हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पर्याप्त स्टाफ, इंफ्रास्ट्रक्चर ना होना बन सकता है प्रदेश के संकट का बड़ा कारण

punjabkesari.in Sunday, Feb 20, 2022 - 05:44 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): बढ़ती जनसंख्या और तेज गति से आधुनिकता की तरफ बढ़ रही आबादी द्वारा लगातार प्रकृति से छेड़छाड़ के बेहद भयानक परिणाम आज ना केवल भारत बल्कि पूरा विश्व खेल रहा है। पैसे कमाने की जद्दोजहद में इंसान इतना उलझा है कि अच्छे और बुरे में फर्क ही नहीं समझ पा रहा। लगातार बढ़ रहे व्हीकलों तथा अंधाधुंध हो रही पेड़ों की कटाई ने वातावरण को असामान्य स्थिति पर लाकर खड़ा कर दिया है।

दिल्ली के तीन तरफ बसा हरियाणा आज प्रदूषण के मामले में बेहद भयानक स्थिति पर आकर खड़ा हो गया है। हालांकि प्रदेश की विभिन्न सरकारों ने कई बड़े फैसले लिए, लेकिन स्थिति में कोई ज्यादा फर्क देखने को नहीं मिला। प्रदेश की भाजपा सरकार ने कई बड़े क्रांतिकारी कदम इस बड़ी समस्या को कंट्रोल करने के लिए उठाए हैं, लेकिन स्थिति इतनी बुरी है कि इस पर काबू पाना आसान नजर नहीं आ रहा।

एड़ी चोटी का जोर लगाने के बावजूद आज हवा में फैले जहर को कम करना एक असंभव सा काम लगने लगा है। इसके साथ साथ हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण पर कंट्रोल करना है का गठन बेहद सकारात्मक सोच के साथ जरूर किया गया, लेकिन आज यह विभाग पूरी तरह से फ्लॉप नजर आ रहा है। जिसका मुख्य कारण है कि हर जिले में बोर्ड के कार्यालय जरूर नजर आ रहे हैं, लेकिन कुर्सियां खाली हैं। अधिकारी- कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा बोर्ड अपने रूटीन वर्क को भी नहीं कर पा रहा। जिस कारण लगातार औद्योगिक इकाइयों - किसानों द्वारा जल- वायु और ध्वनि प्रदूषण की बढ़ोतरी में बड़ी भूमिका निभाई गई है।

सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी की लाख कोशिशों के बावजूद स्थिति हो रही बद से बदतर
लगातार सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी( नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) द्वारा लाख प्रयासों के बावजूद भविष्य की बड़ी मुसीबत बने प्रदूषण पर काबू नहीं पाया जा सका। ऐसे हालातों में जब संबंधित विभागों के पास पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर और अधिकारी कर्मचारियों की की भी व्यवस्था नहीं तो यह विषय और अधिक चिंतनीय होना संभावित है। प्रदूषण फैलाने वाली संस्थाओं पर शिकंजा कसने में आखिर कामयाबी कैसे मिल सकती है। लगातार बढ़ रही आबादी और एनसीआर का दायरा बढ़ने से प्रदेश के सामने और अधिक चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। अधिकारी कर्मचारियों के हालात यह है कि प्रदेश में 33 एनवायरमेंट इंजीनियर की जरूरत होने के बावजूद मात्र 17, 92 असिस्टेंट एनवायरमेंट इंजीनियरों की जरूरत है लेकिन 61 पद रिक्त पड़े हैं और जूनियर एनवायरमेंट इंजीनियर के 25 पदों में से मात्र एक ही उपलब्ध है बाकी 24 पद रिक्त पड़े हैं। ऐसे में इस गंभीर समस्या के निवारण की उम्मीद कैसे जताई जा सकती है। 

हवा-पानी और भूमि संसाधनों में लगातार फैल रहा जहर प्रदेश को लगातार दे रहा गंभीर बीमारियां
हवा-पानी और भूमि संसाधनों में लगातार फैल रहा जहर प्रदेश के लोगों के लिए एक बड़े संकट का रूप धारण करता जा रहा है। अधिक उत्पादन के लालच में लगातार हो रहा कीटनाशक दवाइयों और काल्पनिक खाद के प्रयोग ने भूमि को पूरी तरह से जहरीला बना दिया है। औद्योगिक इकाइयों द्वारा लगातार भू जल में मिलाया जा रहा केमिकल युक्त पानी लोगों में गंभीर बीमारियों का कारण बन चुका है। वातावरण में फैल चुका जहर का पैमाना लगातार बढ़ता जा रहा है। आज केवल हरियाणा या भारत ही नहीं पूरा विश्व अपनी भविष्य की पीढ़ी को लेकर चिंतित है। लेकिन प्रदेश में अधिकारी- कर्मचारियों की यह स्थिति एक बड़े दुर्गम परिणाम लाने में महत्वपूर्ण योगदान जरूर अदा करेगी यह तय है।

मुख्यमंत्री ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की समीक्षा बैठक में दिए कई आवश्यक दिशा निर्देश
हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश में नदियों में प्रदूषण के रियल टाइम डाटा का पता लगाने के उद्देश्य से जिला सीमाओं पर ऑनलाइन वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित करने के निर्देश देने केे साथ साथ वर्ष 2015 से 2021 तक की एक विस्तृत रिपोर्ट बनाने के भी निर्देश दिए, जिससे नदियों में प्रदूषण और उससे निपटने के लिए किये गए उपायों की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन हो सके। मुख्यमंत्री ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए इस समस्या के समाधान के आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए।

मुख्यमंत्री द्वारा इस बैठक में नदियों में प्रदूषण को समाप्त करने के लिए जिलावार योजनाएं बनाने के आदेशों के साथ-साथ यमुना और घग्गर नदियां गुजरने वाले जिलों में प्रवेश व निकासी सीमा पर नदियों के पानी के सैंपल एकत्रित किए जाने के भी आदेश दिए ताकि जिस जिले में नदियों का पानी ज्यादा गंदा है, उसके अनुसार उस विशिष्ट जिले में अलग योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को संबंधित विभागों के साथ मिलकर योजनाएं बनानी चाहियें। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि एनसीआर क्षेत्र और अन्य शहरों में सीएनजी व पीएनजी के कनेक्शन कहां -कहां मिल चुके हैं और आगामी कनेक्शन की प्रक्रिया की समय सीमा क्या है, इस पर भी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए।

 

 


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Content Writer

Isha

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