मनोहर और मोदी के नेतृत्व में भी अगर किसान दुखी हैं तो इनका भला कोई नहीं कर पाएगा: मूलचंद शर्मा
punjabkesari.in Wednesday, Jun 16, 2021 - 04:01 PM (IST)
चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): तीनों कृषि कानून खत्म करने की मांग पर अड़े कथित किसान करीब 7 माह से आंदोलनरत हैं।सरकार द्वारा बार-बार अपील करने और 11 बार वार्तालाप होने के बावजूद किसान अपनी जिद पर अड़े हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों पर स्टे भी लगा दिया। उसके बावजूद किसान आए दिन नए-नए घटनाक्रम अंजाम दे रहे हैं। कभी मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में विघ्न डालना, कभी उपमुख्यमंत्री का कार्यक्रम के दौरान विरोध करना और कभी सत्ताधारी पार्टियों के मंत्रियों- विधायकों का बहिष्कार करना एक आम सी बात बन गई है। पंजाब में भाजपा के एक विधायक को नग्न करके पुलिस की मौजूदगी में पीटने की घटना ने हदें पार कर दी।
इस प्रकार की बातें आए दिन सामने आने पर अब सरकार का मूड बदला-बदला सा नजर आने लगा है।कुछ दिन पहले जहां मुख्यमंत्री ने कानूनों को हाथ में लेने वाले कथित किसानों पर सख्त कार्रवाई करने के संकेत दिए थे। वहीं अब सरकार के मंत्रियों की भाषा भी बदली-बदली सी नजर आने लगी है। आज पंजाब केसरी ने हरियाणा सरकार के परिवहन एवं खनन मंत्री मूलचंद शर्मा से कई महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत की। उन्होंने सोनीपत की पंचायतों द्वारा दिल्ली जाने वाले रास्तों को ब्लॉक करने के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि रास्ते खूब बंद करो, कोई मना नहीं कर रहा, दिल्ली जाना भी अधिकार है, खूब जाओ और विरोध करना भी अधिकार है। लेकिन यह तो बताएं कि किसानों की समस्या आखिर है क्या ?किसानों को परेशानी आखिर है क्या ? अगर कानून को हाथ में लेने की कोई भी कोशिश करेगा तो सरकार सख्त कानूनी कार्रवाई करेगी। साथ ही शर्मा ने कहा कि क्या रेवाड़ी-महेंद्रगढ़-भिवानी- फरीदाबाद-गुड़गांव-यमुनानगर में किसान नहीं रहते ? कुछ गिने-चुने क्षेत्रों से ही इस प्रकार की हरकतें सामने क्यों आ रही हैं।
शर्मा ने कहा कि अगर मनोहर और मोदी के नेतृत्व में भी किसान दुखी हैं तो इनका भला कोई भी नहीं कर पाएगा। आज किसी भी चीज का एमएसपी देखें, बाजरे का भाव देखे, पहले 10-10 रुपए बढ़ा करते थे, ओलावृष्टि के नाम पर 100-100 रुपए मिलते थे। लेकिन आज सरकार ने सफेद मक्खी के नाम पर हजारों करोड रुपए बांट दिए। ओलावृष्टि के नाम पर हजारों करोड़ रुपए किसानों को बांटे। केवल मेरे जिले पलवल में ही ओलावृष्टि के नाम पर 200 करोड रुपए बांटे गए। जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी। पुराना और नया आंकड़ा ओलावृष्टि का देख लो सभी को अनुमान हो जाएगा कि असली किसान हितैषी सरकार कौन सी है। सरकार द्वारा एक्वायर के नाम पर भी मोटा मुआवजा दिया गया है। अगर विरोध ही करना है तो केवल भाजपा और जजपा के विधायकों का ही क्यों किया जा रहा है। दूसरे दलों के विधायकों के खिलाफ क्यों नहीं करते। यह आंदोलन पर बैठे लोग किसान नहीं हैं। किसान अपने खेत में या तो धान की रोपाई में लगा है या कपास की बिजाई-नुलाई और सिंचाई में व्यस्त है। दूसरी पार्टियों के नेता जो भाजपा को सुबह से शाम तक कोसते हैं। वह लोग इन कथित किसानों को लाकर यहां बिठा रहे हैं। लेकिन यह साफ है कि कानून को हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
इस मौके पर उन्होंने अपने परिवहन विभाग पर भी चर्चा की और बताया कि जैसे-जैसे कोविड की रफ्तार धीमी पड़ रही है। वैसे-वैसे बसों की डिमांड भी बढ़ रही है। जिसके चलते दूसरे प्रदेशों में भी बसें भेजने की संख्या बढ़ाई जा रही है। आज हिमाचल-पंजाब-राजस्थान-उत्तर प्रदेश में कम मात्रा में बसे जा रही हैं। लेकिन अब हालात सामान्य होते जा रहे हैं। जल्द ही रोडवेज पुरानी स्थिति में आ जाएगा। केंद्र और राज्य सरकार की गाइडलाइंस और आदेशों की पालना करते हुए 50 फ़ीसदी सवारियों को बसों में बिठाया जा रहा है। इस मौके पर उन्होंने खनन विभाग के बारे में बताया कि कांग्रेस के जमाने में खनन से विभाग को 551 करोड़ रुपए की इनकम थी। जो पीछे 702 करोड तक पहुंची और अब आने वाले समय में मुझे उम्मीद है कि माइनिंग से 12 सौ करोड़ रूपए की इनकम हो जाएगी।
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