पानी के भाव में बिक रहा दूध, पशुपालकों के साथ-साथ छोटे कारोबारी भी कर्ज में डूबे

punjabkesari.in Saturday, Jan 02, 2021 - 06:38 PM (IST)

डबवाली (संदीप): देश में लॉकडाउन खत्म हुए अब काफी समय बीत गया है। देश अब लगभग पूरी तरह से अनलॉक हो चुका है। जिंदगी भी अब दोबारा पटरी पर आ चुकी है। लेकिन इन सबके बावजूद पशुपालकों की अर्थव्यवस्था पूरी तरहा से पटरी से उतर चुकी है। आलम ये है कि पशुपालकों का दूध का रेट तकरीबन पानी की बोतल के बराबर हो गया है। हालांकि शहरों में लोगों को जो दूध बेचा जा रहा है उसके भाव में कोई कमी देखने को नहीं मिल रही है। शहरों में भले ही दूध 55 रुपये प्रति लीटर ही मिल रहा है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों को दूध के कम भाव और डेरी संचालकों की कमर तोड़ कर रख दी है। आलम ये है कि कई छोटे दूध कारोबारी तो कर्ज में डूब चुके हैं। 

1 लीटर पानी के बोतल के भाव में दूध
डबवाली के संगरिया रोड पर पशुपालन का काम करने वाले भंवर लाल के मुताबिक उनके पास राठी नस्ल की 45 गाय हैं। भंवर लाल बताते हैं कि दूध के कारोबार में पशुपालकों को बहुत बुरा हाल है। पशुपालक दूध के काम में भयंकर मंदी की चपेट में है। पशुपालन में पशुओं को खिलाए जाने वाला दाना 22 रुपये किलो है, जबकि दूध का भाव 23 रुपये से 25 रुपये किलोग्राम है। इस भाव में पशुपालक पशुओं पर खर्च होने वाला पैसा ही बड़ी मुश्किल से कमा पा रहे हैं। ऐसे में पशुपालक अपने घर और बच्चों के खर्चे के लिए पैसा कहां से लाए। 

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भंवर लाल ने कहा कि दूध के भाव में अब भी तेजी नहीं है। नकली दूध का कारोबार फल-फूल रहा है। ऐसे में सरकार को नकली दूध के कारोबार पर नकेल कसनी चाहिए। भंवर लाल ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार पशुपालकों के लिए दूध का भाव फिक्स करे। ताकि पशुपालकों को आर्थिक संकट से निकाला जा सके। भंवर लाल के मुताबिक उनके पशुओं से रोजाना वे 1000 लीटर दूध का उत्पादन लेते हैं। लेकिन पशुओं को खिलाने वाले दाने का भाव तेज होने और दूध का दाम कम होने के कारण उन्हें नुक्सान उठाना पड़ रहा है। जो लोग कहते हैं कि पशुपालन में कमाई है वे एक महीनें उनकी गायें रख लें और उन्हें नौकरी पर रख लें पता चल जाएगा कि दूध के काम में पशुपालकों को कमाई है या नुकसान है। 

15 लाख का मिल्क चिलिंग प्लांट हुआ बेकार
छोटे दूध कारोबारी भारू राम गाट ने लॉकडाउन से कुछ महीने पहले ही दूध का कारोबार शुरू किया था। उन्होंने 15 लाख रुपये का निवेश करके एक दूध चिलिंग प्लांट लगाया। कुछ महीने दूध का कारोबार ठीक चला। लेकिन कारोना के कारण अचानक लगाए गए लॉकडाउन ने दूध की कीमतों को पानी के भाव के बराबर लाकर खड़ा कर दिया। दूध की मांग बंद होने के कारण भारू राम का दूध कारोबार पूरी तरह से तबाह हो गया। दूध को लंबे समय तक खराब होने से बचाने के लिए लाखों रुपयों से खरीदी गई चिलिंग मशीन आज भी धुल फांक रही है। 

भारू राम गाट ने कहा कि बड़ी कंपनियों ने तो लॉकडाउन के दौरान भी पूरा फायदा उठाया। शहरों में ग्राहकों को दूध 50 से 55 रुपये लीटर ही बेचा गया, लेकिन किसानों और छोटे दूध कारोबारियों को दूध की उचित कीमत नहीं दी गई। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद आज भी उनका दूध का कारोबार पटरी पर नहीं आ पाया है। पशुपालकों से वे जो दूध 23 रुपये से 25 रुपये लीटर में खरीद रहे हैं, उसे बड़ी कंपनियां उनसे 29 रुपये लीटर के भाव तक ही खरीद रही हैं। इसके अलावा उनका चिलिंग प्लांट भी अब बंद हो गया है।


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vinod kumar

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