एक वर्ष बाद भी हरियाणा लोक परीक्षा नक़ल विरोधी कानून के नियम नहीं
punjabkesari.in Saturday, Jul 23, 2022 - 01:30 PM (IST)
चंडीगढ़( चंद्र शेखर धरणी): इस रविवार 24 जुलाई को हरियाणा लोक सेवा आयोग ( एचपीएससी) द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में एचसीएस (हरियाणा सिविल सेवा ) कार्यकारी शाखा एवं अन्य सम्बद्ध सेवाओं हेतु प्रारंभिक ( प्री) परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है. वास्तव में उक्त परीक्षा दोबारा से ली जा रही है। गत वर्ष 12 सितम्बर 2021 को एचपीएससी द्वारा आयोजित की गई उपरोक्त एचसीएस (प्री) परीक्षा, जिसका परिणाम भी घोषित कर दिया गया था जिसके द्वारा एचसीएस (मुख्य) परीक्षा के लिए सफल उम्मीदवारों को शार्टलिस्ट कर लिया गया था परंतु इसी वर्ष मई, 2022 में उपरोक्त संपन्न एचसीएस (प्री) परीक्षा को रद्द कर दिया गया चूंकि गत वर्ष नवंबर, 2021 में एचपीएससी के तत्कालीन डिप्टी सेक्रेटरी और 2016 बैच के एचसीएस अधिकारी अनिल नागर की प्रदेश विजिलेंस ब्यूरो द्वारा गिरफ्तारी के बाद आयोग द्वारा ली गई उपरोक्त एचसीएस ( प्री) और एक अन्य डेन्टल सर्जन की परीक्षाओं में कथित भ्रष्टाचार होने का खुलासा हुआ था. एचसीएस (प्री) की तरह डेन्टल सर्जन की परीक्षा भी रद्द कर दी गई थी जिसका नए सिरे से गत माह 19 जून 2022 को पुनः आयोजन हुआ।
बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि हरियाणा विधानसभा द्वारा गत वर्ष अगस्त, 2021 में तत्कालीन मानसून सत्र दौरान सदन से पारित हरियाणा लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक, 2021, जिसे आम भाषा में नक़ल विरोधी कानून कहा जाता है, भी पारित किया गया था जिस पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 4 सितम्बर, 2021 को स्वीकृति प्रदान कर दी थी जिसके बाद उसे अधिनियम (कानून ) के तौर पर 10 सितम्बर 2021 को प्रदेश के शासकीय गजट में नोटिफाई कर दिया गया था।
हेमंत ने बताया कि चूँकि उक्त कानून में उसे उस तारीख से लागू होने का प्रावधान किया गया जिसे राज्य सरकार द्वारा तय कर एक अलग नोटिफिकेशन जारी कर अधिसूचित किया जाएगा, इसलिए 10 सितम्बर 2021 को ही प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव विजय वर्धन द्वारा इस सम्बन्ध में जारी एक नोटिफिकेशन से वह तारीख 10 सितम्बर 2021 ही निर्धारित की गयी थी अर्थात गत वर्ष 12 सितम्बर 2021 को निर्धारित एचसीएस (प्री) से दो दिन पूर्व उपरोक्त नकल विरोधी कानून हरियाणा में लागू हो गया था. एचसीएस परीक्षा उक्त कानून के अंतर्गत लोक परीक्षा की ही परिभाषा में ही आती है। हेमंत ने बताया कि हालांकि उक्त कानून की धारा 14 (1 ) में इसके उद्देश्यों को पूर्ण रूप से क्रियान्वित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा नियम बनाने का भी प्रावधान है परन्तु उपरोक्त कानून को लागू होने के आज करीब एक वर्ष बाद भी प्रासंगिक नियम बना कर उन्हें नोटिफाई नहीं किया गया हैं. अब बिना वांछित नियमो के नक़ल विरोधी कानून को लागू करने में तकनीकी पेच फंस सकता है।
चूँकि हर अधिनियम (कानून ) और उसके अंतर्गत बनाये जाने वाले नियमो में चोली-दामन जैसा साथ होता है क्योंकि नियमो में ही यह स्पष्ट उल्लेख किया जाता है कि किसी विशेष कानून को लागू करने की विस्तृत प्रक्रिया क्या होगी, इसलिए उक्त कानून को लागू करने से पहले या उसके साथ इसके अंतर्गत नियम बनाकर भी नोटिफाई करने अत्यंत आवश्यक थे जो, चाहे किसी भी कारण से, आज तक नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त हालांकि मूल रूप से सदन से पेश किये गए नक़ल विरोधी बिल में प्रावधान नहीं था परन्तु बाद में सदन में सरकार द्वारा इसमें एक नई धारा 9 जोड़ी गयी कि अगर कोई परीक्षार्थी इस कानून के अंतर्गत दोषी साबित होता है तो वह दो वर्षो तक किसी भी लोक परीक्षा में नहीं बैठ सकेगा. हेमंत ने बताया कि अब इस नई धारा में यह स्पष्ट नहीं है कि वह दो वर्षो की अयोग्यता क्या परीक्षार्थी के लोक परीक्षा में नकल आदि किसी अनुचित साधन का प्रयोग करते पकड़े जाने से लागू होगी या उस मामले में कोर्ट द्वारा दंड के रूप में दी गयी सजा की अवधि पूरी होने से ? इसके अलावा उक्त कानून में यह भी स्पष्ट नहीं है कि इसके अंतर्गत विभिन्न अपराध क्या संज्ञेय /गैर संज्ञेय एवं ज़मानती / गैर-ज़मानती होंगे ?
ज्ञात रहे कि गत वर्ष 7 दिसंबर 2021 को एचपीएससी के तत्कालीन उपसचिव अनिल नागर को एचसीएस की नौकरी से प्रदेश सरकार द्वारा सीधे बर्खास्त कर दिया गया था. उनके विरूद्ध विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर में भी अन्य दंडनीय प्रावधानों के अलावा हरियाणा लोक परीक्षा नक़ल विरोधी कानून की धारा 8 (3 ) (4 ) भी जोड़ी गयी. इसी वर्ष फरवरी में नागर और सह -अभियुक्तों के विरुद्ध चार्जशीट दायर की गई एवं फिलहाल उनके विरूद्ध अदालत में मामले का ट्रायल चल रहा है। हरियाणा में नक़ल विरोधी कानून एचपीएससी, एचएसएससी (हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ) आदि सरकारी संस्थाओं/एजेंसियों द्वारा भर्ती करने हेतु ली जाने वाली सभी लोक परीक्षाओं पर ही लागू होता है. हेमंत ने बताया कि चूँकि उपरोक्त कानून में लोक परीक्षा की परिभाषा में स्कूल बोर्ड और यूनिवर्सिटी आदि की को परीक्षाओं को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए यह कानून उन पर लागू नहीं होता है. इस कानून के अंतर्गत विभिन्न आपराधिक प्रावधानों के अनुसार दोषी पाए जाने वाले परीक्षार्थी या व्यक्ति /व्यक्तियों को 2 वर्ष से 10 वर्ष का दंड / जेल हो सकती है जबकि 5 हजार रूपये से 10 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसमें संगठित अपराध के कृत्य में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति या व्यक्तियों की संपत्ति कुर्क करने का भी प्रावधान है ताकि उन्होंने व्यापक स्तर पर पेपर लीक/नकल आदि करवाने से जो धन/संसाधन गैर कानूनी ढंग से एकत्रित किये हैं, सरकार द्वारा कानूनी रूप से उनकी वसूली भी की जा सके।