हरियाणा प्रदेश में रिकॉर्ड 74 लाख मीट्रिक टन गेहूं की हुई खरीद : कृषि मंत्री

punjabkesari.in Tuesday, May 26, 2020 - 01:01 PM (IST)

भिवानी(अशोक): हरियाणा प्रदेश के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने भिवानी में पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि हरियाणा प्रदेश में अबकी बार गेहूं की बंपर फसल हुई है तथा 74 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है। जिसकीक कीमत 15 हजार करोड़ रूपये की है। जिसमें से 9 हजार करोड़ रूपये किसानों के खातों में भेजे जा चुके है। वही सरसो की खरीद की ऐवज में भी दो हजार करोड़ रूपये किसानों को भेजे जा चुके हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि अब भी किसानों ने गेहूं व सरसो की फसल खरीदी जा रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश की मंडियो में पिछले डेढ़ माह के दोरान 6 लाख किसान, एक लाख मजदूर व एक लाख व्यापारी पहुंचे, परन्तु उचित प्रबंधन के चलते प्रदेश की मंडियो से एक भी कोरोना का केस नहीं आया है। 

कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने बताया कि प्रदेश सरकार ने मंडियों में बेहतर प्रबंधन करते हुए किसानों की गेहूं व सरसो की फसलों को बाजार भाव मूल्य पर खरीदने का रिकॉर्ड बनाया है। बाजार में गेहूं का मूल्य 1900 रूपये है, जबकि सरकार ने 1925 रूपये प्रति क्विंटल, वही सरकार का मूल्य बाजार में 4350 जबकि सरकार ने 4425 रूपये प्रति क्विंटल खरीदा। पिछले वर्ष जहां गेहूं के लिए 400 मंडियां थी, वहां अबकी बार 1800 मंडियां बनाई गई। सरसो की मंडियां भी 40 से बढ़ाकर 150 की गई।

कृषि मंत्री ने प्रदेश के किसानों से पानी की कमी को देखते हुए आह्वान किया कि जिन खंडों में भूमिगत जलस्तर 45 मीटर से नीचे है, वे किसान यदि धान की खेती नहीं करते है तो उन्हे सात हजार रूपये प्रति एकड़ दिया जाएगा। इसके साथ ही जिन खंडों में भूमिगत जलस्तर 500 से 600 फुट चला गया है, ऐसे प्रदेश के 40 खंडों में टपका विधि उपकरणों पर 100 प्रतिशत तक सब्सिड़ी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भी पीने के पानी व सिंचाई के पानी के लिए दिल खोलकर राज्यों को धन उपलब्ध करवा रही है। कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षो के दौरान दुग्ध उत्पादन प्रति व्यक्ति 800 ग्राम से बढक़र 1087 ग्राम हो गया। दुग्ध उत्पादन में यह बढ़त 28 प्रतिशत हुई है, जो एक रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि किसान धान की खेती की बजाए मक्का, दाल, बागवानी, कपास आदि फसलों को उगाएं तो सरकार उन्हे खरीद की गारंटी भी देगी। कृषि मंत्री परंपरागत खेती की बजाए किसानों से दुग्ध उत्पादन, बागवानी, खाद प्रसंसकरण की तरफ बढऩे का आह्वान भी किया। 

 

 


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Isha

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