कोई मेरे काम को सराहे - जले या विरोध करें, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता :अनिल विज

punjabkesari.in Friday, Oct 14, 2022 - 04:20 PM (IST)

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): समय-समय पर प्रदेश-देश की राजनीति व अन्य मुद्दों को लेकर अपने विस्फोटक विचार बेहद बेबाक अंदाज में टि्वटर या अन्य माध्यमों से रखने वाले प्रदेश के गृह, स्वास्थ्य एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री अनिल विज एक बार फिर हिजाब को लेकर किए गए ट्वीट से राष्ट्रीय मीडिया सुर्ख़ियों में लगातार बने हुए हैं। इस ज्वलनशील मुद्दे को लेकर जहां राजनीतिज्ञ अपने निजी हितों और वोट बैंक के लालच में चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं समाज को प्रभावित करने तथा महिलाओं आजादी से जुड़े इस मुद्दे पर बिना नफा- नुकसान की परवाह किए अनिल विज ने अपने विचार प्रदर्शित करके बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों को जहां हैरान कर दिया है, वहीं इससे एक खेमे को मिर्ची लगना भी तय है।

इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर पंजाब केसरी द्वारा की गई बातचीत में अनिल विज ने इसे महिलाओं की आजादी पर कुठाराघात बताया। उन्होंने कहा कि महिलाओं पर पाबंदियों की बजाए आदमियों को अपने दिल पर पाबंदियां लगाने की जरूरत है। ऐसा ना कर पाने पर उन्होंने कोई साधु -संत खोजकर अपना मन मजबूत करने की कला सीखने की सलाह दी है। इस मौके पर उन्होंने बहुत से महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत की है। उन्होंने बंदे भारत ट्रेन, राहुल की पदयात्रा, ड्रीम प्रोजेक्ट डायल 112, 1857 की क्रांति के शहीदों के लिए बनने वाले स्मारक, अपने खुले दरबार, अंबाला के आगामी ड्रीम प्रोजेक्ट और इसके साथ साथ त्योहारी सीजन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दी गई गाइडलाइन को लेकर अपने विचार साझा किए। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रशन:- हिजाब से संबंधित अपने ट्वीट को लेकर थोड़ी व्याख्या करें ?
उत्तर:-
औरतों को देखकर पुरुषों का दिल काबू नहीं रहता था, इसलिए औरतों पर जबरदस्ती हिजाब डाल दिया गया। गलती तो पुरुषों की है। उन्हें अपना दिल मजबूत करना चाहिए। अपना मन ठीक करना चाहिए। अपना मन ठीक करने की बजाय औरतों को सिर से लेकर पैरों तक लाद दिया गया। यह बिल्कुल गलत है। यह एक नाइंसाफी है। अच्छा यह है कि अपने दिल को मजबूत करें। कोई साधु संत देख लें जो इनको मन मजबूत करना सिखाएं और औरतों पर से हिजाब की पाबंदी को हटाया जाना चाहिए।

प्रशन:-  पदयात्रा के दौरान राहुल गांधी भाजपा प्रदेश सरकारों पर नौकरियां बेचने जैसे मुद्दों को लेकर लगातार आक्रामक हैं ?
उत्तर:-
विपक्ष ने कुछ मुहावरे लिख रखे हैं। वही बातें बार-बार बोलते हैं। यह भी उनमें से एक बात है। कोई सिद्ध करके दिखाएं कि कहां नौकरियां बेची जा रही हैं। जिस स्थान पर पार्टी खड़ी है, बिना वेरीफाई किए उन्हें कोई बात नहीं बोलनी चाहिए।

प्रशन:- आपके अथक प्रयासों से अंबाला में बहुत विकास कार्य देखने को मिले, अब कौन से प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं ?
उत्तर:-
सबसे बड़ा हमारा प्रोजेक्ट जो अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट बनेगा, वह है 1857 की क्रांति अंबाला से शुरू हुई, जिसमें हजारों लोग मारे गए। लेकिन उन शहीदों की याद में कभी किसी ने कोई गीत नहीं गाया। मैंने सन 2000 में भी यह मुद्दा विधानसभा में उठाया था कि उन अनसुंग हीरोज की याद में कोई स्मारक बनाया जाए। मैंने सभी सरकारों में इस मुद्दे पर जोर दिया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में भी मुद्दा उठाया था। कुछ असर भी पड़ा। एक बार अंबाला में फाऊंडेशन स्टोन रखने की तारीख भी घोषित हुई। लेकिन इसे बनाया नहीं गया।

