कर्मचारियों के आगे गिड़गिड़ाते रहे श्रद्धालु फिर भी नहीं कर सके सोमवती अमावस्या का स्नान
punjabkesari.in Monday, Dec 14, 2020 - 10:14 PM (IST)
कुरुक्षेत्र (विनोद खुंगर): धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण तथा सोमवती अमावस्या के स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन प्रशासन ने कोरोना महामारी के चलते आज कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन की आशंका को देखते हुए प्रतिबंध लगा दिया। इसके बावजूद श्रद्धालु ब्रह्मसरोवर पहुंचे, लेकिन गेट पर ताला लटकते देख पुलिस और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के कर्मचारियों के आगे गिड़गिड़ाए लेकिन उनके हाथ निराशा ही लगी। हालांकि कुछ जगह पूजा अर्चना और पिंडदान हुई।
दूरदराज से कई श्रद्धालु सोमवार को पहुंचे तो ब्रह्मसरोवर के गेट पर लगा ताला लटकते देखा तो उन्हें निराशा हाथ लगी। फिर भी श्रद्धालु पिंडदान, पितृ तर्पण और पूजा के लिए पुलिस और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के कर्मचारियों के आगे गिड़गिड़ाए। कर्मचारियों का तर्क था कि प्रशासन ने कोरोना महामारी के चलते आज कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर और सन्निहित सरोवर पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन की आशंका को देखते हुए प्रतिबंध लगाया हुआ है।
इस मौके पर श्रद्धालुओं विजय दत्त, निशांत कुमार, केवल कृष्ण, हरिओम यादव व हरबंस लाल ने कहा कि वे सर्दी के बावजूद दूरदराज से कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर पहुंचे हैं, लेकिन उनको निराशा हाथ लगी है। जबकि वे वर्षों से कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर तथा सन्निहित सरोवर पर सूर्यग्रहण और सोमवती अमावस्या पर आते हैं। इस बार उन्हें परेशान होना पड़ रहा है।
इसी मौके पर ब्रह्मसरोवर पर कर्मकांडी ब्राह्मण प. राकेश गोस्वामी ने आपत्ति की कि जब अन्य तीर्थों पर सोमवती अमावस्या और सूर्यग्रहण का स्नान हो रहा है तो उन्हें क्यों रोका जा रहा है। पूरे साल में यही दिन उनकी रोजी रोटी कमाने के होते हैं। आज प्रशासन ने प्रतिबंध लगाकर कर्मकांडी ब्राह्मणों और श्रद्धालुओं को निराश किया है।
उल्लेखनीय है कि पुराणों के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान-पुण्य और दीपदान करने का बहुत महत्व है। इस दिन गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में स्नान करना बहुत फलदाई है। परन्तु इस साल कोरोना महामारी के चलते लोगों के हाथों निराशा लग रही है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर पूजा अर्चना व पिंडदान करने से आपके जीवन में सुख-सौभाग्य की बरसात होती है। इस दिन तीर्थ पर विधिवत स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
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