हरियाणा के गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने चुनावी राजनीति में पुरे किए 31 वर्ष

punjabkesari.in Thursday, May 27, 2021 - 02:47 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : आज से ठीक 31 वर्ष पूर्व 27 मई 1990 को तत्कालीन सातवीं हरियाणा विधानसभा की दो रिक्त सीटों के लिए हुए उपचुनाव में सिरसा जिले के तत्कालीन दरबा कलां हलके से जनता दल के टिकट पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और अम्बाला जिले के कैंट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से अनिल कुमार (विज) विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए थे। उस समय विज की आयु 37 वर्ष थी एवं वह बैंक की नौकरी छोड़कर राजनीति में आये थे। विज वर्तमान में प्रदेश की मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में गृह एवं स्वास्थ्य सहित कुल सात विभागों के कैबिनेट मंत्री हैं। डेढ़ वर्ष पूर्व अक्टूबर, 2019 में हुए 14वीं हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में विज लगातार तीसरी बार और कुल छठी बार अम्बाला कैंट सीट से ही विधायक बने।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने भारतीय चुनाव आयोग से अम्बाला कैंट विधानसभा हलके के आधिकारिक आंकड़े प्राप्त कर उनका अध्ययन करने के बाद बताया कि आज से साढ़े 54 वर्ष पूर्व  संयुक्त पंजाब से अलग होने के बाद जब 1 नवंबर, 1966 को  हरियाणा नया राज्य बना, तो आज तक हुए 13 विधानसभा चुनावों और एक उपचुनाव में अम्बाला कैंट हलके में 7 बार भाजपा (जनता पार्टी और भारतीय जन संघ मिलाकर) और 5 बार कांग्रेस पार्टी ने जीत  हासिल की है जबकि दो बार यहाँ से  निर्दलयी उम्मीदवार जीता है और वह भी विज ही हैं।

सबसे पहले वर्ष 1967 में हुए प्रदेश के पहले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार देव राज आनंद ने भारतीय जन संघ के  पी.नाथ  को हराकर अम्बाला कैंट से पहले विधायक बने। आज तक इस सीट से लगातार छ: बार विधायक बनने का रिकॉर्ड अनिल विज के ही नाम है जो सबसे पहली बार मई, 1990 उपचुनाव में विधायक बने. इस  हलके  से 1987 विधानसभा आम चुनवों में निर्वाचित भाजपा विधायक, सुषमा स्वराज, जो तब  हरियाणा में  जनता दल-भाजपा गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं, अप्रैल,1990 में हरियाणा से राज्य सभा के लिए निर्वाचित होने के बाद इस सीट से त्यागपत्र दे दिया था जिसके फलस्वरूप करवाए गए उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर विज ने अपने राजनीतिक जीवन  का पहला चुनाव लड़ा और विजयी रहे। हालांकि इसके मात्र एक वर्ष के  भीतर ही अप्रैल 1991 में सातवीं हरियाणा विधानसभा समयपूर्व भंग कर दी गयी एवं जून,1991 हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में विज भाजपा के टिकट पर दूसरी बार  यहाँ से विजयी नहीं रह पाए थे।

इसके कुछ वर्षों बाद विज ने भाजपा छोड़ दी एवं अप्रैल,1996 और फरवरी, 2000 अर्थात लगातार दो हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में निर्दलयी उम्मीदवार  के तौर पर चुनाव लड़ते हुए वह लगातार दो बार अम्बाला कैंट से विधायक बने।हालांकि वर्ष 2005 विधानसभा आम चुनावों में विज मात्र 615 वोटों से अपनी हैट्रिक बनाने से चूक गए। इसके बाद वर्ष 2007 में उन्होंने विकास परिषद के नाम से अपनी अलग राजनीति पार्टी भारतीय चुनाव आयोग से पंजीकृत करवाई हालांकि अक्टूबर, 2009 में 12 वीं हरियाणा विधानसभा आम चुनावों से ठीक पहले वह फिर भाजपा में शामिल हो गए एवं 2009, 2014 और 2019 विधानसभा चुनावों में लगातार तीन बार अर्थात हैट्रिक लगातार अम्बाला कैंट से भाजपा विधायक निर्वाचित हुए। ज्ञात रहे कि इसी सीट से  दो बार भाजपा की दिवंगत वरिष्ठ नेत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज विधायक बनी थी। पहले वर्ष 1977 में जनता पार्टी से और वर्ष 1987 में भाजपा के टिकट पर। इनके अलावा भारतीय जन  संघ ने  यह सीट सर्वप्रथम वर्ष 1968 में जीती जब उसके उसके उम्मीदवार भगवान दास सहगल ने कांग्रेस के देव राज आनंद को पराजित किया। इसके बाद 1972 के चुनावों में कांग्रेस के हंस राज सूरी ने भगवान दास को हराया। तत्पश्चात वर्ष 1982 में कांग्रेस के राम दास धमीजा ने जनता पार्टी के स्वामी अग्निवेश एवं भाजपा के सोम प्रकाश को हराया था।

जहाँ तक पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला का विषय है, तो हेमंत ने बताया कि जब 2 दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने, तो वह तब राज्य सभा सदस्य थे। इस प्रकार उनको छः माह में हरियाणा विधानसभा का सदस्य (विधायक) बनना था जिसके लिए उन्होंने अपने पिता चौधरी देवी लाल द्वारा रिक्त रोहतक ज़िले की महम विधानसभा सीट को चुना। परन्तु महम उपचुनाव में हुई हिंसा के कारण भारतीय चुनाव आयोग को वहां दो बार उपचुनाव रद्द करना पड़ा। जिस कारण चौटाला को 22  मई, 1990 में मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र भी देना पड़ा था और बनारसी दास गुप्ता हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। हालांकि चौटाला को विधानसभा पहुंचाने के लिए सिरसा की तत्कालीन दरबा कलां हलके से जनता दल की विधायक विद्या बेनीवाल ने त्यागपत्र दे दिया था जिसके कारण हुए उपचुनाव में चौटाला वहां से विधायक बने। हालांकि हेमंत ने बताया कि चौटाला सबसे पहली बार 41 वर्ष पूर्व मई 1970 में सिरसा की ऐलनाबाद सीट पर हुए उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए थे जब वहां से तत्कालीन विधायक लाल चंद का चुनाव रद्द कर दिया गया था।

(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Manisha rana

Recommended News

Related News

static