन मकसद मेरा खेलना था और दुर्घटना के कारण बेड पर आ गया। फिर बेड से सीधा रिकवर किया और मैदान में आ गया। यह भगवान की दुआएं थी कि पहले से बेहतर खेला। बहुत बड़ा चैलेंज था और उस चैलेंज को कैसे फेस करना है ? यही इस मूवी में दिखाया जाएगा।

 प्रशन:-  इस उपलब्धि को मनोबल मानते हो या लोगों की दुआएं ?
उत्तर:-
दोनों चीजें साथ साथ चलती हैं। मनोबल हर किसी में होता है। लेकिन उसे आप बाहर प्रैक्टिकल कैसे निकालते हैं, यह बड़ी बात है। दुआओं के बिना मुझे नहीं लगता कि कोई तरक्की कर सकता है।

 

 

 


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Content Writer

Isha

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