बढ़ते ध्वनि प्रदूषण से राहत नहीं, आमजन परेशान
punjabkesari.in Wednesday, Dec 15, 2021 - 11:46 AM (IST)
गुडग़ांव : साईबर सिटी गुडग़ांव में ध्वनि प्रदूषण से लोगों को काफी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है आये दिन शादी समारोह में अनायास ही बैंड-बाजा नगाड़े बजाये जा रहे हैं। जो कि ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं। बता दें कि ध्वनि प्रदूषण का सामान्य स्तर 55 डेसिबल के आसपास माना जाता है। 60 डेसीबल से अधिक ध्वनि प्रदूषण हानिकार सिद्ध होती है।
ध्वनि प्रदूषण क्या खतरा है
ध्वनि प्रदूषण या अत्यधिक शोर किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव जन्तुओं को परेशानी होती है। इसमें यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य कारण है। जनसंख्या और विकास के साथ ही यातायात और वाहनों की संख्या में भी वृद्धि होती है जिसके कारण यातायात के दौरान होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी बढऩे लगता है। अत्यधिक शोर से सुनने की शक्ति भी चले जाने का खतरा होता है।
आपको बता दें की साईबर सिटी गुरूग्राम में ध्वनि प्रदूषण अपने चरम सीमा तक पहुंची चुकी है। जिससे लोगों को बेवश होकर परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। गाडिय़ों के तेज-तर्रारे आवाज करने वाले होर्न लोगों की परेशानी बनी हुई है। जिससे लोगों को कई दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है, गाड़ी चालकों को चाहिए की वह अपनी गाडिय़ों में धीमी आवाज करने वाले होर्न लगवांए व आवश्यकता पडऩे पर ही होर्न बजाएं अनायास ही होर्न का प्रयोग न करे क्योंकि इससे लोगों के सेहत पर बुरा असर पड़ता है और लोगों में सुनने की शक्ति क्षीण होती है, ऐसे में गाड़ी चालकों को कम आवाज करने वाले होर्न का प्रयोग करना चाहिए ताकि लोगों को ज्यादा परेशानी न हो और लोगो में सुनने की शक्ति बरकरार रहे।
शादी समारोह में ध्वनि प्रदूषण मुख्य कारण बना हुआ है, क्योंकि शादी, पार्टी, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की गतिविधियां व अन्य अवसरों में अधिक आवाज करने वाले बैण्ड बाजा व नगाड़े बजाये जाते हैं जिससे ध्वनि प्रदूषण की प्रबलता बढती है, यही कार्य शांति पूर्वक भी किये जा सकते हैं। यह जरूरी नहीं बैण्ड बाजा व नगाड़े बजाये ही जाये और वही ध्वनि लोगों के कानों में गूंजती है जो कानों के लिए यह ध्वनि 60 डेसीबल से कहीं अधिक होती है ऐसी प्रश्र यह उठता है की यदि समय रहत ध्वनि प्रदूषण को लेकर लोगों में अधिक सतर्कता की आवश्यकता है अन्यथा वो दिन दूर जब लोगों को काफी विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी ध्वनि से ज्यादातर खतरा बुजुर्ग ब्यक्तियों व बच्चों को होती है क्योंकि उनमें वह क्षमता नहीं है कि वह तीव्र ध्वनि सहन कर सके अत्यधिक ध्वनि से ज्यादातर बुजुर्गों की सुनने की शक्ति क्षीण होती है।
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