सजाएं पूरी करने के बावजूद जेलों में कैद सिख बंदियों की रिहाई को सौंपा ज्ञापन

punjabkesari.in Sunday, Aug 14, 2022 - 11:35 AM (IST)

सिरसा: पिछले लंबे समय से अपनी सजाएं पूरी करने के बावजूद भी भारत सरकार द्वारा नाजायज तौर पर जेलों में बंद रखे गए सिख बंदियों की रिहाई की मांग पंजाब के बाद अब हरियाणा में भी जोर पकड़ने लगी है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से संबंधित सिरसा के गुरुद्वारा साहिब पातशाही दसवीं की प्रबंधक कमेटी की ओर से सिख बंदियों की रिहाई की मांग को लेकर प्रधान प्रकाश सिंह साहुवाला की अध्यक्षता में उपायुक्त सिरसा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

प्रधान प्रकाश सिंह ने बताया कि आबादी के हिसाब से सिखों का देश की संख्या का कुल 2 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद भी 80 प्रतिशत से अधिक कुर्बानियां हैं। इतनी कुर्बानियां देने वाली कौम के साथ पिछले 75 वर्षों से अपने ही देश में बेगानों वाला व्यवहार किया जा रहा है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण पिछले 3 दशकों से जेलों में बंद सिख बंदी हैं, जिन्हें उनकी सजाएं पूरी हुए दोगुने समय हो जाने के बाद भी रिहा नहीं किया जा रहा है।

 

सिखों की शहादतों के बदले सरकार ने की नाइंसाफी

साहुवाला ने बताया कि ये वे बंदी सिख हैं, जिन्होंने 1984 में उस समय की कांग्रेस सरकार द्वारा सिखों के गुरुधामों पर किए गए फौजी हमलों के रोष में संघर्ष का रास्ता चुना था, जिनको रिहा न कर सरकार द्वारा सिखों के साथ लगातार सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। यह मानवीय अधिकारों का हनन है। प्रकाश सिंह ने बताया कि देश के बंटवारे के समय 250 से ज्यादा ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब पाकिस्तान में रह गए और सिखों को अपनी जमीनें, घर, कारोबार भी छोड़ने पड़े और आजादी के बाद भी देश की सरहदों पर पाकिस्तान व चीन के साथ हुए युद्धों में देश की शान को कायम रखने के लिए सिख जनरलों ने सबसे ज्यादा शहादतें दीं। भारत सरकार ने इस अहसान के बदले सिखों के साथ सदा बेइंसाफी की है।

सिखों को करवाया जा रहा गुलामी का अहसास
उन्होंने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी के पावन प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंदी सिखों की रिहाई का ऐलान किया था, लेकिन अभी तक उन्होंने भी अपना वायदा नहीं निभाया। आज देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और सिखों को अभी तक गुलामी का अहसास करवाया जा रहा है। अब सिख कौम यह बेइंसाफी सहन नहीं करेगी और पुरजोर तरीके से बंदी सिखों की आवाज को उठाएगी। इस मौके पर बाबा संतोख सिंह, कथावाचक गुरपाल सिंह, गुरदीप सिंह बाबा, गुरचरण सिंह साहुवाला, गुरतेज सिंह, संत प्रकाश सिंह, लखविंद्र सिंह औलख सिरसा, अंग्रेज सिंह कोटली, गुरतेज सिंह, जसप्रीत सिंह बबला, मेहर सिंह, परमिंद्र सिंह व सिख समर्थक मौजूद रहे।

 

 


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Content Writer

Isha

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