शराब तस्करी मामला: विजीलैंस की स्टेटस रिपोर्ट न मिलने से विज खफा
punjabkesari.in Friday, Sep 18, 2020 - 10:42 AM (IST)
चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने हरियाणा सतर्कता विभाग के आला अधिकारियों से इस बात से नाराज चल रहे है कि लॉक डाउन के दौरान बनी शराब तस्करी को लेकर एस ई टी की रिपोर्ट के कुछ बिंदुयों पर मुख्यमंत्री की स्वीकृति से विजिलेंस को जांच व कार्यवाही अभी तक नही की गई है।
उल्लेखनीय है कि शराब माफिया के खिलाफ गठित विशेष जांच दल (एसईटी) की रिपोर्ट पर मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री द्वारा प्राप्त आदेशों के अनुसार राज्य विजीलैंस ब्यूरो को एसईटी द्वारा विभागों पर की गई टिप्पणियों की पूरी जांच करवाने के निर्देश 25 अगस्त को दिए थे।विज की नाराजगी के अहम कारणों में 23 दिनों बाद भी विजिलेंस ने इसमे स्टेटस रिपोर्ट सबमिट नही की व विज को इसमे दर्ज हुए मुकद्दमे या कार्यवाही से अवगत तक नही करवाया।
इसके अन्तर्गत स्टॉक, लॉकडाऊन के दौरान शराब के परमिट देने बारे, गैर कानूनी तरीके से शराब रखने सहित अन्य अनियमितताओं की जांच करने को कहा गया है, जिसकी मासिक तौर पर रिपोर्ट उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि वे इस पूरे प्रकरण की जानकारी रखने के लिए गृह विभाग के एक अधिकारी को नियुक्त करेंगे।
विज ने 27 अगस्त को कहा था कि बिना किसी नेता या संगठन की मांग के उन्होंने स्वत: ही संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की जांच के लिए एसईटी का गठन किया था। इसके लिए वरिष्ठïï आईएएस अधिकारी टी सी गुप्ता की अध्यक्षता में 11 मई 2020 को एक एसईटी का गठन किया गया था। एसईटी ने 31 जुलाई 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। एसईटी ने अपनी 6 चैप्टर और 2000 पेज की रिपोर्ट में अनेक संस्तुति दी, जिसको उन्होंने स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री के पास उचित कार्रवाई हेतु भेज दिया था। टीम ने इसकी जांच के लिए कई जिला आबकारी एवं कराधान आयुक्त, पुलिस अधिकारियों तथा आईएएस अधिकारियों व अन्य अधिकारियों से सम्पर्क किया था।
प्रमुख बिंदु क्या थे-
ज्ञात रहे कि टीम ने पाया कि तत्कालीन आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी ने जांच में कोई समुचित सहयोग नहीं किया। इतना ही नहीं सरकार द्वारा लॉकडाऊन के दौरान ठेके बंद करने के आदेश दिए थे, जिसके लिए उन्होंने कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए। इसके अलावा विभाग की आबकारी नीति 2011-12 के अनुसार शराब की डिस्टलरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए थे परन्तु आज तक इनकी कोई फीडबैक प्राप्त नहीं हुई। इसके साथ ही शराब की एक्सपायरी डेट दो साल के बाद शराब को नष्ट भी करना होता है परन्तु एक जिला को छोडक़र किसी अन्य जिला ने इसका पालन नहीं किया। इसके चलते उक्त वरिष्ठï अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा अन्य के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है।
इस दौरान एसईटी ने सोनीपत की तत्कालीन एसपी प्रतीक्षा गोदारा एवं जसदीप सिंह रंधावा से भी पूछताछ की है। टीम ने रिपोर्ट में पाया गया कि प्रतीक्षा गोदारा ने खरखौदा के मुख्य शराब माफिया महेन्द्र सिंह की न केवल सहायता की बल्कि उसे 2 अंगरक्षक भी मुहैया करवा दिए गए। इसके अलावा ऐसे अनेक आरोपों के चलते उन्होंने राज्य विजीलैंस ब्यूरो को इस पूरे मामले में एफआईआर दर्ज करने और इसकी समुचित जांच करवाने की सिफारिश की थी। ताकि पूरे प्रकरण में कड़ी कार्रवाई की जा सके। इससे पहले करीब 200 शराब वाहन चालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी परन्तु असली अपराधी तक नहीं पहुंचा जा सका।
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