नकल रोकने पर बने नए कानून में पहले से ज्यादा होगी सजा: बलदेव राज महाजन

punjabkesari.in Monday, Aug 30, 2021 - 08:49 AM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश की सभी हाईकोर्टस को कुछ समय पहले विधायकों, पूर्व विधायकों, सांसदों और पूर्व सांसदों के मामलों के जल्द निपटान संबंधी डायरेक्शन दी गई थी। यह क्या थी? इसमें एजी ऑफिस का क्या रोल है? मॉनसून सेशन में सरकार द्वारा नकल रोकने संबंधी विधेयक क्या है? इसमें आईपीसी के तहत होने वाली कार्यवाही से क्या भिन्नता है? सरकार द्वारा बनाए गए पंचायतों में महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण के बिल का स्टेटस क्या है? अलग विधानसभा और अलग हाईकोर्ट को लेकर सरकार किस प्रकार के कदम उठाने वाली है? इस प्रकार कई कानूनी पहलुओं पर हरियाणा सरकार के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन से पंजाब केसरी ने विशेष बातचीत की। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न : विधायकों, पूर्व विधायकों, सांसदों, पूर्व सांसदों के केसों को जल्द निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद हरियाणा के लिए क्या गाइडलाइन जारी की गई है ?
उत्तर : 
सुप्रीम कोर्ट पूरे देश में विधायक, सांसद एवं पूर्व विधायक, पूर्व सांसदों के खिलाफ केसों की स्पेशल मॉनिटरिंग कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को डायरेक्शन दी है कि नीचे की सभी कोर्ट में पेंडिंग इस प्रकार के केसों की मॉनिटरिंग खुद हाईकोर्ट की बेंच करें। सुप्रीम कोर्ट की डायरेक्शन पर हमारी हाईकोर्ट की भी एक स्पेशल बेंच मॉनिटरिंग करती है। एक रिट पिटिशन रजिस्टर्ड की गई है। उसकी मंथली हियरिंग होती है। जिसमें पंजाब- हरियाणा- चंडीगढ़ से जुड़े किसी भी प्रकार के क्रिमिनल केस चाहे विधायक, सांसद या पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों के खिलाफ हैं उसे मॉनिटरिंग हाईकोर्ट करता है। केस बहुत ज्यादा होने के कारण हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सुपरविजन के बावजूद देरी हो रही थी। इसलिए हाईकोर्ट ने स्पेशल दो बेंच बनाए।एक सिंगल बेंच जिसमें क्रिमिनल केस सुने जाएंगे। दूसरी डिवीजन बेंच जिसमें अन्य प्रकार के केसों की सुनवाई की जाएगी। यदि किसी कोर्ट द्वारा प्रोसिडिंग स्टे की गई है तो वह प्रोसीडिंग या तो वोकेट की जाएगी, अगर नहीं तो उसकी हियरिंग हाईकोर्ट डे-टु-डे करेगा।

प्रश्न : इससे आपके कार्यालय की सिरदर्दी भी बड़ी होगी। अब तक कुल कितने केस हरियाणा से आए होंगे ?
उत्तर : 
हमारे हाईकोर्ट में बहुत ज्यादा केस विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, पूर्व सांसदों के खिलाफ पेंडिंग नहीं है। कुछ इन्वेस्टिगेशंस में केस हैं या कुछ नीचे की की कोर्ट में ट्रायल पर चल रहे हैं। उनकी सुपरविजन हाई कोर्ट में हो रही है। उस नाते से कुछ लोगों द्वारा कुछ केसों में अपील किए जाने पर हाईकोर्ट केस को कंसीडर करने के बारे में विचार करती है। जो पॉइंट बेस कर रहे हैं। कई बार नीचे की कोर्ट में प्रोसिडिंग स्टे हो जाती है तो ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की डायरेक्शन के अनुसार ऐसे केसों की हियरिंग नीचे वाली कोर्ट में डे टुडे की जाएगी। इनके केसों के लिए स्पेशल प्रावधान किया गया है। एक स्पेशल बेंच बनाया गया है। जो डे टू डेट कैस सुने। चाहे सिंगल बेंच में केस हो या डिवीजन बेंच में।