प्रशन:- क्या मानते हैं, उस समय इस पर कार्यवाही रुकने का कारण क्या था ?
उत्तर:-
क्योंकि कांग्रेस के लोगों ने हमेशा यही पाठ पढ़ाया कि आजादी की लड़ाई कांग्रेस ने लड़ी है। जबकि कांग्रेस का जन्म 1858 में हुआ। एक अंग्रेज 

ए ओ ह्यूम ने एक संस्था बनाई ताकि अंग्रेजों और हिंदुस्तानियों में छोटी मोटी बातचीत होती रहे। कांग्रेस के जन्म से 28 साल पहले 1857 में क्रांति आई थी। जिसे 70 सालों में कांग्रेस ने कभी याद नहीं किया।किसी कांग्रेसी नेता ने हुड्डा को रोका होगा, इसलिए हुड्डा पीछे हट गए। कहा होगा कि 70 साल में हमने जो किया उस पर पानी फिर जाएगा। उसके बाद केंद्र और प्रदेश में हमारी सरकार आ गई। मैंने मुख्यमंत्री के सामने सारी बात रखी। समझाई कि इसके दस्तावेज भी मौजूद हैं। मेरठ से 10 घंटे पहले अंबाला छावनी में सैनिक हथियार लेकर बैरिक से बाहर आ गए थे और अंग्रेजो के खिलाफ बगावत की घोषणा कर दी थी। हालांकि वह उस लड़ाई को बगावत कहते थे। लेकिन वह हमारी आजादी की लड़ाई थी। हालांकि प्लान लीक होने के कारण उन्हें वहीं रुकना पड़ा। जो होना था, वह नहीं हो पाया और अंग्रेजों ने उन पर जुल्म ढाए। हम उन सभी की याद में शहीदी स्मारक बनाना चाहते हैं। जिस पर 500 करोड रुपए की लागत आएगी। इसमें उस दौरान क्या कुछ हुआ, वह सब कुछ प्रदर्शित किया जाएगा। आंदोलन के वक्त देश की आर्थिक स्थिति - सामाजिक ढांचा किस प्रकार का था, वह दिखाया जाएगा।


प्रशन:-  कब तक कंप्लीट होने की संभावना है ?
उत्तर:-
हम इस साल के अंत तक इसे पूरा करने के प्रयास में हैं। यह 3 पार्ट में बनाया जाएगा। पहले पार्ट में अंबाला का, दूसरे पार्ट में पूरे हरियाणा की भागीदारी और फिर रेस्ट ऑफ इंडिया होगा।

प्रशन:- शुरू से ही महत्वपूर्ण रहे अंबाला जंक्शन के कायाकल्प को लेकर भी क्या आपने रेल मंत्री से बातचीत की ?
उत्तर:-
पुराने रेल मंत्री से कई बार बात हुई। अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन को आधुनिक और एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं से लैस बनाने को लेकर मेरी बातचीत हुई। शहर में चार जगह फाटक थे। जहां जिंदगी रूकती थी। मैंने चारों पुल मंजूर करवाए। जिन पर काम चल रहा है।

 

 प्रशन:- आपके प्रयासों से आए अंबाला हवाई अड्डे का लाभ जनता को कब तक संभव है ?
उत्तर:-
हम इसे जल्द शुरू करवाने के प्रयास में हैं। बहुत जल्द यहां से हवाई यात्राओं का लाभ लोगों को मिलेगा।

 

