डीजीपी बदलाव के साथ ही पुलिस महकमे में सरगर्मी तेज, अपनी कुर्सी बचाने के लिए अधिकारी लाबिंग में जुटे

punjabkesari.in Monday, Aug 16, 2021 - 10:49 AM (IST)

रेवाड़ी/महेंद्रगढ़ (योगेंद्र सिंह): पुलिस विभाग का मुखिया बदलते ही महकमे में अचानक सरगर्मी बढ़ गई है। मनोज यादव की जगह अब वर्ष 1988 बैच के आईपीएस पीके अग्रवाल जगह लेने जा रहे हैं। यूपी कैडर के अग्रवाल की छवि एवं उनकी कार्यशैली को जानने के लिए अधिकारी एक-दूसरे से संपर्क साधने में जुट गए हैं। पुलिस के नए मुखिया की कार्यशैली के अनुसार अब पुलिस अधीक्षक से लेकर मातहत बदलाव की तैयारी में नजर आने लगे हैं। नए बॉस के कोप का पात्र ना बनें इसके लिए कई अधिकारी लाबिंग में भी जुट गए हैं। अमूनन किसी भी डिपार्टमेंट का मुखिया बदलने के बाद स्थानांतरण का दौर जरूर शुरू होता है और इसी के चलते अब पुलिस महकमें भी ट्रांसफर की सुगबुगाहट तेज हो गई है।

काफी समय से पुलिस महकमें के नए मुखिया को लेकर चर्चाओं और अफवाहों का बाजार गर्म रहता था और अब इस पर दो साल के लिए विराम भी लग गया है। डीजीपी मनोज यादव की जगह लेने वाले पीके अग्रवाल अब प्रदेश पुलिस के नए मुखिया होंगे। मुखिया बदलते ही अब पुलिस महकमें में अधिकारी उनके बारे में जानकारी जुटाने में जुट गए हैं। नए मुखिया की कार्यशैली के अनुसार अपने काम का तरीका बदलने में भी कई अधिकारी अभी से पसीना बहाने लगे हैं। 

प्रदेश में अमन-शांति के साथ ही पुलिस की छवि बेहतर करने के साथ ही असामाजिक तत्वों पर नकेल कसने के लिए अब अग्रवाल की प्लानिंग के अनुसार काम होगा। बेहतर काम करके अग्रवाल भी सरकार को यह बताने का पूरा प्रयास करेंगे कि वह कितने योज्य हैं और पुलिस महकमें को भली-भांति नियंत्रित कर सकते हैं। इसके लिए निश्चित रूप से अग्रवाल अपने कुछ करीबियों को अहम पदों पर तैनात करेंगे ताकि वह बेहतर रिजल्ट दे सकें। 

इसी के चलते कई जिले के पुलिस अधीक्षक अपनी कुर्सी बचाने की कवायद में जुट गए हैं। कुछ तो अग्रवाल की कार्यशैली पता कर अभी से उसके अनुसार काम करने की प्रेक्टिस भी करने लगे हैं। कोशिश है कि जब स्थानांतरण का दौर शुरू हो, तो उनकी कुर्सी पर आंच ना आए। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि अग्रवाल की कसौटी पर कितने अधिकारी खरे उतरते हैं या फिर कितनों की कुर्सी जाएगी।

जिज्ञासाओं का दौर शुरू, कुर्सी बचाने की कवायद
नए मुखिया को लेकर पुलिस अधिकारियों में जिज्ञासाओं का दौर चल रहा है। अपनी कुर्सी बचाने के लिए अधिकारी मुखिया को बारे में सारी जानकारी निकलवा रहे हैं। अपने अन्य अधिकारी, पारिवारिक सदस्यों की मदद से वह मुखिया से संपर्क साधने में जुटे हुए हैं। कुछ खाकीधारी तो खादीधारियों की शरण में भी चले गए हैं ताकि उन पर स्थानांतरण की तलवार से वार ना हो।

अपनी महिला मंडित करने में जुटे अधिकारी
अभी तक मीडिया व जनता से दूर रहने वाले कई अधिकारी अब उनसे नजदीकियां बढ़ाने में लग गए हैं। इसके लिए वह सोशल मीडिया से लेकर कई मीडिया समूह से संपर्क अपने आप को महिमा मंडित कराने से भी नहीं चूक रहे हैं। मीडिया कर्मियों के फोन नहीं उठाने वाले अब खुद फोन कर छोटी सी घटना को खुद बता रहे हैं, तो कई छोटी-छोटी सफलता पर अपनी पीठ थपथपवाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। अपने क्षेत्र व जिले में वह पूरी तरह सफल हैं इसके लिए वह आंकड़ों की कलाकारी भी दिखाने में पीछे नहीं है। खैर यह तो समय ही बताएगा कि इनकी इस कार्यशैली से नए मुखिया संतुष्ट होते हैं या नहीं।

 

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Content Writer

vinod kumar

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