''हरियाणा सरकार में सैकड़ों करोड़ का खनन घोटाला, ग्राम पंचायतों व किसानों को नहीं मिल रहा हक''

punjabkesari.in Monday, Jul 13, 2020 - 03:24 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष व राज्य सरकार में चेयरमेन रह चुके विजय बंसल एडवोकेट ने हाईकोर्ट के अपने वकील रवि शर्मा के माध्यम से हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव को एक कानूनी नोटिस भेजकर खनन माफिया व माइनिंग विभाग के अफसरों की मिलीभगत से सैंकड़ों करोड़ के खनन घोटाले होने का आरोप लगाया है। विजय बंसल ने कानूनी नोटिस में कहा है कि खनन माफिया व राज्य सरकार के अफसरों की मिलीभगत से हरियाणा मिनरल्स वेस्टिंग ऑफ राइट्स एक्ट 1973 व रूल्स 1979 के प्रावधानों की उल्लंघना कर ग्राम पंचायतों, किसानों व जमीन मालिकों को उनका हक न देकर राज्य सरकार समेत लोगों को सैकड़ों करोड़ के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। 

बंसल ने मांग की है कि बिना किसी विलम्ब के मिनरल्स एक्ट 1973 व रूल्स 1979 के प्रावधानों को लागू किया जाए व एक महीने के भीतर निजी जमीन मालिकों, किसानों व ग्राम पंचायतों को भरपाई के लिए 10 पिछले ठेकों के आधार पर प्रदेशभर में मुआवजा दिया जाए। बंसल का तर्क है कि यदि यह पैसा ग्राम पंचायतों को दिया जाता तो कहीं न कहीं विकास को गति मिलती और पंचायतों के पास आर्थिक संसाधन बढ़ते। यदि उनके लीगल नोटिस पर कार्रवाई नहीं की गई तो फिर वह पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की शरण लेंगे।

schools without thermal scanning and teachers vijay bansal

विजय बंसल द्वारा अवैध खनन की रोकथाम के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका न 20134/2004 के अंतर्गत 2009 के आदेशों के बाद राज्य सरकार ने 2012 में हरियाणा माइनर मिनरल्स, कन्सेशन, स्टॉकिंग, ट्रांसपोर्ट ऑफ मिनरल्स व प्रिवेंशन ऑफ इल्लीगल रूल्स 2012 बनाया जिससे विभिन्न तरह के मिनरल कन्सेशन, स्टोरेज व मिनरल्स के ट्रांसपोर्टेशन व अवैध माइनिंग की रोकथाम के लिए रेगुलेशन ग्रांट किए गए। इसके बाद माइनिंग विभाग ने हरियाणा मिनरल्स वेस्टिंग ऑफ राइट्स रूल्स 1979 के प्रावधानों को दरकिनार करके खनन के लिए लीज पर दिए जाने वाले ठेके देने शुरू कर दिए।

विजय बंसल का आरोप है कि खट्टर-दुष्यंत राज में यह सारा काम केवल मात्र खनन माफिया व ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए गैर कानूनी रूप से किया जा रहा है, क्योंकि एक्ट के अनुसार जमीन मालिकों या ग्राम पंचायत को पहले कम से कम लीज अमाउंट की 10 प्रतिशत राशि मुआवजे के रूप में देनी जरूरी होती है। बंसल ने इस सम्बंध में माइनिंग विभाग की कार्यशैली को गैर कानूनी बताते हुए मिनरल्स एक्ट 1973 की उल्लंघना बताया है और वहीं जमीन मालिकों के सविंधान के अनुच्छेद 21 व 300 ए की भी अवेहलना बताते हुए सभी ठेकों व एलोआइस को गैर कानूनी बताया है।

उदाहरण से समझिए क्या और कैसे होता है घोटाला...
बंसल के अनुसार उदाहरण के तौर पर इस घोटाले को विस्तारपूर्वक समझाया गया कि सरकार ने एक जमीन रॉयल्टी पर माइनिंग के लिए किसी ठेकेदार को 10 करोड़ के ठेके पर दी, जिसमें से एक्ट के अनुसार ठेके की 10 प्रतिशत राशि यानी 1 करोड़ लीज पर लेने से पहले ही जमीन मालिक या फिर श्यामलात जमीन की राशि ग्राम पंचायत को मिलनी चाहिए परन्तु ऐसा न होकर सरकारी अफसरों व खनन माफिया की मिलीभगत से न तो किसान को न ही ग्राम पंचायत को वो 10 प्रतिशत राशि मिलती है। भ्रष्टाचार की शक्ल में कुछ पैसा अफसरों व प्रभावशाली लोगों की जेब मे ठेकेदार द्वारा दे दिया जाता है, जिसके बाद जमीन मालिक किसानों को ठेकेदार से ही पैसे क्लेम करने की हिदायत देकर झूठे मुकदमे दर्ज करवाकर दबा दिया जाता है।

क्या है हरियाणा मिनरल्स वेस्टिंग ऑफ राइट्स एक्ट 1973 का उद्देश्य
एक्ट का उद्देश्य बताते हुए विजय बंसल ने कहा कि इसके अनुसार मिनरल राइट्स राज्य सरकार के पास होते हैं व मिनरल्स के मालिकों को राशि देने के प्रावधान दिए गए हैं। इस एक्ट की मान्यता को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने भी विभिन्न केसों में जजमेंट दिए हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Shivam

Recommended News

Related News

static