दीपक की शहादत से बुझा परिवार का कुलदीपक, पंचतत्व में हुए विलीन, अंतिम दर्शनों को उमड़ा जनसैलाब

punjabkesari.in Friday, Jan 29, 2021 - 03:03 PM (IST)

रेवाड़ी (महेंद्र): दक्षिण कश्मीर के कुलगाम के शमसीपोरा हाईवे पर गश्त कर रहे सुरक्षाबलों के दस्ता आईईडी विस्फोट की चपेट में आ गया, जिसमें कोसली क्षेत्र के गांव जुडडी निवासी दीपक कुमार शहीद हो गए, वहीं तीन अन्य जवान घायल हो गए। दीपक की शहादत के बाद जहां दो बहनों पर से भाई का साया उठ गया, वहीं अपने माता पिता का इकलौता बेटा चला गया, तो 10 वर्षीय रोहन के सिर से पिता का सहारा छिन गया। शहीद की पत्नी पिंकी का रो रोकर बुरा हाल है, मगर फिर भी वह अपने बेटे को जरा सा अहसास नहीं होने दे रही है कि रोहन के पिता अब इस संसार में नहीं रहे हैं। 

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शहीद दीपक की पत्नी पिंकी बोली दुश्मनों के खात्मे के लिए में अपने इकलौते बेटे को भी सेना में भर्ती कराउंगी। शुक्रवार को शहीद दीपक का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव जुडडी पहुंचा। गांव के लाल के अंतिम दर्शानों के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो गांव का मौहोल गमगीन हो गया, साथ ही भारत माता की जयकारों से गूंज उठा।

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इस अवसर पर पहुंचे सहकारिता मंत्री बनवारी लाल ने कहा की सरकार की तरफ से 50 लाख रूपये और एक नौकरी के साथ ही अन्य सुविधाएं भी शहीद के परिवार को उपलब्ध कराई जाएंगी। दीपक की साहदत पर हमें गर्व है। उन्होंने कहां की कोसली सैनिकों की खान है, यहां का हर बेटा सेना में जाने का इच्छुक हैं। शहीद के बेटे रोहन ने कहा की में भी बड़ा होकर अपने पिता की तरह सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करूंगा।

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बता दें कि गांव जुडडी के रहने वाले दीपक कुमार 23 जून 2005 को 12 आमर्ड रेजिमेंट में बतौर सैनिक भर्ती हुए थे, इनके पिता स्वर्गीय श्रीकृष्ण भी सीआरपीएफ से सेवानिवृत रहे हैं। साल्हावास स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से दस जमा दो पास करने वाले दीपक की माता राज देवी ने अपने इकलौते बेटे को देश सेवा के लिए तैयार किया था। सितंबर 2019 से दीपक कुलगाम में 24 आरआर बटालियन में तैनात थे। बुधवार की सुबह दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में सेना की रोड ओपनिंग पार्टी पर आतंकियों द्वारा आईईडी से किए गए हमले में दीपक देश के लिए शहीद हो गए। 

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बुधवार को ही सेना द्वारा दीपक के परिजनों को शहीद होने की सूचना दे दी गई थी, मगर गुरूवार की शाम तक भी दीपक का शव गांव नहीं पहुंच पाया था। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंचा, जहां उनका राजकीय समान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान हर किसी की आंख नम हुई।

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vinod kumar

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