राज्यसभा सांसद उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस- भाजपा में चल रहा मैराथन बैठकों का दौर

punjabkesari.in Saturday, May 28, 2022 - 06:07 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : हरियाणा की पांच में से दो राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनावों को लेकर शनिवार तक किसी भी दल ने अपने उम्मीदवार का नामांकन दाखिल नहीं किया। दोनों दल जहां सीटों को लेकर मंथन कर रहे हैं, वहीं भाजपा दोनों ही सीटों पर अपना कब्जा स्थापित करने की रणनीति पर काम कर रही है। बता दें कि भाजपा सीट से चुनाव जीतकर राज्यसभा में पहुंचने वाले दुष्यंत कुमार गौतम और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजयश्री हासिल करने वाले सुभाष चंद्रा का कार्यकाल 4 जुलाई को खत्म हो जाएगा। चुनाव आयोग ने 13 जून तक चुनाव प्रक्रिया को संपन्न करना है। 31 मई नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है। शनिवार और रविवार को अवकाश रहने के कारण नामांकन दाखिल नहीं किया जा सकता। जिसे लेकर 30-31 मई यानि सोमवार और मंगलवार तक ही नामांकन दाखिल किए जा सकेंगे।

इस महत्वपूर्ण विषय पर चुनाव अधिकारी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे आरके नांदल से विशेष बातचीत हुई। बता दें, छह साल पहले हुए राज्यसभा सांसद चुनाव के स्याही कांड में आरके नांदल ही फंसे थे, दो चुनावों के बाद इस बार राज्यसभा चुनाव के लिए विधानसभा सचिव आरके नांदल को रिटर्निंग अधिकारी लगाकर चुनाव आयोग ने भरोसा फिर से जताया है। स्याही कांड के कारण भाजपा समर्थित आजाद प्रत्याशी सुभाष चंद्रा जीत गए थे और कांग्रेस-इनेलो के संयुक्त उम्मीदवार आरके आनंद को हार का मुंह देखना पड़ा था। इस बार भाजपा फिर से अपने दूसरे उम्मीदवार को जिताने के अथक प्रयासों में हैं। आंकड़े साफ जाहिर कर रहे हैं कि अगर कांग्रेस की आपसी फूट और नए संगठन के कारण नाराजगी को ना संभाला गया तो कांग्रेस का खेल इस चुनाव में खराब हो सकता है।

चुनाव अधिकारी आरके नांदल ने बताया कि इन चुनावों के लिए भारत का नागरिक और मतदाता होना आवश्यक है और उम्मीदवार बैंक करप्ट नहीं होना चाहिए। इसके साथ साथ 10 विधायक उसे चुनाव लड़ने के लिए प्रपोज करें। वह व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है। एक विधायक वोट की वैल्यू 100 है। कितने सदस्यों ने वोट डाले हैं, उस अनुपात से गिनती करके फैसला घोषित होता है। उन्होंने बताया कि 31 मई को 3 बजे तक नामांकन दाखिल करने का अंतिम समय है। अगर उम्मीदवार केवल दो ही रहे, तो निर्विरोध वह विजेता घोषित हो जाएंगे और अगर उम्मीदवार 3 रहे तो आयोग पूरी सतर्कता से वोटिंग संपन्न करवाएगा।

इलेक्शन कमीशन की गाइडलाइन पूरी सतर्कता और सख्ती से लागू की जाएंगी। प्रॉपर वीडियोग्राफी के साथ वोटिंग होगी। स्याही बदलने जैसे मामले को लेकर आयोग पूरी तरह से सतर्क रहेगा। अपनी तरफ से पैन उपलब्ध करवाने के बावजूद वीडियोग्राफी के साथ-साथ केबिन के पास दो अधिकारियों की स्पेशल ड्यूटी लगाई जाएगी। जो हर मिनट नजर रखेंगे। उन्होंने बताया कि इन चुनावों में व्हिप जारी नहीं हो सकती। पार्टी द्वारा ऑथराइज एजेंट को वोट दिखाना इसमें आवश्यक होता है। अगर कोई मतदाता एजेंट को वोट नहीं दिखाता और एजेंट उसकी शिकायत करता है तो वह वोट रद्द माना जाएगा।

बता दें कि इस चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों दल अपनी-अपनी मैराथन बैठकें करने में लगी हुई है और दोनों में से अभी कोई भी उम्मीदवारों को लेकर अपने पत्ते नहीं खोलना चाहती। कांग्रेस पार्टी द्वारा उम्मीदवार चयन को लेकर हाईकमान पर फैसला छोड़ने की चर्चा मिल रही है। वहीं भाजपा कांग्रेसी विधायकों में सेंधमारी करके दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने को लेकर जी तोड़ कोशिशों में है। विधानसभा सदस्यों की गिनती अनुसार भाजपा और कांग्रेस का 1-1 राज्यसभा सांसद पक्का है। लेकिन वर्तमान की स्थिति अनुसार भाजपा के पास 40, गठबंधन साथीदल जजपा के पास 10 और निर्दलीय सात में से छह विधायकों का समर्थन भी भाजपा को है। अभय चौटाला और बलराज कुंडू की स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं है कि समर्थन किसको देंगे। जबकि 31 विधायकों वाली कांग्रेस में संगठन बदलाव के कारण सेंधमारी के आसार बहुत अधिक हैं। कुमारी शैलजा समर्थित विधायक अंदरूनी तौर पर नाराज है और कुलदीप बिश्नोई जैसे विधायक खुलकर अपने ट्वीट के माध्यम से अपनी नाराजगी स्पष्ट कर चुके हैं। ऐसे में अगर मौजूदा हालात कांग्रेस नहीं संभाल पाई तो बना बनाया खेल कांग्रेस का बिगड़ना तय है।

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Content Writer

Manisha rana

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