हरियाणा के पुरुष और महिला मुक्केबाज काे मिला ओलंपिक का टिकट, होली से पहले घर में खुशी

punjabkesari.in Monday, Mar 09, 2020 - 12:05 PM (IST)

भिवानी: टोक्यो ओलंपिक 2020 में एक बार फिर हरियाणा के भिवानी जिला के मुक्केबाजों का दम दिखेगा। यहां के पुरुष वर्ग में विकास कृष्ण यादव ने 69 किलो और महिला वर्ग में पूजा बोहरा ने 75 किलो भार वर्ग में क्वालीफाई कर लिया है। पिछले लगातार चार ओलंपिक में जिला के मुक्केबाजों ने ओलंपिक में क्वालीफाई किया है। 2008 ओलंपिक में भिवानी के मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

पिछले तीन ओलंपिक में भिवानी के मुक्केबाज विकास यादव ने ओलंपिक में दम दिखाया मगर पदक नहीं जीत सके। इस बार भिवानी के दो मुक्केबाज ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं। जबकि साक्षी भी अपना पहला मुकाबला जीत कर क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुकी है और ओलंपिक क्वालीफाई करने से एक कदम दूर है।

एशिया ओसनिया ओलंपिक क्वालीफायर महिला वर्ग के 75 किलो भार वर्ग में जैसे ही भारतीय मुक्केबाज पूजा बोहरा ने थाईलैंड की मुक्केबाज पोर्निपा को हराया पूरे देश के साथ परिजन भी खुशी में झूमे उठे। बधाई देने वालों का घर पर तांता लग गया। मुक्केबाज पूजा ने परिजनों के विरोध के बावजूद ओलंपिक तक का सफर तय किया।

कभी बेटी की मुक्केबाजी करने का विरोध करने वाले परिजन खुशी से सराबोर नजर आए और एक ही बात कही कि अब बेटी ओलंपिक में भी मेडल जीतेगी। एसआई पिता राजबीर सिंह बेटी की जीत से इतने उत्साहित नजर आए कि कहने लगे, अब पूजा की तरह दोहती दीपांशी को भी बड़ा मुक्केबाज बनाएंगे।

भिवानी में महिला मुक्केबाजों की आदर्श अनुभवी खिलाड़ी पूजा बोहरा ने एशिया ओसनिया ओलंपिक क्वालीफायर के 75 किलो भार वर्ग में थाईलैंड की युवा मुक्केबाज को एकतरफा मुकाबले में 5-0 से हराकर साबित कर दिया कि अनुभव भी बड़ी चीज है। बेटी की जीत से परिवार के सदस्य उत्साहित हैं। इस जीत के साथ पूजा ने ओलंपिक का टिकट पक्का कर दिया है और वह ओलंपिक क्वालीफाई करने वाली मैरीकॉम के बाद दूसरी महिला मुक्केबाज है।

पूजा के खेल करियर की शुरूआत भी विरोध के साथ हुई। नीमड़ीवाली गांव में जन्मी में पूजा के पिता राजबीर सिंह फिलहाल हरियाणा पुलिस में एसआई है। ग्रामीण क्षेत्र में लड़कियों के खेलने का पहले ही विरोध होता था। पूजा ने भी जब मुक्केबाजी चुनी तो परिजनों ने विरोध किया। पूजा जब आदर्श कॉलेज में पढ़ती थी तो उसे शिक्षिका मुकेश रानी का साथ मिला।

पूजा ने मुक्केबाज बनने की अपनी इच्छा शिक्षिका मुकेश के सामने रखी तो मुकेश रानी ने अपनी पति मुक्केबाजी कोच संजय से बात की। यहीं से पूजा का सफर शुरू हुआ। पूजा के परिजन मुक्केबाजी का विरोध करते और पूजा शिक्षिका से मिलने के बहाने मुक्केबाजी सीखने जाती। जब पूजा ने अपने मुक्कों के दम पर पदक जीतना शुरू किया तो परिजन भी साथ देने लगे।


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Edited By

vinod kumar

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