पंजाब व हरियाणा दोनों सदनों के क्षेत्राधिकार व विशेषाधिकार का विवाद हुआ पैदा : राम नारायण यादव

punjabkesari.in Saturday, Apr 03, 2021 - 01:21 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : 10 मार्च, 2021 को पंजाब के विधायकों ने हरियाणा विधानसभा परिसर में हरियाणा के मुख्यमंत्री के सामने नारेबाजी व घेरा डालने की कोशिश की घटना से पँजाब व हरियाणा दोनों सदनों के क्षेत्राधिकार व विशेषाधिकार का विवाद पैदा हो गया है। ऐसी घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है, स्टाफ अपनी ड्यूटी कैसे सही तरीके से निभा सकता है व वर्तमान परिस्थितियों में इनका कानूनी समाधान क्या हो सकता है, इसके बारे में चन्द्र  धरणी ने राम नारायण यादव, पूर्व अतिरिक्त सचिव, हरियाणा विधान सभा व पूर्व सलाहकार/अध्यक्ष पंजाब विधानसभा से खुलकर बातचीत की। पेश है उसके कुछ अंश-

प्रश्न : राम नारायण जी, विधानसभा परिसर में 10 मार्च को अकाली दल के कुछ विधायकों द्वारा हरियाणा के मुख्यमंत्री के विरूद्ध नारेवाजी करने जैसी स्थिति क्यों पैदा हुई, और इसके क्या कारण हो सकते है? 
उत्तर :
10 मार्च को पंजाब के कुछ विधायकों द्वारा विधानसभा परिसर में हरियाणा के मुख्यमंत्री के विरूद्ध नारेयाजी जैसी घटना संसदीय प्रथाओं के अनुरूप नहीं मानी जा सकती, हालांकि उन्हें रोकने में सुरक्षा कर्मचारी सफल भी दिखे । विधायकों को रोध प्रकट करने का अधिकार अपनी सभा के क्षेत्र में अपने नेताओं या सरकार के विरूद्ध कानून व संसदीय-प्रथाओं के अनुसार है । इस परिसर में कुछ ऐसी घटनाएँ पहले भी हुई हैं। ऐसी स्थिति इसलिए पैदा होती है क्योंकि एक ही भवन में दो विधानसभाएं काम करती है और अपने-अपने परिसर पर उनका स्वयं नियंत्रण है ऐसे विषय दोनो सदन, उनके सदस्य, सचिवालय व सुरक्षा से जुड़े होते हैं। इसलिए कर्मचारियों को अनिश्चित क्षेत्राधिकार य विशेषाधिकार जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही "वर्ल्ड हेरिटेज कैपिटौल-कम्पलेक्स का हिस्सा होने के कारण कोई सदन-अध्यक्ष इस विशाल भवन में बदलाव आदि नहीं कर सकते।

