पेपर लीक मामले पर गीता ने सरकार को घेरा, बोली- यह बेरोजगार युवाओं को नौकरी देना ही नहीं चाहते

punjabkesari.in Thursday, Aug 26, 2021 - 08:56 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हाल ही में पेपर लीक मामले के बाद पूरा का पूरा विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिशों में लगा है। जहां सदन में यह मामला सबसे सुर्खियों में रहा, वहीं अब विपक्ष के नेता इस मामले में सदन के बाहर भी सरकार को कटघरे में खड़े कर रहे हैं। पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि नकल रोकने पर कानून की आवश्यकता आखिर क्यों पड़ी ? यह सरकार का फेलियर है। बेरोजगार युवाओं के साथ बहुत बड़ा मजाक किया जा रहा है। इनकी नियत पर शक होने लगा है कि यह बेरोजगार युवाओं को नौकरी देना ही नहीं चाहते। ऐसे समय में जब कोरोना का दंश पूरे प्रदेश ने झेला। 

उन्होंने कहा कि काम कर रहे युवा बेरोजगार हो गए। बड़ी बड़ी इंडस्ट्री बंद हो गई। ऐसे में युवा वर्ग बड़ी उम्मीदों से नौकरियों की तरफ देख रहा था। मुख्यमंत्री इसे बहुत छोटे से आंकड़े बताते हैं। लेकिन सच यह है कि 28 के करीब पेपर लीक हो चुके हैं। मेल कॉन्स्टेबल में कई लाख बच्चों ने पेपर दिए। अगले दिन पेपर कैंसिल हुआ। मुझे लगता है कि सरकार को इस मामले पर कड़ा संज्ञान लेना चाहिए था। कानून तो पहले भी हैं। गृह मंत्री ने इसमें सीबीआई की जांच की मांग की है और हमारे नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी यही मांग की थी। कानून लेकर आना अच्छी बात है। लेकिन मुझे लगता है कि इसमें थोड़ी जल्दबाजी की गई है।

गीता भुक्कल ने कहा कि परिवार पहचान पत्र अथॉरिटी का गठन जिसमें मुख्यमंत्री खुद चेयरमैन और बहुत से ब्यूरोक्रेट इसके उपचेयरमैन और मेंबर बने हैं। जब केंद्र सरकार ने हमें आधार कार्ड दिया हुआ है। हमारे पास वोटर आईडी कार्ड जैसी 10 आईडी पहले से हैं तो फिर परिवार पहचान पत्र की आवश्यकता क्या है ? सदन में हमने यह पूछा कि परिवार की जानकारी क्यों चाहिए और इस बिल में परिवार की परिभाषा कि परिवार में सदस्य आखिर कौन कौन होंगे, यह भी नहीं लिखी गई। 

परिवार के जो लोग बेरोजगार हैं उनके बारे में भी साफ नहीं दिया गया। आपदा को अवसर में बदलने का नारा देने वाले यह बताएं कि कोरोना में बहुत से लोग जान गवा चुके हैं। बच्चे अनाथ हो गए। यह कॉपी किताबें नहीं दे पा रहे। आईपैड, स्मार्टफोन नहीं दे पाए। हमारे मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर नहीं है। यह राशन नहीं दे पा रहे। सरकार को फालतू की चीजों की बजाय इन चीजों की तरफ ध्यान देना चाहिए था। सरकार को अपने मेनिफेस्टो में किए वायदों की तरफ ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि 12 सितंबर को कुछ नगर पालिका के उपचुनाव होने हैं और इसी दिन हरियाणा सिविल सर्विस के पेपर भी होने हैं, लेकिन वोट का अधिकार बच्चों को भी मिलना चाहिए। इसलिए सरकार को चाहिए कि चुनाव के दिन की तारीख आगे पीछे कर लेनी चाहिए। क्योंकि पेपर के तारीख तो पहले भी दो बार पोस्टपोन की जा चुकी है। सरकार को इस और संज्ञान लेना चाहिए। वोट देना एक मौलिक अधिकार है और सभी को इसका इस्तेमाल करने का अधिकार मिलना चाहिए। पूर्व शिक्षा मंत्री ने शिक्षा मंत्री कवर पाल गुर्जर पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि उनसे सदन में कई बातें पूछी गई लेकिन उन्हें अपने विभाग की ही जानकारी नहीं है। 

