इस बार के सेशन में अविश्वास प्रस्ताव पर जब बहस होगी तो हर आदमी को वह सुननी चाहिए: कंवरपाल

punjabkesari.in Thursday, Feb 25, 2021 - 08:03 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा के शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कांग्रेस द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस बार के सेशन में अविश्वास प्रस्ताव पर जब बहस होगी तो हर आदमी को वह सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव इसलिए लाए जाते हैं कि उस पर वह लोग डिबेट करना चाहते हैं। किसी विषय पर ज्यादा बोलना चाहते हैं, ज्यादा समय लेना चाहते हैं। अगर कांग्रेस मौजूदा सरकार के अल्पमत पर अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है तो ऐसी स्थिति 100-100 कोस तक भी नहीं है। लेकिन कृषि कानूनों को लेकर अगर वह बहस करना चाहते हैं तो इस पर तो हम पिछली बार भी तैयार थे। 



उन्होंने कहा कि पिछली बार भी हमने उनसे कहा था कि टाइम देने के लिए तैयार हैं। अगर आप बोलना चाहते हैं, जितना बोलना चाहते हैं। आपके 30 सदस्य हैं, सभी अपनी बात रखें, हम जवाब देंगे। लेकिन वह वॉकआउट करके चले गए। मैं हरियाणा के सभी लोगों से अपील करना चाहूंगा कि इस बार के सेशन में अविश्वास प्रस्ताव पर जब बहस होगी। तो निश्चित तौर पर हर आदमी को वह सुननी चाहिए। तभी सभी को इस कानून की सच्चाई का सही पता चलेगा। जनता और विधायकों का विश्वास इस सरकार के प्रति सौ फीसदी है। सरकार ने हर काम इमानदारी और वफादारी से किए हैं।

इसके साथ गुर्जर ने कहा कि प्रदेश में इन्वेस्टर्स न आएं, इन्वेस्टरों को यह लगे कि यहां कारोबार सुरक्षित नहीं है। इस प्रकार का माहौल पैदा करना इस आंदोलन का मकसद है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अव्यवस्था फैलाना कुछ गुरनाम सिंह चढूनी जैसे किसान नेताओं का षड्यंत्र है। चढूनी किसानों के भले के लिए नहीं बल्कि अपने राजनीतिक हितों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका बयान कि वोट चाहे काले चोर को दे दो, लेकिन भाजपा को मत दो। 



जिस प्रकार से इनके काले चोरों ने किसानों का शोषण किया, जुल्म किए, मैं दावा करता हूं कि आजादी से आज तक जितने भी किसानों के जितने भी आंदोलन हुए। हर बार किसानों पर अत्याचार हुए, गोली चली और कभी किसानों की मांग नहीं सुनी गई। लेकिन भले ही किसी भी इरादे से यह आंदोलन हुआ हो, पहली बार ऐसा आंदोलन हुआ हो हमारे किसान भाइयों की बात सुनी भी गई और आगे भी सुनी जाएगी।

गुर्जर ने कहा कि जैसे-जैसे आंदोलन की पोलपट्टी खुलेगी। किसानों के सामने वास्तविकता आ जाएगी और वह समझेंगे कि यह लोग हमारे ही हाथों हमारा ही कत्ल करवाना चाह रहे हैं। किसान को खुद के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं। यह तीनों कृषि कानून शत प्रतिशत किसान के हित में हैं। किसान को बड़ा लाभ इन कानूनों से होने वाला है। इन कानूनों में किसान से कुछ नहीं लिया गया। बल्कि उन्हें उनकी फसल को बेचने के विकल्प दिए गए हैं। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए भी एक विकल्प दिया गया। किसान के हितों को ध्यान में रखकर इसमें नियम बनाए गए हैं।



इस मौके पर शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कोरोना की वापसी के बावजूद छोटे बच्चों की क्लासिस खोलने के फैसले के सवाल पर कहा कि अगर हमें परिस्थितियों में कुछ गलत लगेगा तो तुरंत निर्णय बदल भी सकते हैं। स्कूलों को फिर से बंद करने का फैसला लिया जा सकता है। बहुत लंबे समय से स्कूल बंद थे। स्टेप बाय स्टेप स्कूल खोले जा रहे हैं। तीसरी से पांचवी तक के स्कूल खोलें जाने का फैसला भी इसी के चलते लिया गया। उन्होंने कहा कि सब कुछ ठीक-ठाक चलने की उम्मीद है। लेकिन सरकार की कोई जिद्द भी नहीं है कि स्कूल खोल दिए तो खुले ही रहेंगे। अगर स्थिति में कुछ बदलाव दिखेगा तो अपने निर्णय पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बहुत से बच्चे और अभिभावक चाहते थे कि स्कूल खोले जाएं।
 

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Content Writer

vinod kumar

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