प्रशन:- आपके ड्रीम प्रोजेक्ट डायल 112 से आप कितना संतुष्ट हैं ?
उत्तर:-
यह एक हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि है। आज डायल 112 गाड़ी पहुंचने की औसत मात्र 9 मिनट पर आ गई है। योजना बनाते वक्त हमने 15 मिनट की औसत का अनुमान लगाया था। हमारे कंट्रोल रूम में गाड़ी के बारे संबंधित पूरा सिस्टम कैमरे, गाड़ी कहां -कहां मुड़ी और कितनी देर कहां रुकी, होता है और उसी से हम गाड़ी पहुंचने का एवरेज टाइम निकालते हैं। 9 मिनट में पुलिस के मौके पर पहुंचने का मतलब है कि पुलिस हरदम आपके साथ है।

 

प्रशन:- आपका खुले दरबार कई बार देर रात तक भी चलते देखे गए, क्या जनता की सुविधाओं के लिए आप अपने स्वास्थ्य को चुनौती नहीं दे रहे हैं ?
उत्तर:-
पहले मैं खुला दरबार केवल अपने क्षेत्र वासियों के लिए लगाता था। धीरे धीरे यह बढ़ने लग गया। फिर मैंने हफ्ते में 2 दिन खुला दरबार लगाना शुरू कर दिया। फिलहाल बुधवार को अपने हल्का वासियों के लिए और शनिवार को पूरे हरियाणा वासियों के लिए खुले दरबार का आयोजन हो रहा है।मेरा पहले दिन से वसूल है कि जो आया है उसकी सुनूंगा जरूर। पलवल- रेवाड़ी- हिसार- सिरसा जैसे क्षेत्रों से कोई आया हो और मैं कह दूं कि लेट हो गए हो, खिड़की बंद हो गई है, यह किसी भी हिसाब से ठीक नहीं होगा। वह 1 दिन पहले चला होगा, किराया खर्च करके आया होगा और रात को कहीं रुका भी होगा, रोटी भी खाई होगी और सुबह कह दूं कि लेट हो गए हो तो ऐसा नहीं हो सकता। जो आया है अंतिम आदमी तक सुनूंगा। हालांकि अक्सर हम 6 बजे तक ही इसे निपटा देते हैं। कई बार 10 भी बजी। पिछली बार 1 बज गई थी, चाहे रात पलट जाए, अगला दिन चढ़ जाए, सूरज फिर निकल आए, अनिल विज सुनेगा हर आदमी की।

 

 प्रशन:-  आपकी कार्यशैली की खुलकर नहीं तो दबी जुबान में तो मंत्री भी सराहना करते हैं ?
 उत्तर:-
मैं किसी की प्रशंसा का मोहताज नहीं। मैं वर्कर हूं और अपना काम करता हूं। मैं काम करते हुए अपने आपको देखता हूं कि मैं ठीक करूं। कोई मेरे काम को सराहे - जले या विरोध करें, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

 

प्रशन:- आपसे बातचीत करके सकारात्मक तरंगों का एहसास होने का क्या कारण है ?
उत्तर:-
मैं काम करता हूं। काम के अलावा कुछ नहीं सोचता। लोगों पर क्या असर इसका पड़ता है। मैं कुछ नहीं बता सकता।

 

प्रशन:- सोशल मीडिया पर सबसे अधिक आपकी वीडियो चलना और जनता का सभी विधायकों- अधिकारियों से आप जैसी कार्रवाई की उम्मीद करने का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर:-
काम तो देखो मैं करता ही हूं। मैं समझता हूं कि राजनीति में उन्हीं लोगों को आना चाहिए जो काम करना चाहते हैं। जो काम नहीं करना चाहते मुझे लगता है कि उन्हें कुछ और कर लेना चाहिए जैसे खेती, व्यापार या नौकरी।

 

प्रशन:- क्या मानते हैं कि अन्य सभी नेता सही जिम्मेदारी निभा रहे हैं ?
उत्तर:-
सही नहीं है तो उन्हें सही होना पड़ेगा। अब जनता जागरुक हो चुकी है। जनता डिलीवरी चाहती है। जनता भाषण नहीं सुनना चाहती। एक समय ऐसा था जब नारों और वायदों पर राजनीति होती थी। कोई अच्छा नारा लगते ही सारी जनता उस पर फिदा हो जाती थी। आज जनता पूछती है कि कितनी सड़क बनवाई, कितने नाले ठीक करवाए। आने वाले समय में सही लोग ही राजनीति में रह पाएंगे। बाकियों को जनता राजनीति से उखाड़ कर फेंक देगी।

