डायबिटिक रेटिनोपैथी के टेस्ट की तैयारी में हरियाणा स्वास्थ्य विभाग, 8 घंटे की जगह लगेंगे मात्र 2 मिनट

punjabkesari.in Friday, Nov 05, 2021 - 07:19 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): डायबिटीज एक ऐसी बीमारी जिसे आम भाषा में दीमक भी कहा जाता है, जो शरीर के हर भाग पर अपना दुष्प्रभाव डालती है। डायबिटीज के कारण बहुत से लोग दृष्टि विहीन तक हो जाते हैं। डायबिटीक विशेषज्ञों के मुताबिक इस बीमारी का पता लगने पर सबसे पहले आंखों की पुतली की जांच के साथ-साथ किडनी का टेस्ट करवाया जाना चाहिए। डायबिटिक पेशेंट को अपनी आंखों का डायबिटिक रेटिनोपैथी का चेकअप करवाना पड़ता है, जिसमें आंख की पुतली को फुलाने के लिए डायलेट किया जाता है। जिसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं और 6 से 8 घंटे तक का समय लगता है। अब ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फंडस इमेजिंग के जरिए टेस्ट करवाने के लिए आंख की पुतली नहीं फुलानी पड़ेगी और यह 2 मिनट में ही हो जाएगा। इस कारण से मरीज पर भी इसका कोई नुकसान नहीं होगा, जल्द ही प्रदेश के सभी 22 अस्पतालों में यह मशीनें उपलब्ध हो जाएंगी।

इस बारे में जानकारी देते हुए नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जगदीप सिंह ने बताया कि खास तौर पर शुगर के लंबे समय से मरीज या फिर 40 से अधिक उम्र के लोगों को फंड्स साल में कम से कम एक बार चेक अवश्य करवाना चाहिए, क्योंकि शुगर का असर धीरे-धीरे रेटिना पर आ जाता है, जिसका समय पर ही इलाज संभव है। सबसे पहले मरीज को शुगर पर कंट्रोल करना चाहिए। लंबे समय से चली आ रही शुगर से शरीर पर तरह-तरह के नुकसान दिखने लगते हैं। खास तौर पर आंखों के पर्दों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। आंखों के धुंधलापन को कम करने के लिए हरियाणा के सभी 22 अस्पतालों में फंड्स कैमरा मैग्नेटिक जिनमें आंखों में दवाई डालकर पुतली फैलाने की जरूरत नहीं होती और हम उसे चेक कर लेते हैं उपलब्ध कराने की विभाग की तैयारी है। जो कि पीजीआई चंडीगढ़ के साथ भी हमारी बातचीत चल रही है। जिससे हम जल्दी टाईअप कर लेंगे, ताकि ऑनलाइन पीजीआई के एक्सपर्ट से भी इसकी जानकारी ले सकें।

जगदीप सिंह ने बताया कि शुगर की वजह से आंखों के पर्दे पर अलग-अलग लेवल पर असर होता है। किसी की आंखों पर बहुत ज्यादा और किसी पर कम असर देखने को मिलता है। धीरे-धीरे यह आंखों को डैमेज करना शुरू कर देती है। आंखों पर खून उतर आता है। मतलब शुगर की वजह से पर्दे खराब हो जाते हैं। इसका केवल एक मात्र इलाज है कि समय पर इसे डिटेक्ट करना। पर्दे पर पर जहां मैकुला होता है, जहां नजर बनती है, उसके डैमेज होने के बाद लेजर से या सर्जरी तक से भी नजर को बचाना मुश्किल हो जाता है। इसीलिए विशेषज्ञ हमेशा समय पर पदों को चेक करवाने की सलाह देते हैं। ताकि समय पर बीमारी का पता लगे और उसका इलाज संभव हो सके। जगदीप सिंह ने बताया कि है एक तरह का सॉफ्टवेयर है। जिसमें डायबिटिक रेटिनोपैथी को आसानी से पकड़कर इमेज ली जा सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर से मरीज की स्थिति का पता चल जाता है। यह पता चल जाता है कि उसे इलाज की जरूरत है या नहीं।
 

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Content Writer

Shivam

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