लचर शिक्षा व्यवस्था होने के चलते चार लाख से ज्यादा विद्यार्थियों ने छोड़ा सरकारी स्कूल: वर्मा

punjabkesari.in Tuesday, Jun 29, 2021 - 11:28 PM (IST)

ऐलनाबाद  ( सुरेंद्र सरदाना ): 'हरियाणा के सरकारी स्कूलों में लचर शिक्षा व्यवस्था होने के चलते लगभग चार लाख छात्रों ने हरियाणा के सरकारी स्कूलों से लघभग चार लाख विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल छोड़ निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रवेश लिया है। जिस के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी जवाब देही सुनिश्चित करें।' यह बात आम आदमी पार्टी के हरियाणा जोन प्रभारी कृष्ण वर्मा ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए की। 

कृष्ण ने कहा कि प्रदेश सरकार हरियाणा के सरकारी स्कूलों की दशा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा लागू मॉडल की तरह से सुधारनी चाहिए, ताकि अधिक के अधिक बच्चे प्राइवेट स्कूलों की बजाए, सरकारी स्कूल में पढऩे के लिए आए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ के लिए सबसे अधिक बजट रखा हुआ है। दिल्ली की शिक्षा मॉडल को देखने के लिए विदेशों तक के प्रतिनिधि आकर उसको अपने यहां लागू करने की बात करते है। वहीं दिल्ली से सटा हरियाणा इससे कोई सीख लेने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि हरियाणा में अभी तक 4 लाख से अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूलों को छोड़ दिया है। 

उन्होंने कहा अगर प्रदेश सरकार की नीयत साफ हो तो यह बच्चे सरकारी स्कूलों से जोड़े जा सकते है। लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा, जब हम उनको बेहतर माहौल और शिक्षा प्रदान करें। इसके लिए हरियाणा सरकार को हर साल शिक्षा बजट में बढ़ोतरी करनी होगा। दूसरा सरकारी स्कूलों की दशा में गुणात्मक सुधार लाना होगा। प्राथमिक व प्राइमरी स्कूलों को पहले से अधिक बेहतर सुविधाओं देकर छात्रों को स्कूलों तक लाना होगा। जबकि प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों को सरकार ने लगभग बंद ही कर दिया है। 

उन्होंने बताया कि गत वर्ष शिक्षा मंत्री ने सार्वजनिक तौर पर कई बार इस बात पर खुशी जाहिर की थी कि 2020 में दो लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया। अब उन्हीं का शिक्षा विभाग कह रहा है कि 2021 में पिछले शिक्षा सत्र के मुकाबले चार लाख से ज्यादा बच्चे सरकारी स्कूलों में कम हो गए हैं। इनमें पलवल जिले के ही 20957 बच्चे शामिल हैं। इसी प्रकार मुख्यमंत्री के गृह जिले करनाल से 22740 व शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के गृह जिले यमुनानगर से 20191 छात्र भी शामिल बताये गए हैं। इस स्थिति से घबराए पंचकूला में बैठे उच्च अधिकारियों ने आनन-फानन में वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारियों को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार मानते हुए, इन बच्चों को ढूंढने और उनको पुन: सरकारी स्कूलों में वापिस लाकर छात्रों की संख्या बढ़ाने के हर संभव प्रयास करने के आदेश दिए हैं। इससे साफ हो जाता है कि हरियाणा में शिक्षा का स्तर कितना गिर गया है। 

उन्होंने कहा कि इस शर्मनाक स्थिति के लिए सरकार अपने को कसूरवार नहीं मान रही है। दरअसल सरकार ने सरकारी स्कूलों को एक प्रयोगशाला बना दिया है। सरकारी स्कूलों की दशा में सुधार कराने के लिए कई निरंतर प्रयोग किए जाते हैं। वर्मा ने आगे कहा कि ऐसी बात भी नहीं है कि सरकारी स्कूलों की दशा में सुधार नहीं हो सकता। इसके लिए सरकार को अपनी नीयत साफ रखनी होगी। दूसरा बेहतर सुविधाओं के साथ बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच एक भरोसा कायम करना होगा, तभी हम प्रदेश से अशिक्षा को दूर भाग सकेंगे।
 

(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Shivam

Recommended News

Related News

static