प्रश्न : हरियाणा सरकार के बिहाफ़ पर लोकल और सेशन कोर्ट की भी मॉनिटरिंग क्या एजी ऑफिस की ही रहती है ?
उत्तर : 
इन्वेस्टिगेशन केस तो पुलिस के पास ही रहते हैं। वह एडवोकेट जनरल के कार्यालय में नहीं आते। अगर उनमें से कोई केस हाई कोर्ट में पेंडिंग हो वह तभी होते हैं। क्योंकि नॉर्मल इन्वेस्टिगेशन करने के बाद चालान मजिस्ट्रेट के पास या सेशन कोर्ट में फाइल होना होता है और ज्यादातर केस वही पेंडिंग है। इसलिए एडवोकेट जनरल को डायरेक्शन नहीं दी गई। डायरेक्शन हाईकोर्ट को किसी भी कोर्ट में पेंडिंग केसों की मॉनिटरिंग के लिए दी गई है इस कारण से एजी ऑफिस भी डायरेक्टली इंवॉल्व हो जाता है।सीनियर पुलिस अधिकारी को भी कोर्ट की डायरेक्शन के मुताबिक हाजिर होने के लिए कहा जाता है। किस केस में क्या-क्या कार्यवाही हुई ? क्या स्टेज है ?पिछली डेटो से अगली डेट तक सारी डेवलपमेंट सामने रखनी होती है।

प्रश्न : क्या आपको याद है कि इसमें अगली डेट कौन सी है?
उत्तर : 
अभी जो डिवीजन बेंच सारे केसों को मॉनिटर कर रहा है, उसमें अगली डेट 3 सितंबर 2021 है।

प्रश्न : हरियाणा सरकार द्वारा नकल रोकने वाले विधेयक बनाए जाने को कैसे देखते हैं?
उत्तर : 
यह एक बहुत अच्छा कदम है। क्योंकि किसी भी रिक्रूटमेंट के टेस्ट कराने के लिए प्रार्थी लाखों में होते हैं। उन्होंने बहुत मेहनत की होती है और लास्ट मूवमेंट पर पेपर लीक हो जाता है तो विद्यार्थियों की बड़ी हानि होती है। पेपर की तैयारी में आया खर्च भी वेस्ट हो जाता है। रिक्रूटमेंट भी डिले हो जाती है। एक दो घटनाएं लगातार हुई। कुछ लोगों का षड्यंत्र भी सामने आया। इसलिए सरकार ने इस अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ मजबूत और सख्त कार्यवाही करने के लिए मजबूत प्रावधान किया है। इन केसों में शामिल लोगों की प्रॉपर्टी भी अटैच की जा सकती है। ताकि पेपर लीक आउट होने से होने वाली हानि इन लोगों से रिकवर की जा सके। साथ ही साथ रूटीन से ज्यादा सख्त सजाएं भी इसमें शामिल की गई हैं। तुरंत उनके खिलाफ एक्शन लेने का भी प्रावधान किया गया है।

प्रश्न : जब आईपीसी में पहले से ही कानून है तो फिर नए कानून की आवश्यकता क्यों समझी गई?
उत्तर : 
आईपीसी में रूटीन में जरूर प्रावधान है। लेकिन ऐसे प्रावधानों में सालों साल लग जाते हैं। नए कानून में एक नई व्यवस्था की गई है। जिसमें स्पेशल जांच होगी। पहले से ज्यादा सजा का प्रावधान होगा। इसमें स्पेशल प्रोविजन जोड़ी गई है। क्योंकि प्रार्थीयों की भी भारी हानि होती है। लाखों प्रार्थीयों का कई बार करोड़ों का खर्च होता है। पेपर लीक होने की वजह से वह कैंसल करना पड़ता है। देश केे करोड़ों रुपए खराब हो जाते हैं। इस एक्ट में यह प्रोविजन ऐड की गई है कि जो भी आर्थिक हानि होगी, इस अपराध में संलिप्त पाए जानेे वाले लोगों की प्रॉपर्टी अटैच की जा सकती हैं। उनसे रिकवरी की जा सकती है। पहले आईपीसी में रिकवरी को लेकर कोई प्रावधान नहीं था। इस अपराध को और गंभीर बना दिया गया है। ताकि लोग इस अपराध से बचें।

