हरियाणा विधानसभा का सत्रावसान हुए बगैर नहीं जारी हो सकता कोई नया अध्यादेश, जानिए कारण

punjabkesari.in Thursday, Aug 27, 2020 - 03:52 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र, जो पहले दो दिनों 26 अगस्त और 27 अगस्त के लिए होना तय हुआ था, परंतु सदन की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ( कार्य सलाहकार समिति) में इसे एक दिन के लिए ही करने जिसमें अति आवश्यक सरकारी और विधायी कार्य निपटाने एवं इसके बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर उसे आगामी किसी उपयुक्त तिथि को बुलाया का निर्णय किया गया जिसमें शेष कार्य संपन्न करवाए जाएंगे।

इसी विषय पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट एवं कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि भारत के संविधान के प्रावधान के अनुसार संसद और राज्यों की विधानमण्डल (विधानसभा और विधानस परिषद) के दो सत्रों के मध्य की अवधि छ: माह से अधिक नहीं होनी चाहिए। चूंकि इस वर्ष 2020 में हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र का 5 मार्च 2020 को सत्रावसान हुआ था, इसलिए आगामी 5 सितंबर से पहले हरियाणा विधानसभा का सत्र बुलाना संवैधानिक रूप से आवश्यक था। आज 26 अगस्त को हरियाणा विधानसभा का सत्र, चाहे एक दिन के लिए ही सही, लगा लिया गया है, इसलिए हरियाणा में हर छ: माह में सत्र बुलाने की संवैधानिक औपचारिकता पूरी कर ली गई है।

हेमंत ने बताया कि क्योंकि आज विधानसभा के स्थगित होने के बाद मौजूदा सत्र केवल अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया है एवं इसका सत्रावसान नहीं किया जाएगा, इसलिए सदन को अभी कानूनी एवं तकनीकी तौर पर चालू ही समझा जाएगा।

हेमंत ने बताया कि ऐसा करने का यह प्रभाव अवश्य होगा कि हरियाणा सरकार इस दौरान कोई भी नया अध्यादेश प्रदेश के राज्यपाल द्वारा जारी नहीं करवा पाएगी क्योंकि अध्यादेश तभी जारी करवाया जा सकता है, जब सदन न चल रहा हो। इसलिए अगर आगामी कुछ दिनों में हरियाणा सरकार को किसी तत्काल आवश्यकता या अपरिहार्य परिस्थितियों कारण राज्यपाल से कोई अध्यादेश जारी करवाना होगा, तो उससे पहले राज्यपाल से मौजूदा विधानसभा सत्र का सत्रावसान करवाना पड़ेगा।

इस संबंध में हेमंत ने बताया कि आज से 23 वर्ष पूर्व जब मार्च, 1997 में हरियाणा में बंसी लाल के नेतृत्व वाली हविपा-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान भी विधानसभा के तत्कालीन बजट सत्र का तब के राज्यपाल महावीर प्रसाद द्वारा सत्रावसान नहीं किया गया था। इसी बीच मई ,1997 में बंसी लाल सरकार ने राज्यपाल से दो अध्यादेश जारी करवा लिए परंतु कुछ दिनों में ही दो नई नोटिफिकेशनस जारी कर उन दोनों जारी अध्यादेशों को खारिज करवाना पड़ा था, क्योंकि सदन के सत्रावसान हुए बगैर कोई भी अध्यादेश जारी नहीं करवाया जा सकता। इस कारण उस सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।

लिखने योग्य है की गत चार महीनों में हरियाणा सरकार द्वारा राज्यपाल से कुल 10 अध्यादेश जारी करवाए गए, जिनमे से नौ इसी अगस्त माह में हुए है। सर्वप्रथम, 28 अप्रैल को हरियाणा जीएसटी (संशोधन) अध्यादेश, 2020, फिर इस माह 5 अगस्त को हरियाणा वैट (संशोधन) अध्यादेश, 2020 , 13 अगस्त को हरियाणा जीएसटी (दूसरा संशोधन) अध्यादेश, 2020, 17 अगस्त को हरियाणा नगर निगम (संशोधन) अध्यादेश, 2020, हरियाणा नगर निगम (दूसरा संशोधन) अध्यादेश, 2020, हरियाणा नगर पालिका (संशोधन) अध्यादेश, 2020, हरियाणा अग्निशमन सेवा  (संशोधन) अध्यादेश, 2020, फिर 18 अगस्त को हरियाणा ग्रामीण विकास (संशोधन) अध्यादेश, 2020 और  22 अगस्त को फैक्ट्रीज (कारखाना ) हरियाणा संशोधन अध्यादेश, 2020 और इंडस्ट्रियल डिस्प्यूटस (औद्योगिक विवाद ) हरियाणा संशोधन अध्यादेश, 2020 है। 

हरियाणा विधानसभा के सत्र में इनमें से फैक्ट्रीज अध्यादेश, 2020 और इंडस्ट्रियल डिस्प्यूटस अध्यादेश, 2020 को छोड़कर बाक़ी सारे अध्यादेश को विधेयक के रूप में सदन द्वारा पारित करने के लिए पेश किया गया। इसके अलावा आधा दर्जन विधेयक और भी पेश किए गए जिनमें से एक को सत्र की आगामी बैठक में चर्चा  के लिए टाल दिया गया है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Shivam

Recommended News

Related News

static