नई परंपराओं का साक्षी बन रहा हरियाणा का सदन, विधानसभा के इतिहास में पहली बार शून्यकाल
punjabkesari.in Wednesday, Aug 25, 2021 - 10:23 PM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र समयावधि और कार्य-उत्पादकता दोनों ही दृष्टि से उत्कृष्ट रहा है। सत्र की समाप्ति के अगले दिन बुधवार को विधान सभा सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने इस संबंध में आंकड़े मीडिया के साथ साझा किए। उन्होंने गत 16 वर्षों का तुलनात्मक अध्ययन पत्रकारों के सम्मुख रखा। समयावधि बढ़ाने संबंधी विपक्ष के नेता की मांग का जवाब देते हुए गुप्ता ने कहा कि अच्छा होता कि कांग्रेस के नेता अपने कार्यकाल में स्वस्थ परंपराओं की शुरुआत करते।
आंकड़े गवाह है कि कांग्रेस के शासनकाल में विधान सभा के न तो इतने लंबे सत्र चले और जो औपचारिकता भर चलते थे, उनमें विपक्षी विधायकों को बोलने का इस प्रकार अवसर नहीं दिया जाता था, जैसे अब मिल रहा है। इस दौरान पत्रकारों ने शून्यकाल जैसी नई परंपरा शुरू करने के लिए विधान सभा अध्यक्ष की प्रशंसा भी की।
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने विधान सभा सचिवालय के आंकड़ों के हवाले से बताया कि कांग्रेस के पहले कार्यकाल में 2005 से 2009 तक 12 सत्र हुए थे, जिनमें मात्र 70 बैठकें हुई थीं। कांग्रेस के अगले कार्यकाल में सत्र और सिटिंग दोनों घटाए गए और वर्ष 2009 से 2014 तक 11 विधानसभा सत्रों में मात्र 56 बैठकें हुई थीं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 से विधानसभा के सत्र और बैठकें दोनों बढ़ने शुरू हुईं। 2014 से 2019 तक 13वीं विधानसभा में 15 सत्रों का आयोजन हुआ था, जिनमें 84 सीटिंग रही थीं। नवंबर 2019 में गठित 14वीं विधानसभा के अब तक के 6 सत्रों में कुल 31 बैठकें हुई हैं। 20 अगस्त से शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान तीन बैठकों में 15 घंटे 34 मिनट कार्यवाही चली।
हरियाणा विधानसभा के इतिहास में पहली बार शून्यकाल कार्यसूची का हिस्सा बना है। मानसून सत्र की तीनों बैठकों में शून्यकाल के दौरान 42 विधायकों ने अपनी बात रखी, जिनमें से सबसे ज्यादा अवसर कांग्रेस के विधायकों को दिया गया। शून्यकाल में कांग्रेस के 18, भाजपा के 12, जजपा के 6 और छह निर्दलीय विधायकों को मौका दिया गया। इतना ही नहीं शून्यकाल और विधेयकों पर चर्चा के लिए विपक्षी विधायकों को दोगुना से भी ज्यादा समय दिया गया। इस दौरान सत्ता पक्ष को 107 मिनट, विपक्ष को 217 मिनट और निर्दलीय विधायकों को 22 मिनट का समय दिया। सदन में पारित 11 विधेयकों पर आयोजित विस्तृत चर्चा में 42 विधायकों ने भाग लिया।
मानसून सत्र के लिए विधानसभा सचिवालय को 247 तारांकित और 120 अतारांकित प्रश्न प्राप्त हुए थे, जिनमें से 60 तारांकित और 56 अतारांकित प्रश्न कार्यवाही का हिस्सा बने। इसी प्रकार 5 ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर विस्तृत चर्चा हुई। विधानसभा सचिवालय को 5 स्थगन प्रस्ताव भी प्राप्त हुए थे, जिनमें से 2 को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में परिवर्तित कर दिया गया, जबकि 3 विधायी कारणों से अस्वीकृत करने पड़े।
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