हरियाणा: कोरोना गाइडलाइन से गुम हुई शहनाइयां, सूने हुए मैरिज पैलेस

punjabkesari.in Friday, Jan 14, 2022 - 08:46 AM (IST)

अम्बाला : कोरोना की तीसरी लहर के चलते राज्य सरकार ने होटल-रैस्टोरैंट जहां 50 फीसदी क्षमता के साथ खुलने का प्रावधान किया है, वहीं मैरिज पैलेस के लिए अधिकतम 100 मेहमान तय किए गए हैं। मैरिज पैलेस संचालक सरकार के इस फैसले से काफी मायूस हैं। उनका कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में उन्हें भारी नुक्सान झेलना पड़ा था। अब तीसरी लहर में जो नई पाबंदियां लगी हैं उनसे उनका कारोबार बर्बादी के कगार पर पहुंचने लगा है। यदि यही सिलसिला जारी रहा तो प्रदेश के आधे से ज्यादा मैरिज पैलेस बंद हो जाएंगे।

कोरोना की तीसरी लहर का अगले 2 महीनों जनवरी-फरवरी के आलावा अप्रैल-मई में होने वाली शादियों पर संकट मंडराने लगा है। इस साल शादी के शुभ मुहूर्त 50 से अधिक हैं। सरकार ने पाबंदियां लगा दी हैं। इससे बैंडबाजे वालों से लेकर कपड़े वाले, सर्राफ, हलवाई, डी.जे. व फूल वालों समेत सैंकड़ों लोगों की चिंता बढऩे लगी है। हरियाणा में छोटे-बड़े करीब 4,000 मैरिज पैलेस हैं जबकि अम्बाला में इनकी तादाद करीब 60 है जहां इन दिनों शहनाइयों की गूंज की बजाय सन्नाटा पसरा हुआ है।

दरअसल सरकार द्वारा तय 100 मेहमानों के लिए कोई भी व्यक्ति मैरिज पैलेस का मोटा किराया, सजावट व खाने पर लाखों रुपया खर्च करने को तैयार नहीं होगा। उन्हें लगता है कि 100 मेहमान ही लाने हैं तो किसी बड़े होटल का हॉल लिया जा सकता है। कुछ लोगों ने पहले से बुक करवाई अपनी शादियां रद्द कर दी हैं तो कुछ तारीख को आगे बढ़ाने की सोच रहे हैं। कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अम्बाला के साथ लगते पंजाब के मैरिज पैलेसों में जा रहे हैं जहां मैरिज पैलेस की क्षमता के 50 फीसदी मेहमान लाने की इजाजत है। 

अम्बाला मैरिज पैलेस एसोसिएशन के प्रधान कंवलजीत खन्ना का कहना है कि मैरिज पैलेसों में मेहमानों की अधिकतम संख्या 100 करने से इस कारोबार से जुड़े सैंकड़ों लोगों को भारी नुक्सान हो रहा है। कोई भी इतने थोड़े मेहमानों के लिए कई एकड़ में बने मैरिज पैलेस में शादियां नहीं करना चाहेगा। मैरिज पैलेसों की देखरेख में हर महीने लाखों रुपए खर्च होते हैं। जब वहां शादियां नहीं होंगी तो उन्हें बंद करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचेगा। उनका कहना है कि सरकार को मैरिज पैलेस की कुल क्षमता का 50 फीसदी या फिर कम से कम 300 मेहमानों को लाने की इजाजत देनी चाहिए। पंजाब, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश में इसी तरह की छूट है।

एसोसिएशन के सचिव विकास जैन का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के घाटे के बाद अब मुश्किल से थोड़ा-बहुत काम शुरू हुआ कि सरकार ने फिर से कड़ी पाबंदी लगा दी। पिछले साल से होटल, मैरिज पैलेस, रिजोर्ट्स व बैंक्वेट हाल का कारोबार ठप्प पड़ा है। कारोबार बंद होने के बावजूद लगभग 14 महीने से मैरिज पैलेस के संचालक सरकार को हैवी लोड के मुताबिक पावर टैरिफ के फिक्स चार्जेज, वाटर सैनिटेशन चार्ज, प्रॉपर्टी टैक्स, एनुअल एक्साइज फीस, परमिट फीस देनी पड़ रही है। मैरिज पैलेस जी.एस.टी. के जरिए सरकार को हर साल अच्छा-खासा राजस्व भी देते हैं।

एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राकेश गोयल कहते हैं कि जब भी कोरोना का कहर आता है तो सबसे पहले गाज बैंक्वेट हॉलों गिरती है। अब तो हालत यह है कि स्टाफ  को सैलरी भी नहीं दे पा रहे हैं। शादी वालों से जो एडवांस लिया था वह अब खर्च हो गया है। अब वे एडवांस वापस मांग रहे हैं। अम्बाला के एक मैरिज पैलेस के मालिक शावक सेठी का कहना है कि पिछले 2 साल से मैरिज पैलेस वाले भारी परेशानी में हैं। हरियाणा में बुक हुई शादियां पंजाब में न जा पाएं, इसलिए सरकार को कोई रास्ता निकलना चाहिए। उन्होंने कहा इस मामले में वे गृहमंत्री से मिल चुके हंै और जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर भी गुहार लगाएंगे।

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Content Writer

Manisha rana

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