धान की खरीद के 3 दिन में ही अटी मंडी, उठान न होने से किसान व आढ़ती परेशान

punjabkesari.in Sunday, Oct 04, 2020 - 08:33 AM (IST)

यमुनानगर (सतीश) : धान की खरीद को शुरू हुए 3 दिन हुए हैं। अभी से मंडियां धान की लाखों बोरियों से अट गई हैं। किसान का खुला आरोप है कि मंडी में उठान न होने के कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चंद घंटों का काम कई घंटों और कई घंटों का काम दिनों में हो रहा है। मंडी में आए किसान को धान की सुरक्षा भी सता रही है। किसान का परिवार धान की सुरक्षा में अपने ही परिवार के लोगों के साथ बैठा है।

किसान का कहना है कि नमी के नाम पर भी उन्हें तंग किया जा रहा है। किसानों की माने तो पोर्टल साइट भी हर 10 मिनट बाद बंद हो रही है। इसके अलावा मंडी में फसल लाने का संदेश भी उनके गले नहीं उतर रहा। इसके पीछे वजह है कि जिस दिन किसान को फसल लानी है, उस समय फसल तैयार न हो, लेबर न मिले या फिर संसाधन न मिले, ऐसे में किसान का कहना है कि सरकार किसान से संबंधित जो भी कानून बना रही है उसमें किसान की राय शामिल जरूर की जाए। इसके अलावा धान सीजन से पहले किसान को पूरे मामले से अवगत करवाया जाए।

सुबह 4 बजे आ गया था, जाऊंगा कब पता नहीं : युवराज दत्त
मंडौली के किसान युवराज दत्त ने बताया कि वह 60 क्विंटल धान सुबह 4 बजे मंडी में ले आया था। दोपहर 2 बजे तक उसे यह नहीं पता था कि वह कब फ्री होगा। उसने बताया कि आढ़ती का सहयोग मिल रहा है, लेकिन उठान होना भी जरूरी है। उन्हें तो मजबूरन धान सड़क पर ही डालना पड़ा। 

किसान तो हर तरफ से मरा : कुलदीप राणा
रतनपुरा के किसान कुलदीप राणा ने बताया कि वह करीब 70 किं्वटल धान सुबह 6 बजे ले आया था। उसके साथ परिवार के 6 लोग और है। राणा के मुताबिक धान की नमी 17 से बढ़ाकर 22 तक करनी चाहिए। कोविड का दौर है और मंडी में भीड़ है। इसके लिए भी सिस्टम बनना चाहिए। किसान ने बताया कि किसान पर हर तरफ से मार है। खेत में फसल तो कुदरत की मार का डर और अब मंडी में उठान न होने के कारण उनका अधिक समय लगना। 

पहले वाला सिस्टम ही ठीक : नरेंद्र सिंह
कोत्तर खाना के किसान नरेन्द्र सिंह ने बताया कि मंडी में 1 दिक्कत हो तो बताएं। यहां तो दिक्कतें ही दिक्कतें हैं। किसान की समस्या के लिए कम से कम कोई हैल्प डेस्क हो या फिर कोई रजिस्टर हो जहां समस्या और समाधान की बात हो। उनका कहना है कि पहले वाला सिस्टम ही ठीक था। सरकार मौजूदा सिस्टम पर ध्यान दें और किसानों की राय से उसे संशोधित करें।

चौकीदार भी नहीं मंडी में : नैब सिंह
आढ़ती नैब सिंह ने कहा कि मंडी में सरकारी चौकीदार नहीं है। मजबूरन आढ़ती को निजी पैसे से प्राइवेट चौकीदार रखना पड़ रहा है। एक आढ़ती के पास अमूमन 8 ट्रक माल पड़ा है। यदि 4 ट्रक का उठान भी हो जाए तो किसान और आढ़ती दोनों को राहत मिलेगी। 

ये दिक्कतें जानना भी जरूरी
किसान को गेट पास की दिक्कत है। कुछ किसान ऐसे हैं जिनमें पास अपनी ट्राली नहीं है। वे करीब 1500 रुपए किराया देकर ट्राली मंडी लेकर आते है। यदि ट्राली को वापिस कर दिया जाए तो किसान को 3 हजार का नुक्सान है। प्रति किविंटल 400 रुपए लोडिंग और अन लोडिंग के भी किसान को देने होते हैं। इसके अलावा 17 प्रतिशत नमी से ऊपर काट लगती है। वहीं सुखाने के नाम पर लेबर को 25 रुपए क्विंटल चार्जिज देने पड़ते हैं। 

कौन-कौन सी दिक्कत गिनवाएं : हाकम सिंह
हरिपुर जट्टान के किसान हाकम सिंह ने बताया कि कौन-कौन सी दिक्कत गिनवाएं, दिक्कतें तो बहुत हैं। पूरे सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत है। पहले महीनों फसल पाली, कैसे न कैसे करके उसे काटकर मंडी लाए और अब मंडी में उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है। परेशानी घंटे 2 घंटे की हो तो झेल ली जाए। यहां तो पता ही नहीं कितना समय लगेगा। 

पोर्टल की साइट दे रही धोखा : संदीप मित्तल
आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान संदीप मित्तल ने बताया कि पोर्टल की साइट धोखा दे रही है। हर 10 मिनट बाद बंद हो जाती है। नमी को लेकर भी दिक्कत है। उनके मुताबिक धान के उठान में तेजी आनी चाहिए। 

अढ़ाई-3 लाख बोरियां पड़ी मंडी में : प्रवेश कुमार
आढ़ती प्रवेश कुमार ने बताया कि उठान नहीं हो रहा। इस समय करीब 20 एकड़ फैली मंडी में 57 दुकानों के आगे अढ़ाई से 3 लाख बोरियां पड़ी हैं। उठान हो तो अगले किसानों को बुलाएं। इसी तरह पोर्टल पंजीकरण को भी उन्होंने मुश्किल कार्य बताया। उनके मुताबिक किसान को संदेश जाता है कि उस तारीख को फसल लानी है, लेकिन यह प्रैक्टिकल नहीं है। इसके अलावा आई और जे फार्म काटने को लेकर भी दिक्कत है। अधिकतर मुनीम कम पढ़े हैं। होना यह चाहिए कि सीजन से पहले मुनीमों को ट्रेनिंग दी जाए। 


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Manisha rana

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