प्रश्न : महिलाओं को पंचायतों में 50 फ़ीसदी आरक्षण का मामला हाईकोर्ट में लंबित है। उसका स्टेटस क्या है?
उत्तर : 
महिलाओं का आरक्षण पंचायतों में करने के लिए सरकार ने किया था। उसे कोर्ट में चैलेंज किया गया है। जिस पर एग्जामिन चल रही है। कोरोना के कारण हियरिंग नहीं हो पाई। सरकार की महिलाओं को 50 फ़ीसदी रिप्रेजेंटेशंस देने की सोच है और कॉन्स्टिट्यूशनल प्रोविजन भी यह है। यह की जा सकती है। सरकार ने ऑड-इवन का फार्मूला चुनावों में फाइनल भी किया था। ताकि इस बार जो सीट महिलाओं को मिले, अगली बार दूसरे व्यक्ति को मिल सके। यह एक अच्छा प्रावधान है। एक कोर्ट उसकी कॉन्स्टिट्यूशनली वैलिडिटी और लीगलिटी फाइनल कर रही है।

प्रश्न : अलग हाइकोर्ट की मांग बहुत पुरानी है। उसकी स्थिति आज क्या है?
उत्तर : 
सरकार ने यह मुद्दा केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में उठाया था। लास्ट मूवमेंट पर यह रह गया था। लेकिन पिछले डेढ़ साल से कोरोना काल रहा है। दफ्तरों और कोर्ट की फिजिकली वर्किंग नहीं है।इसलिए ज्यादा डेवलपमेंट नहीं हो सकी। जब कोर्ट फिजिकली काम शुरू करती है और दोबारा इस मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से पैरवी की जाएगी।

प्रश्न : अलग विधानसभा की बिल्डिंग को लेकर भी स्पीकर द्वारा केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात की गई?
उत्तर :
हरियाणा और पंजाब की विधानसभा की बिल्डिंग जॉइंट है। अलग बिल्डिंग होनी चाहिए। उसके लिए विधानसभा अध्यक्ष देश और केंद्र स्तर पर एक्टिविटी से कदम उठा रहे हैं। क्योंकि विधानसभा में भी समय के साथ टेक्नोलॉजी का प्रयोग बहुत जरूरी हो गया है। जो बिल्डिंग लेटेस्ट बनेगी आज की समय अनुसार जो भी उसमें जरूरत है वह मौजूद होगा। विधायक भी अपने क्षेत्र की डिमांड-जरूरतें अच्छी तरह से पेश कर पाएंगे।

प्रश्न : कोविड कॉल के बाद क्या न्यायालयों का काम सामान्य हो गया है?
उत्तर : 
हमारी हाईकोर्ट में सारी कोर्ट वर्किंग में है। वर्चुअल कोर्ट है। फिजिकली तो अभी संभव नहीं है। लेकिन दूसरी वेव आने से पहले कुछ ही कोर्ट काम कर रही थी। अर्जेंट केस ही सुने जा रहे थे। जिसमें 10-12 ही कोर्ट काम कर रही थी। लेकिन अब कॉविड में सुधार के बाद हाई कोर्ट में सभी जज सुबह से शाम तक वर्चुअल वर्किंग कर रहे हैं।

प्रश्न : क्या इंटरनेट की दिक्कतों से भी रूबरू होना पड़ता है?
उत्तर : 
टेक्नोलॉजी है कभी-कबार कमी आ भी सकती है। लेकिन सारी चुनौतियों के बावजूद हाईकोर्ट पूरा काम करने की कोशिश कर रही है। वकील भी इसमें पूरा सहयोग कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी है छोटी मोटी कनेक्टिविटी की दिक्कत हो भी जाती है तो कोर्ट और वकील सहयोग करते हैं। लेकिन उस कारण से वर्किंग डैफ़र नहीं होती। बीच में 5-10 मिनट का ब्रेक लग सकता है। कनेक्टिविटी नहीं होने पर कुछ कोर्ट फोन कॉल पर बात सुनती हैं। हमारी बार एसोसिएशन ने भी बहुत अच्छे प्रबंध किए हैं। कंप्यूटर लगाएं हैं।वीडियो कॉन्फ्रेसिंग की फैसिलिटी उपलब्ध है। दूरदराज के बहुत से वकील या फिर जिनके घरों में कनेक्टिविटी की कोई दिक्कत है वह हाई कोर्ट में भी आकर अलग-अलग कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केस कर सकते हैं। क्योंकि वर्चुअल कोर्ट में टेक्नोलॉजी से काम करते-करते काफी लंबा समय बीत गया है। बार एसोसिएशन फिजिकली कोर्ट के लिए भी प्रेस कर रही है।


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Content Writer

Manisha rana

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