आरोही मॉडल स्कूल को मॉडल संस्कृति स्कूल में मर्ज कर दिया गया। यह स्कूल पूरे देश भर में खोले गए स्कूल है। जिनके कैडर अलग हैं। भर्ती अलग है और उन्होंने कहा था कि जिन की 5 साल की भर्ती पूरी हो जाएगी उन्हें रेगुलर कर दिया जाएगा। लेकिन उल्टा नए बायलॉज बनाकर उन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर ले जा रहे हैं। जिनकी डायरेक्ट रेगुलर भर्ती होनी चाहिए थी। उनके साथ ऐसा किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह कह रहे हैं कि तीन लाख बच्चे सरकारी स्कूलों में इस बार ज्यादा भर्ती हुए। लेकिन मैं बता दूं कि यह बच्चे इनकी अच्छी नीतियों के कारण नहीं बल्कि मजबूरी वश सरकारी स्कूलों में क्योंकि कोरोना के कारण बहुत इंडस्ट्री बंद हुई और लोग बेरोजगार हुए। जिसके चलते वह प्राइवेट स्कूलों की भारी-भरकम फीस नहीं भर पा रहे थे। इसलिए उन्होंने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में डाला है।

इसके साथ गीता भुक्कल ने कहा कि सरकार द्वारा अब तक भी बच्चों को किताबें नहीं दी गई। जब पूछा गया तो इनके पास जवाब नहीं था। क्योंकि जब तक हाई पावर परचेज कमेटी ने बुक्स छुपाने की कोई आर्डर ही नहीं प्लेस किया तो जो भिवानी बोर्ड बुक छुपाता था या ओपन मार्केट में टेंडर होता था जब किताबें छपी ही नहीं तो अगर बच्चों के खातों में पैसे डाल भी देंगे तो वह किताबें कहां से लेंगे। क्योंकि छोटे बच्चों की किताबे तो एक्सचेंज लायक भी नहीं होती। भुक्कल ने कहा कि हम बच्चों की शिक्षा पर राजनीति नहीं करना चाहते। लेकिन सरकार को अलर्ट करना चाहते हैं कि सरकार शिक्षा का भट्ठा न बिठाए। आज हायर एजुकेशन काउंसिल की स्थिति भी बहुत बुरी है। 

यूनिवर्सिटियों में चांसलर और मेडिकल यूनिवर्सिटी में डॉक्टर नहीं है। प्रदेश की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। हमारे पास जेबीटी एचटेट पास किए हुए और अतिथि अध्यापकों ने जिनके सर्विस रूल्स नहीं बने उन्होंने खून से लिखा पत्र भेजा। आज एक लाख से अधिक ऐसे नौजवान घूम रहे हैं। 7 साल की एचटेट की सीमा समाप्त हो गई है। कांग्रेस राज की भर्ती के बाद इन्होंने एक भी भर्ती नहीं निकाली। सभी विभागों में बहुत सी पोस्ट खाली है। जगबीर मलिक के एक प्रशन पर इन्होंने सेशन में उत्तर दिया कि 12-13 हजार नौकरियां दी गई जो भी यह रेगुलर भर्तियां निकाल रहे हैं सभी के सभी पेपर लीक हो रहे हैं।सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। कहीं डिप्रेशन की वजह से हमारा युवा नशे की चपेट में न आ जाए या प्रदेश में क्राइम न बढ़ जाए। यह एक गंभीर समस्या है सरकार को प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा रोजगार के साधन देने चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है।
 

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Content Writer

vinod kumar

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