हाईजैक हो चुके किसान आंदोलन को कई शक्तियां पीछे से दे रही हैं बल : अनिल विज

punjabkesari.in Saturday, Jun 19, 2021 - 10:59 AM (IST)

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): आंदोलन कभी इस प्रकार से नहीं होते। आंदोलन को कामयाब करने की जिम्मेदारी आंदोलन के नेताओं पर होती है और आंदोलन पर उंगली न उठे यह भी जिम्मेदारी नेताओं पर होती है। लेकिन लगता है कि उनके बस की बात नहीं रही। यह आंदोलन पूरी तरह से हाईजैक हो चुका है। नेता चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे। क्योंकि इस आंदोलन के पीछे कई तरह की शक्तियां लगी हुई हैं और बल दे रही हैं। यह बात आज प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कही।

आए दिन किसान आंदोलनों में हो रही महिलाओं से छेड़खानी की घटनाओं से अनिल विज काफी आहत हैं और पहले दिन से उनका रुख काफी सख्त है। हाल ही में एक युवक पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगाने की घटना ने पूरे आंदोलन पर तो सवालिया निशान लगाया ही है। वही परेशान हुई प्रदेश सरकार के तेवर भी अब बदलने लगे हैं। हाल ही में बहादुरगढ़ मैं बैठे आंदोलनकारियों से परेशान आसपास के ग्रामीणों ने भी इस पर कड़ा एतराज उठाया है। ग्रामीणों ने जल्द ही इस आंदोलन को कहीं और शिफ्ट करने की मांग सरकार से की है। ग्रामीणों के अनुसार आंदोलनकारी पूरी-पूरी रात शराब के नशे में धुत होकर डीजे बजाते हैं और आसपास कहीं किसी से कोई बात होने पर 20-20 लोग झगड़ा करने के लिए गांवों में घुस जाते हैं। और तो और कई कई लोग जोहड़ में इकट्ठे शौच के लिए जाते हैं और खेतों में घूमते हैं। ग्रामीण इतने परेशान हैं कि उनका कहना है कि जेल में भी आदमी सुरक्षित है। लेकिन वह अपने गांवों में- अपने घरों में भी सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीणों ने इस अराजकता के माहौल को खत्म करने के लिए आंदोलन को जल्द-से-जल्द शिफ्ट करने की मांग सरकार से की है।

विज ने बताया कि यह आग जलाकर की गई घटना बेहद निंदनीय और संगीन अपराध है। मामला तो दर्ज कर लिया गया है लेकिन आखिर इस हत्या के पीछे कारण क्या थे? क्या व्यक्तिगत रंजिश के तहत यह हत्या की गई या फिर ठंडे पडते आंदोलन में जान फूंकने के लिए-लोगों को आकर्षित करने के लिए या भड़काने के लिए इस वारदात को अंजाम दिया गया है। इन सभी पहलुओं की गहनता से जांच की जाएगी और जो-जो व्यक्ति इस हत्या में या हत्या की साजिश में शामिल होगा, किसी को भी किसी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। मानवता को तार-तार कर देने वाली घटना बेहद शर्मसार है और कहीं ना कहीं आंदोलन पर सवालिया निशान खड़े कर रही है।

दिल्ली के आसपास बैठे आंदोलनकारी किसानों के जमावड़े तथा आए दिन मिल रही शिकायतों को लेकर हरियाणा के गृह- स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज काफी सख्त नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि पंजाब के शंभू बॉर्डर से किसानों द्वारा अंबाला में प्रवेश करने पर विज ने पहले भी आलाधिकारियों को फटकार लगाई थी और पंजाब सीमा से हरियाणा में किसान कैसे और किसकी लापरवाही से घुसे इसकी जवाबदेही कर चुके हैं। आए दिन किसानों द्वारा घटित की जाने वाली अपराधिक घटनाओं की सूचनाओं और शिकायतों को लेकर दिल्ली में मौजूद अनिल विज तल्ख तेवर फिर से बनाए हुए नजर आ रहे हैं। आंदोलन में महिलाओं से छेड़छाड़ जैसे बढ़ते मामलों और मंत्रियों- विधायकों के प्रति बढ़ते हमलों पर अनिल विज पहले भी अपने सख्त रुख अख्तियार कर चुके हैं।

हिसार में अस्पताल उद्घाटन के घटनाक्रम और फिर टोहाना विधायक देवेंद्र बबली पर किसानों द्वारा किए गए हमले के बाद ही अनिल विज ने पुलिस के आला अधिकारियों को सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे। हाल ही में एक युवक पर पेट्रोल डालकर जला देने जैसे गंभीर आरोप आंदोलनकारी किसानों पर लगे हैं।जिसमें पीड़ित युवक की मृत्यु भी हो चुकी है। हरियाणा के गृह- स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इस संगीन अपराध पर गहन जांच के आदेश दे दिए हैं। अनिल विज ने मामले की गंभीरता को समझते हुए सख्त और निष्पक्ष  जांच के आदेश दिए हैं। भेजने बताया कि मृतक के भाई के बयान पर मामला दर्ज कर लिया गया था और मृत्यु होने के बाद 302 धारा भी जोड़ी गई है और एक आरोपी को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस मामले में किसी भी जिम्मेदार  आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा। अगर इस मामले में कोई षड्यंत्र भी रचा गया हो तो पता लगाया जाएगा।

इस मामले में अनिल विज ने कहा कि वास्तविकता में आंदोलन किसान नेताओं के हाथों में नहीं रहा। अनेकों बार अधिकारियों और मंत्रियों के साथ टेबल पर बैठकर बातचीत हुई। लेकिन समाधान नहीं निकला। हिसार में घटित घटनाक्रम के बाद इनके बड़े नेताओं ने आलाधिकारियों से बातचीत कर आगे कानून को हाथ में न लेने का आश्वासन दिया था।   लेकिन तीन-चार दिन के बाद ही फतेहबाद में एक विधायक के साथ मारपीट कर दी गई। फिर आश्वासन दिया कि ऐसा अब नहीं होगा। उसके बाद झज्जर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा किए गए जिला कार्यालय के शिलान्यास को तोड़ दिया गया। इन बातों से यह साफ है कि इस आंदोलन के पीछे बड़ी ताकतों का हाथ है। 11-12 दौर की बातचीत हुई। अब भी सरकार ने दरवाजे खुले रखे हुए हैं।

किसानों से आग्रह किया जा रहा है कि आकर बात करो। किसी भी आंदोलन को कामयाबी तक ले जाना आंदोलन के नेताओं के हाथ में होता है। लेकिन यह कोई बात नहीं मान रहे। कोरोना के वक्त मैंने स्वास्थ्य विभाग की टीम को टीकाकरण और टेस्टिंग के लिए भेजा। लेकिन इन्होंने साफ इनकार कर दिया। इनके पीछे की ताकतें बात को फाइनल नतीजे तक नहीं पहुंचने देती। इनके नेतृत्व वाले लोग और इनका पक्ष रखने वाले लोग इनका भला नहीं चाहते। अगर चाहते तो वह टीकाकरण और टेस्टिंग के लिए इन्हें जरूर बोलते। किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर कुछ और लोग चला रहे हैं जो देश में अशांति फैलाना चाहते हैं।

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Content Writer

Isha

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