 

प्रशन:- वंदे भारत का सफर कैसा रहा ?
उत्तर:-
बहुत सी गाड़ियों में मैं सफर करता रहा हूं।पहली बार वंदे भारत में सफर किया तो उस दौरान महसूस ही नहीं हुआ कि इतनी स्पीड से ट्रेन चल रही है। किसी प्रकार की गतिविधि का एहसास नहीं हुआ। कोई झटके इत्यादि नहीं पता लगा। ऐसा लग रहा था कि बड़े आराम से अपने दफ्तर जैसे बैठकर फाइलें निकाल रहा हूं। मेरा जन्म रेलवे कॉलोनी में हुआ। पिता रेलवे कर्मचारी थे। आती-जाती बहुत रेल देखी। लेकिन अब और तब में जमीन आसमान का अंतर दिखा। वंदे मातरम जैसी हाई स्पीड ट्रेन (हिंदुस्तान की सबसे तेज गति से दौड़ने वाली) ट्रेन का युग आया है। रेल को बढ़ते हुए देखा है। रेलवे स्टेशन पर ही खेल कर बड़ा हुआ हूं। लेकिन यहां तक बढ़ते बढ़ते बहुत देर कर दी। आज कोई नरेंद्र मोदी जैसा देश में आया है, जिसने रेलवे को उठाने का काम किया है।

 

प्रशन:- क्या मानते हैं कि राजनीति में इच्छाशक्ति की कमी थी या संकल्प की ?
उत्तर:-
राजनीति में असर करता है कि आपकी सोच क्या है। किस मकसद के लिए आप राजनीति कर रहे हैं। जो जिस मकसद से आया है वह उसी प्रकार का काम करता है। एक चाय की दुकान से उठे हुए नरेंद्र मोदी ने नीचे से ऊपर हर समाज के दुख दर्द को देखा है। उनकी पीड़ा को महसूस किया है। नरेंद्र मोदी से ज्यादा लोगों की पीड़ा को कोई नहीं जानता। इसलिए वह हर चीज को ठीक करने की कोशिश करते हैं। हमारी सड़कें ठीक करने की सोच के साथ लगातार काम हो रहा है। इंडस्ट्री को आगे ले जाया जा रहा है। देश की इकोनॉमी को आगे ले जाया जा रहा है। हमारी फोर्सेज को मजबूत किया जा रहा है। इसी तरह विदेशों की तरह हमारी गाड़ियां भी तेजी से दौड़े, उनमें सारी सुविधाएं हो, यह हमारे देश के प्रधानमंत्री की सोच है। नरेंद्र मोदी ने 75 वें साल में 75 गाड़ियां चलाने का संकल्प किया है। यह चौथी ट्रेन है। यह तेजी से बढ़ रही हैं और जल्द यह टारगेट पूरा भी होगा। यह देश निर्माण का एक कदम है। थोड़ी बहुत तरक्की समय के अनुसार अपने आप होती रहती है। टेक्नोलॉजी भी कुछ अपने आप आती है। लेकिन देश को ऊपर उठाना- आगे बढ़ाना- देश को गति प्रदान करना- ऊंचाई पर ले जाना, यह प्रधानमंत्री की इच्छाशक्ति के कारण संभव हो रहा है।

 

प्रशन:- त्योहारी सीजन में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आपने पुलिस को क्या गाइडलाइन जारी की हैं ?
उत्तर:-
हमारी पुलिस हर वक्त चौककन्नी है। जितनी देर में किसी परेशानी के वक्त सहयोग के लिए कोई व्यक्ति आवाज लगाता है, कि आओ कुछ हो गया है, इतनी देर में तो डायल 112 पहुंच रही है। इससे अधिक सुविधा और क्या हो सकती है।

 

 


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Content Writer

Isha

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