कोरोना, किसान और ‘कलह’ की भेंट चढ़ा 2020, चुनौतियों और विवादों के बावजूद स्थिति को संभाल गए खट्टर

punjabkesari.in Tuesday, Dec 29, 2020 - 09:39 AM (IST)

चंडीगढ़( संजय अरोड़ा):  वर्ष 2020 अब अपने अंतिम पायदान पर है और आने वाले कुछ घंटों बाद न केवल कैलेंडर बदल जाएंगे अपितु नए वर्ष को हर कोई नई उम्मीदों के तौर पर भी आंकने का प्रयास कर रहा है। गुजर रहा यह 2020 कई लिहाज से जहां एक इतिहास के रूप में भी जाना जाएगा तो वहीं कहना न होगा कि प्रदेश की सरकार के लिए भी यह साल कोरोना, किसान और कलह की भेंट चढ़ गया। अहम बात ये भी रही कि इस पूरे साल में अनेक चुनौतियों और विवादों के बावजूद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हर स्थिति को बिना विचलित हुए संभालते नजर आए। अब जबकि नए वर्ष को केवल कुछ घंटोंका समय ही शेष रहा है तो ऐसे में आमजन के साथ साथ सरकार के मुखिया भी नए वर्ष को नई उम्मीद और नए संकल्प के रूप में उस नूतन पल के इंतजार में हैं जहां पिछले वर्ष को भुलाकर नए वर्ष में नई उमंग का संचार हो सके। 

कदम दर कदम ऐसे आती गई चुनौतियां
गौरतलब है कि सरकार का गठन हुए महज पांच माह का ही समय हुआ था कि मार्च माह में कोरोना ने हरियाणा में दस्तक दे दी। गुरुग्राम में पहला केस आया और इसके बाद कोरोना संक्रमितों का ग्राफ बढऩे के कारण हरियाणा में लॉकडाऊन घोषित करना पड़ा। हालांकि इसके दो दिन बाद देश भर में लॉकडाऊन घोषित किया गया लेकिन हरियाणा सरकार ने एहतियातन त्वरित कदम उठाते हुए हरियाणा में दो दिन पहले ही लॉकडाऊन कर दिया। यही नहीं मुख्यमंत्री खट्टर व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला सहित अनेक मंत्री, विधायक, सांसद व अफसर भी कोरोना की चपेट में आने से बच नहीं सके जिसके कारण भी विकासकारी गतिविधियां पूर्ण रूप से थम गई।

सियासत के लिहाज से जजपा के आसरे बनी गठबंधन सरकार के समक्ष  कई बार संकट मुंह बाए उस वक्त खड़ा नजर आया जब जजपा के विधायकों में आपसी कलह होने लगा। इसके साथ ही गृहमंत्री अनिल विज व सत्ता में सहयोगी एवं प्रदेश के डिप्टी सी.एम. दुष्यंत चौटाला के बीच कई बार मनमुटाव की स्थिति पनपने लगी। इसके अलावा किसानों के इस आंदोलन के दौरान बरोदा में हुए उपचुनाव में भी सरकार को हार का मुंह देखना पड़ा और वह भी तब जब हरियाणा में उनकी सरकार का लंबा कार्यकाल बाकी है। 

भड़के किसान तो गरजे विपक्षी
वर्ष 2020 को हरियाणा के इतिहास में कई मामलों में जाना व समझा जाएगा। चूंकि हरियाणा के इतिहास में यह भी संभवत: पहला ही ऐसा साल है जब किसानों का आंदोलन इतना लंबा चला और खास बात ये है कि हरियाणा के किसानों के साथ साथ यू.पी., पंजाब व राजस्थान के किसानों का केंद्र हरियाणा बना क्योंकि इन सभी राज्यों के किसानों ने हरियाणा-दिल्ली की सीमाओं पर ही पिछले एक माह से डेरा डाला हुआ है।   प्रदेश के राजनीतिक विपक्षीदलों ने भी केंद्र सरकार के इन मुद्दों की आड़ में प्रदेश की सरकार को निशाने पर लिया और सरकार के समक्ष कई बार चुनौतियों को खड़ा करने का प्रयास भी किया।  कुल मिलाकर वर्ष 2020 कोरोना काल, किसान आंदोलन व सियासी कड़वाहटों के बीच कड़वी यादों के साथ बीतने को है तो वहीं अब सबकी निगाह आने वाले वर्ष 2021 पर है कि नया वर्ष देश व प्रदेश के लिए खुशियों का नया सवेरा लेकर आए।


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Isha

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