6 साल में हरियाणा ने 30,000 कन्याओं की कोख में की रक्षा, लिंगानुपात का आंकड़ा हुआ 922
punjabkesari.in Wednesday, Jan 13, 2021 - 11:27 AM (IST)
हरियाणा : कोविड-19 के संकट के बावजूद वर्ष 2014 में प्रति 11000 लड़कों पर 871 लड़कियों की तुलना में वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 922 पर पहुंच गया है।गत 6 साल की अवधि में हरियाणा राज्य ने 30,000 कन्याओं के जीवन की कोख में रक्षा की है, जबकि वर्ष 2020 में 8,000 लड़कियों को बचाया गया।
कोविड-19 के के कारण विभिन्न दिकतों के बावजूद उत्कृष्ट उपलब्धि पर सराहना करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सभी जिला उपायुक्तों, स्वास्थ्य, पुलिस, अभियोजन महिलाओं और बाल विकास के सभी विभागों, अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी। भविष्य के लक्ष्यों को सांझा करते हुए मनोहर लाल ने कहा कि हमने 2021 के दौरान 935+ का लिंगानुपात हासिल करने का लक्ष्य रखा है, जो कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लड़ाई जारी रखते हुए पुरा किया जाएगा।
2020 के दौरान कुल 5 ,37,9% जन्म पंजीकृत किए गए
पीएन.डी.टी. अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के जिलेवार विवरणों पर गुप्ता ने कहा कि जिन जिलों में दशकों तक लिंगानुषात 900 से कम था, उनमें से अधिकांश लिगानुपात अब 920+ हो गया है, जबकि राज्य के 22 जिलों में से 20 जिलें में लिंगानुपात 900 या 900+ है। उन्होंने कहा कि सिरसा जिला मैं लिंगानुपात 949 है। उन्होंने कहा कि 2020 के दौरान कुल 5,37,996 जन्म पंजीकृत किए गए, जिनमें 2,79,869 लड़कियां और 2,58,127 लड़के शामिल हैं।
56 वर्षों में 840 से अधिक केस दर्ज किए गए
उन्होंने कहा कि पिछले 6 क्यों में 840 से अधिक एफ.आई.आर. दर्ज की गईं, जिसमें पड़ोसी राज्य यूपी, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड की 225 एफ.आई.आर. शामिल हैं और लगभग 3,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा राज्य सरकार ने एक “मुखबिर प्रोत्साहन योजना" पर की, जिसमें राज्य के किसी भी हिस्से में लिग परीक्षण के बारे में जानकारी वाले मुखबिर को एक लाख का ईनाम दिया गया, जिससे इस अपराध में शामिल अपराधियों के गिरोह का पर्दाफाश करने में मदद मिली।
2020 में कुल 100 प्रायतिकी दर्ज की गई
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. राकेश गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार का मुख्य उददेश्य कन्या भूण हत्या पर रोक लगाना है | कोविड- 19 महामारी ने वर्ष 2020 में एक स्पंज के रूप में काम किया। अभियान ने पिछले साल आगस्त में गति प्राप्त की और 2019 के दौरान 77 की तुलना में क्य 2020 में कुल 100 प्राथमिकी दर्ज की गई।
गुप्ता ने कहा कि राज्य के भीतर और बाहर अवैध पी.एन.डी.टी. और एम.टी.पी. कें दो के खिलाफ पी सी.- पी.एन.डी.टी./एम टी.पी. अधिनियम के तहत नियमित रूप से बड़े पैमाने पर छापे पड़ने के कारण यह संभव हुआ। दिल्ली, पंजाब, यूपी. और राजस्थान में अंतर्राज्यीय छापे के बाद 40 ऐसे मामले पकड़े गए। केवल गाजियाबाद ( उत्तर प्रदेश) में अधिकतम 11 एफ.आई.आर. के साथ अंतर्राज्यीय छापे के बाद 20 से अधिक एफ.आई.आर. दर्ज की गईं।
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