सत्ता के साढ़े 6 सालों में ''दामन'' को ''दाग'' से दूर रखने में कामयाब रहे खट्टर !

punjabkesari.in Monday, Mar 22, 2021 - 10:01 AM (IST)

संजय अरोड़ा: हरियाणा में 2014 में भाजपा पहली बार अपने बूते बहुमत हासिल करने में सफल रही और हाईकमान ने भी सत्ता की बागडोर सियासत में एक नए चेहरे मनोहर लाल खट्टर के हाथों सौंपी और मुख्यमंत्री खट्टर ने तमाम अटकलों और कयासों के साथ साथ 'अपनों' के बीच चले शीतयुद्ध जैसी स्थितियों को परे रखते हुए बेबाकी से सरकार का पूरा कार्यकाल चलाया। 

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अब जबकि 2019 में भाजपा बेशक बहुमत के आंकड़े से नीचे रही और सरकार के गठन के लिए सियासी गठजोड़ और निर्दलीयों का सहारा लिया गया लेकिन करीब साढ़े 6 वर्षों में एक बात साफ रही कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपनी छवि एक ईमानदार, परिपक्व और साफ नीयत के नेता के साथ साथ कुशल राजनेता के रूप में स्थापित करने में कामयाब तो रहे ही वहीं इन साढ़े 6 वर्षों में सबसे अहम बात ये भी रही कि भले ही उनकी सरकार में कई विवादित मामले सामने आए मगर इन मामलों में खुद मुख्यमंत्री पर व्यक्तिगत तौर पर कोई ऐसा आक्षेप नहीं लगा, जिससे विपक्षी दलों को उन्हें निजी तौर पर घेरने का कोई मौका मिला हो। 

विशेष बात यह भी रही कि ऐसा कोई भी मामला सामने आते ही स्वयं सी .एम खट्टर ने कड़ा संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि मनोहर लाल खट्टर को वर्ष 2014 में बहुत सी विकट परिस्थितियों से भी गुजरना पड़ा था, क्योंकि एक तरफ उनके अपने विरोध की लकीर खींच रहे थे तो वहीं विपक्षी दल भी अनुभवहीनता के नारे लगाते रहे। इन सबके बावजूद सी.एम. खट्टर ने बिना विचलित हुए खुद के नए प्रयोगों को अंजाम देकर बहुत सी अवधारणाओं को भी बदलने में अपनी दक्षता के प्रमाण दिए और अब  वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में बहुमत से दूर रहने पर भी पुन: सी.एम. बनने व गठजोड़ के तहत राजधर्म निभाते हुए बखूबी सरकार का संचालन करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। 

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इन साढ़े 6 वर्षों में मुख्यमंत्री के तौर पर मनोहर लाल खट्टर को व्यवस्था परिवर्तन के अपने संकल्प को लेकर कई नई नीतियां बनाते हुए अपनों के ही दबाब को भी दरकिनार करना पड़ा मगर इस दौर में उन्होंने पिछली परम्पराओं से हटकर कुछ ऐसा रास्ता जरूर अख्तियार कर लिया और हर कदम इस कदर संयम व सूझबूझ से उठाया, जो विरोधी दलों के लिए भी भारी परेशानियों का सबब बनता चला गया। यही बड़ी वजह रही कि मनोहर लाल खट्टर अब तक के अपने कार्यकाल में लांछन से अपना बचाव करने में कामयाब रहे हैं।

शांत स्वभाव व कुशल कार्यशैली से पाया चुनौतियों से पार
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में जब भाजपा हाईकमान ने बहुमत हासिल होने के बाद मनोहर लाल खट्टर को बतौर मुख्यमंत्री सत्ता की कमान दी तब भाजपा के कई बड़े नेताओं को धक्का लगा था और विपक्षीदल भी लामबंद होकर मुख्यमंत्री खट्टर के बीच रोड़े अटकाने की कोशिशों में लगे रहे, लेकिन मनोहर लाल खट्टर ने कुर्सी पर बैठते ही पुरानी परम्पराओं से हटकर कई बड़े निर्णय लेकर सभी को हैरत में डाल दिया। उन्होंने जहां प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त करने के इरादे से अपने तेवर साफ किए तो वहीं कई प्रयोग करके उन लोगों को संदेश देने का प्रयास किया जो अनुभव को लेकर मीन मेख अथवा नुक्ता चीनी करते दिखाई देते थे। सी.एम. खट्टर ने परंपरावादी राजनीति से हटकर व्यवस्था परिवर्तन के इरादे से एक नई रेखा खींची जो संभवत: उनकी विरली कार्यशैली के हिस्से के रूप में नजर आई और इसी अंदाज के चलते ही उनकी मजबूत छवि भी दिखाई देती है।

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मुख्यमंत्री खट्टर ने सत्ता के अपने पहले कार्यकाल में अनेक प्रशासनिक और सियासी चुनौतियों से पार पाते हुए अनेक साहसिक फैसले लिए और बिना किसी सियासी नुक्सान की परवाह किए हुए सख्ती के साथ साथ नरमी अपनाते हुए संतुलन बनाए रखा। नौकरियों में पारदर्शी व्यवस्था स्थापित करना, सी.एल.यू. को ऑनलाइन कर भूमाफिया के पर कुतरना, 542 सेवाओं और योजनाओं को ऑनलाइन कर भ्रष्टाचार पर चोट करना इस तरह के तमाम उदाहरण हैं, जो मनोहर लाल खट्टर को एक साहसिक, कठोर और हितकारी कदम लेने वाले नेता के रूप में भी स्थापित करते हैं।

