किसान आंदोलन: महापंचायतों पर फिर रार, कई संगठनों की नसीहत-बार्डर पर बढ़ाएं संख्या

punjabkesari.in Thursday, Feb 25, 2021 - 09:24 AM (IST)

सोनीपत : किसान आंदोलन में इस समय एक तरफ जहां दिल्ली के बार्डरों पर संयुक्त मोर्चा के अलग-अलग कार्यक्रम चल रहे हैं तो वहीं किसान नेता राकेश टिकैत के साथ मोर्चे के कुछ किसान नेता हरियाणा, यू.पी., पंजाब व राजस्थान समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में महापंचायतें कर रहे हैं लेकिन किसानों के कुछ संगठनों ने इन महापंचायतों का विरोध करना शुरू कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन के 2 संगठनों ने फिर से सवाल उठाते हुए कहा है कि जब किसान दिल्ली के बार्डरों पर जमे हुए हैं और यहीं पर सभी कार्यक्रम हो रहे हैं तो अलग-अलग महापंचायतें किए जाने का क्या औचित्य है। इन संगठनों ने नसीहत भी दी है कि किसान महापंचायतें करने की बजाय दिल्ली के सभी बार्डरों पर किसानों की संख्या बढ़ाए जाने पर जोर दिया जाना चाहिए और पूरा फोकस किसानों की एकता बरकरार रखने पर होना चाहिए। इससे पहले भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम चढूनी भी महापंचायतों पर सवाल उठा चुके हैं, हालांकि बाद में चढूनी खुद भी कई महापंचायतों में शामिल हो चुके हैं।

भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के राष्ट्रीय महासचिव शमशेर सिंह दहिया व भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य ने कुंडली बार्डर पर बुधवार को किसानों की एक बैठक ली। इस दौरान उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि किसान आंदोलन के दौरान महापंचायतों का निर्णय सही नहीं है। महापंचायतें शुरू होने के बाद से आंदोलन भटकाव की तरफ जा सकता है। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा व किसान नेताओं को फिर से इस पर विचार करना चाहिए। किसान पंचायतें लगातार चल रही हैं, जिससे दिल्ली के बार्डरों पर जमे किसानों की संख्या पर असर पड़ रहा है। दोनों नेताओं ने किसानों को नसीहत दी सभी प्रकार के कार्यक्रम धरनास्थलों पर ही होने चाहिएं और किसानों को अपने ट्रैक्टर-ट्राली लेकर यहीं पहुंचना चाहिए।

दमन विरोधी दिवस मनाते हुए राष्ट्रपति के नाम प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
किसान आंदोलन के 92वें दिन किसानों ने दमन विरोधी दिवस मनाते हुए बुधवार को विभिन्न संगठनों के बैनर तले लघु सचिवालय में एकत्रित होकर केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया व देश के राष्ट्रपति के नाम नायब तहसीलदार बलवान सिंह को ज्ञापन दिया। किसान संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि किसानों पर बहुत अत्याचार हो चुका है लेकिन अब आगे और सहन नहीं होगा। 3 कृषि कानूनों के विरोध में किसान लंबे समय से सड़क पर खुले में बैठकर आंदोलन कर रहा है। आंदोलन के दौरान 200 से ज्यादा किसानों की जान जा चुकी है लेकिन केन्द्र सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने की बजाय किसानों पर ही मामले दर्ज कर किसानों को जेल में डाल रही है जिसके चलते आज पूरे देश में किसान आंदोलन एक नया रूप ले रहा है।

सरकार की इन दमनकारी नीतियों के खिलाफ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने कुछ दिन पहले एक बैठक करते हुए 24 फरवरी को दमन विरोधी दिवस मनाने का आह्वान किया था, उसी के चलते किसान संगठनों ने जिला उपायुक्त कार्यालय पर धरना देते हुए राष्ट्रपति के नाम नायब तहसीलदार को ज्ञापन दिया है। इस दौरान किसान नेता श्रद्धानंद सोलंकी, रोहताश बैनीवाल, ब्रह्म सिंह दहिया, ईश्वर राठी, जयकरण दहिया, कर्मचारी नेता आनंद शर्मा, कृष्ण शर्मा जयभगवान व छात्र एकता मंच के सदस्य आदि संगठन के पदाधिकारी शामिल रहे।

(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।) 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Manisha rana

Recommended News

Related News

static