प्रश्न : सदन व अध्यक्ष की इस बारे क्या शक्तियां या अधिकार है?
उत्तर :
 दोनों सभाओं को क्षेत्र व विशेष अधिकार तथा समान शक्ति प्राप्त हैं। दोनो रादन, संविधान के अनुच्छेद 187, 194 व 208 में, अलग-रवतंत्र सचिवालय, अधिकार व नियंत्रण रखते हुए अपनी प्रक्रिया य कार्य संचालन संबंधि नियमों के अंतर्गत कार्य करते है। हरियाणा विधानसभा नियमों के नियम 2. 104, 280 आदि व संसदीय प्रथाओं के अनुसार अध्यक्ष को व्यवस्था बनाये रखने के लिये आवश्यक शक्तियां प्राप्त है। ऐसी ही शक्तियां नियम 2,106,252 आदि के अंतर्गत पंजाब विधानसभा के पास है। जहां संविधान सदन को विशेषाधिकार देता है वहीं अनुचोद 311 आदि कर्मचारियों को उनके पद सुरक्षा की गारंटी भी देता है, ऐसा यहां आवश्यक भी है। क्योंकि सत्र में सभा सचिवालय के अंतर्गत कार्य करने वाले कर्मचारियों को भी ऐसी छूट प्राप्त है जो उनके राही दायित्व निभाने के लिए आवश्यक हैं। ऐसी सामस्या को हल के लिए, रात्र के दौरान विधानसभा स्टाफ के लिए (गुरक्षाकर्मियों राहित) "दो पंजायलेजिरलेटिव असेम्बली (आफिसिज) एक्ट, 1939" जैसे कानून व संसदीय प्रथाएं उपलब्ध है, जिरासे स्टाफ भयमुक्त रहकर अपना दायित्व निभा सके। एक्ट, 1939 आदि अध्यक्ष को शक्ति देते हैं, और र्टाफ को अध्यक्ष के अधीन कर्तव्य करने व उनके आदेश निभाने के लिए विशेष छुट प्राप्त हैं । क्षेत्राधिकार का दायरा भी इस एक्ट में विस्वत है और दोनों सदनों ने इस एक्ट को अंगीकृत किया हुआ है। दोनों अध्यक्षों को सभा-नियमों के नियम 2 के अंतर्गत किसी भी समय व परिस्थिती में सभापरिसर निर्धारित करने का अधिकार है। दोनों के प्रावधानों में समानता है, सिवाय इसके कि पंजाव परिसर में "सदस्यों कालांज" अधिक है।

प्रश्न : क्या पहले भी इस तरह की घटनाएं हुई है और तय क्या कार्यवाही हुई?
उत्तर :
 जी ऐसे मामले सदन में भी हुए हैं और बाहर भी। 1985-86 के आसपास एक घटना हुई। पंजाय से एक दल के अनुयायियों ने पूर्व घोषणा के साथ इस भवन-स्टाफ को घेरायदी की त भवन को बाहर से कुछ क्षति भी पहुंची थी। घेराव खत्म करने के लिये दल के संत बाबाजी की इच्छानुसार, सदस्य-गेट खुलवाकर, अध्यक्षा की तरफ से उनसे संपर्क करने का दायित्व तब मुझे मिला था। कैपिटौल-कम्पलेस में सरदार देअंतरिंह की पटना को भी, जिसका तत्काल दृष्य हमने देखा, राभी जानते हैं।

प्रश्न : क्या पहले भी इस तरह की घटनाएं हुई है और तय क्या कार्यवाही हुई?
उत्तर : 
जी, ऐसे मामले सदन में भी हुए है और वाहर भी 1985-86 के आसपास एक घटना हुई। पंजाब से एक दल के अनुयायियों ने पूर्व धोषणा के साथ इस भवन-स्टाफ की घेरायंदी की तय भवन को बाहर से कुछ क्षति भी पहुंची थी। घेराव खत्म करने के लिये दल के सत वावाजी की इच्छानुसार, सदस्य-गेट खुलवाकर, अध्यक्ष की तरफ से उनसे संपर्क करने का दायित्व तब मुझे मिला था। कैपिटौल-कम्पलेक्स में सरदार बेअंतसिंह की घटना को भी, जिसका तत्काल दृष्य हमने देखा, सभी जानते हैं। कुछ घटनाएँ वर्ष 2016 के आसपास घटीं हरियाणा के कुछ सदस्यों ने पंजाब के क्षेत्राधिकार में सदन के सामने जाकर नारेबाजी की। इसी तरह पंजाब के सदस्यों ने हरियाणा के क्षेत्राधिकार में आकर नारेयाजी की । तब क्षेत्राधिकार या विशेषाधिकार जैसा विषय नहीं उठा और न ही कोई कार्यवाही विशेष हुई। इस भवन के लिए, विशेषकर सत्र के दौरान, यह देखना आवश्यक है कि, सदस्यों या कर्मचारियों की आइ में, जहां अनिश्चित क्षेत्राधिकार व विशेषाधिकार हैं, अवांछित तत्व इस विशाल-सुले भवन में किसी अवसर का दुरूपयोग न कर सके।