क्रांतिकारी कदमों से नजर आया बदलाव
अपने 5 वर्ष के पहले कार्यकाल में अनेक चुनौतियों के बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अनेक तरह के क्रांतिकारी निर्णय लिए, जिसका  बदलाव भी साफ नजर आया । उन्होंने सी.एम. विंडो स्थापित कर जनमानस को शिकायत करने का एक सरकारी मंच दिया। हरियाणा में 15311 अटल सेवा केंद्र और 117 अंत्योदय सरल केद्र के जरिए 39 विभाओं की 542 सेवाएं ऑनलाइन की। ऐसी व्यवस्था स्थापित होने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा। पहले हरियाणा में सी.एल.यू. यानी चेंज ऑफ लैंड यूज के नाम पर हरियाणा में प्रोपर्टी डीलिंग एक गोरखधंधा बन गया था। सी.एल.यू को मुख्यमंत्री ने ऑनलाइन कर इस गोरखधंधे की दुकान पर ही ताला लगा दिया। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से 75 पार का नारा दिया गया। 

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भाजपा के अनेक दिग्गज चेहरे चुनाव हार गए, लेकिन भाजपा 40 सीटों पर जीत हासिल कर गई और गठबंधन की  सरकार बनाने में कामयाब रही। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत छवि की वजह से ही भाजपा को 40 सीटों पर जीत मिली और इसी फीडबैक के चलते ही हाईकमान ने दूसरी बार भी उन्हें प्रदेश की कमान सौंपी। सरल स्वभाव और कुशल व्यवहार के लिए अपने विरोधियों के बीच मुख्यमंत्री की छवि एक साहसिक फैसले लेने वाले और ईमानदार नेता के रूप में है। 6 वर्ष के दौरान अनेक ऐसे अवसर आए जब उनके करीबियों ने उन्हें कई तरह के फैसले मसलन नौकरियों के मामले में, तबादला नीति आदि को लेकर बदलाव न करने की सलाह दी, पर किसी तरह के सियासी नुक्सान की परवाह किए बिना मनोहर लाल खट्टर ने पारदर्शिता स्थापित करने के लिए बड़े बदलाव किए और अहम फैसले लेते रहे।

भ्रष्ट अधिकारियों पर कसा शिंकजा
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रदेश में सुशासन व पारदॢशता को बढ़ावा देने के लिए भी नए प्रयोगों को अंजाम देते हुए इन पर विशेष फोकस रखा। सरकारी कर्मचारियों की तबादला नीति को ऑनलाइन बनाकर तबादले के नाम पर चलने वाली सिफारिश और भ्रष्ट व्यवस्था को समाप्त कर दिया। बाद में कई राज्यों ने इस नीति को अपने-अपने राज्यों में भी लागू किया। यही नहीं मुख्यमंत्री ने अपनी ही सरकार में सामने आने वाले घोटालों पर आंखें बंद नहीं की, बल्कि खुली आंख से जांच करने के आदेश दिए। सरकार के दूसरे कार्यकाल में चाहे वो रजिस्ट्री घोटाले की बात हो या फिर शराब घोटाले की, उन्होंने किसी भी भ्रष्ट अधिकारी पर मेहरबानी नहीं दिखाई। हरियाणा आज मैरिट के आधार पर नौकरियों के मामले में दूसरे प्रदेशों के लिए एक मिसाल बन गया है। 

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2014 से पहले हरियाणा में मैरिट की बजाय नौकरियों में सिफारिश, रिश्वतखोरी का आलम था। मुख्यमंत्री ने इस व्यवस्था को समाप्त करने की पहल की। उनके कुछ सहयोगियों ने ऐसा निर्णय न करने की सलाह भी दी। तर्क था कि लम्बे समय बाद पहली बार भाजपा सत्ता में आई है। कार्यकत्र्ताओं की अपनी इच्छाएं हैं। वे भी चाहते हैं कि कांग्रेस और इनैलो की तरह उनकी भी सरकारी नौकरियां लगवाने की अपेक्षाएं पूरी हों, मगर खट्टर ने व्यवस्था परिवर्तन की धुन में अपने सहयोगियों की इस सलाह को भी दरकिनार कर दिया जिसका नतीजा आज सुखद रूप से सामने आ रहा है।

विकट परिस्थितियों में धैर्य व संयम भी आया काम
रोजगार के मामले में पारदर्शी व्यवस्था लागू करके मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने न केवल प्रदेश के युवाओं का ध्यान अपनी ओर खींचा अपितु वे आज इस वर्ग की एक बड़ी उम्मीद के रूप में भी पहचान कायम किए हुए हैं। साढ़े 6 साल में हरियाणा में रिकॉर्ड 80 हजार सरकारी नौकरियां दी गई हैं। इस साल 30 हजार नौकरियां और दी जानी हैं। रोजगार मेलों के जरिए 43 हजार युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार दिया गया है तो अनुबंध सहभागिता के तहत 81 हजार युवाओं को नौकरी दी गई है। मनोहर लाल ने इस दौरान जहां अनेक साहसिक फैसले लिए, वहीं उन्होंने तनाव के मौकों पर धैर्य और नरमी भी बरकरार रखी। जिसका नतीजा रहा कि उनके संयम व धैर्य से ही अनेक बार बड़े विवाद टल गए। 


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Content Writer

vinod kumar

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