विधानसभा की बिल्डिंग में हरियाणा को हिस्सेदारी मिलना मुश्किल, पंजाब ने दावा किया खारिज

punjabkesari.in Tuesday, May 26, 2020 - 05:35 PM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब द्वारा विधानसभा भवन में 25 सालों से हरियाणा के 20 कमरों पर अपना कब्जा कर रखा है। कब्जा भी ऐसा कि 53 साल बीत जाने के बाद भी वो इन कमरों को लौटाने का नाम नहीं ले रहा। इस संबंध में हरियाणा विधानसभा के स्‍पीकर ज्ञानचंद गुप्‍ता ने पंजाब विधानसभा के अध्‍यक्ष से मुलाकात भी और पत्र लिखा।  हरियाणा के पास फिलहाल 20 हजार वर्ग फीट जगह है, जो आवंटित जगह का 27 फीसदी है। 

अब खबर आ रही है कि हरियाणा को मौजूदा विधानसभा इमारत में अपनी अतिरिक्त हिस्सेदारी नहीं मिलेगी। पंजाब विधानसभा सचिवालय और पंजाब सरकार ने हरियाणा की इस मांग को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।लॉकडाउन के बीच पंजाब द्वारा यह मांग खारिज किए जाने के बाद अब दोनों राज्यों में फिर से यह विवाद बढ़ेगा। इससे पहले पंजाब सरकार द्वारा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में हरियाणा द्वारा मांगी जा रही अपनी हिस्सेदारी का विरोध किया जा चुका है। पंजाब विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। यह रिपोर्ट हरियाणा को सौंपी जाएगी।

13 फीसदी जगह पर पंजाब का कब्जा
पंजाब विधानसभा सचिवालय ने हालांकि कमरे न देने के फैसले को अभी तक हरियाणा विधानसभा सचिवालय को विधिवत रूप से अवगत नहीं कराया है। पंजाब के विभाजन के दौरान पंजाब व हरियाणा विधानसभा को 60-40 के अनुपात में जगह का बंटवारा हुआ था, लेकिन हरियाणा के पास फिलहाल 27 फीसदी जगह ही है। 13 फीसदी जगह पर पंजाब का कब्जा है।

हरियाणा देगा केन्द्र सरकार के पास दस्तक
हरियाणा अब अपना हिस्सा हासिल करने के लिए केंद्र सरकार के पास दस्तक दे सकता है। न्यायपालिका का भी सहारा लिया जा सकता है। विधानसभा में जगह के अभाव का ही नतीजा है कि कोरोना महामारी के इस दौर में हरियाणा को अपनी विधानसभा में मानसून सत्र करने में दिक्कत आ रही है। पहले तो विधानसभा सचिवालय इस सत्र को टालना चाहता था, लेकिन जब स्पीकर ने सभी विधायकों से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये बात की तो उन्होंने मानसून सत्र हर हाल में करने की सलाह दी। इसके बाद विधानसभा स्पीकर पंचकूला में मानसून सत्र आयोजित करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं।

अधिकारियों व कर्मचारियों को बैठने में दिक्कत
हरियाणा विधानसभा में जगह की कमी के चलते अधिकारियों व कर्मचारियों को बैठने में दिक्कत आ रही है। विधानसभा के पास कमरे नहीं हैैं, जिस कारण डिप्टी सीएम और विपक्ष के नेता को आफिस देने के मामले में काफी दिनों तक गफलत की स्थिति बनी रही। 


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Isha

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