प्रश्न : यादव जी, ऐसी परिस्थितियों में समाधान क्या हो सकता है?
उत्तर : 
कानून व संसदीय प्रथाओं द्वारा दोनों सदनों के आपसी रहयोग व सामंजस्य पर समाधान अधिक निर्भर है । ऐसी घटनाओं में कानून साधारणतया दो तरह काम करता है। एक, रादन में विशेषाधिकार के माध्यम से, दूसरा, पुलिस-प्रशासन के माध्यम से। दोनों परिस्थितियों में सदनो के विधायको का संबंध है इसलिए दोनों सदन अपना-अपना पक्ष अपने परिसर के क्षेत्राधिकार के आधार पर रखते है। ये ही वो विदू है, जब दोनों सदनों का सांझा भवन होने के कारण, एक रादन का कदम, दूसरे सदन के हितो से टकराव जैसी स्थिती पैदा करने जैसा है। हालांकि, व्यवस्था बनाये रखने के लिये प्रत्येक सदन-अध्यक्ष अपने आप में स्वतंत्र व सक्षम हैं।

प्रश्न : यह मामला दूसरे सदन के सदस्यों से संबंधित है एसे में उनके खिलाफ हरियाणा विधान सभा में विशेषाधिकार का मामला कैसे उठ सकता है?
उत्तर : 
एेसे मामलों में एक सदन द्वारा, यदि ठीक समझता है, तो उस विषय को सम्बंधित सदस्यों के सदन को विशेषाधिकार के मामले में आवश्यक कार्यवाही करने के लिए भेजा जा सकता है। इसलिए ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिये आवश्यक है सत्र के दौरान: प्रथम, समय पर परिसर निर्दिष्ट किया जाए. क्षेत्राधिकार य विशेषाधिकार की पालना हो और तदानुसार सुरक्षा के कदम उठाये जाएँ। दूसरा, सदस्य अपने विशेषाधिकारों के साथ सुरक्षा के मद्देनज़र, कर्मचारियों को अपना कर्तव्य निभाने में सहयोग दें ताकि सुरक्षा में कोई चूक न रह पाए। तीसरे, हरियाणा विधानसभा "दो पंजाय लेजिस्लेटिव असेम्बली (आफिसिज) एक्ट, 1939" के प्रावधानों को और प्रभावी वनाये कुछ अध्यक्ष इसके अंतर्गत आनेवाले कर्मचारियों की हिल भी देया करते थे। इसके अंतर्गत आने वाले सभी कर्मधारियों (सुरक्षाकर्मियों सहित) को अपना कर्तव्य सही निभाने के लिए कुछ छूट के साथ संरक्षण भी प्राप्त हो जो है भी वौथे पंजाय की तरह, हरियाणा के सदस्य व अधिकारी सदस्य-गेट से भवन में प्रवेश करें। पाध्या परिसर में सुचारू आवागमन, पार्किंग सीमित व प्रैस की जगह निश्चित हो। अंत में, एक विकल्प ये भी है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री व उप-मुख्यमंत्री को हाईकोर्ट की तरफ से "सेरेमोनियल गेट" के पास स्थित आठवें सामान्य-गेट से लाया जाये।

प्रश्न : ऐसी परिस्थिती को देखते हुए क्या अन्य कोई रास्ता भी हो सकता है?
उत्तर : 
ऐसी परिस्थितियों व भवन की कमी को देखते हुए वर्ष 2003-04 में घंडीगढ़ रो ढ़ाई ऐकड़ का एक प्लाट रोक्टर-9 में "हरियाणा विद्यानसभा- अनेवसी" बनाने के लिये लेने में हम सफल हो गये थे। वहां अध्यक्ष, उपाध्या, मंत्रीमंडल, नेता प्रतिपक्ष, पेयरपर्रनस, दलों के आफिस, कान्फरेन्स- रामिति हाल, कैटीन-पार्किग आदि की प्रोपोज़ल तैयार हो गयी थी परंतु, प्रदेश की प्रशासनिक सच्यसवा के कारण उस भूखंड को खरीदने में असफल रहे। इसके विकल्प व आवश्यकता आज भी है।


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Content Writer

Manisha rana

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