दर्द: आंदोलन में हुई मौत से तीन बेटियों के सर से उठा पिता का साया, 14 साल पहले की थी लव मैरिज

punjabkesari.in Thursday, Feb 11, 2021 - 04:34 PM (IST)

गोहाना (सुनील जिंदल): देश में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान कई किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। आंदोलन से सरकार पर कोई असर हो न हो, लेकिन इन जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को आंदोलन से एक जख्म ऐसा मिला है, जो आजीवन दुखता रहेगा। इन परिवारों में एक परिवार किसान अजय का है। अजय की मौत किसान आंदोलन में शामिल होने के दौरान बीते 8 दिसंबर को हार्ट अटैक आने से हुई थी। अजय की मौत से उसके परिवार पर दुखों का ऐसा पहाड़ टूटा है कि जिसका बोझ उठाए न उठे।

हम बात कर रहे हैं हरियाणा के गोहाना के गांव बरोदा के रहने वाले किसान अजय की, जिसने मात्र 32 साल की उम्र में दुनिया छोड़ दी और पीछे छोड़ गया विधवा पत्नी, जिसे वह हिमाचल से प्रेम बंधन में बांध जीवनसंगिनी बनाकर लाया था। दोनों की तीन छोटी-छोटी बेटियां भी हैं, जिनके सर से पिता का साया उठ गया है। अजय गांव में ही एक एकड़ जमीन में खेती करता था। उसी से अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाता था।

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अजय को था पहलवानी का शौक
पंजाब केसरी की टीम ने अजय के परिवार से बात की तो उन्होंने बताया कि शादी से पहले अजय को पहलवानी का शौक था, जिसके चलते वह हरियाणा,पंजाब, हिमाचल में होने वाले दंगलों में भी अक्सर जाया करता था। इसी दौरान अजय की पहचान हिमाचल की रहने वाली भावना से हुई थी। जान पहचान प्रेम में बदल गई और दोनों ने लव मैरिज की। 14 साल पहले अजय भावना को हिमाचल से  जीवनसंगिनी बनाकर अपने घर ले आया। उनके घर में तीन बेटियां ने जन्म लिया, जिनसे वह अजय बहुत प्यार करता था। अजय अपनी बेटियों पहलवान व अफसर बनाना चाहता था। घर में सबकुछ अच्छा चल रहा था।

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खबर ऐसी मिली कि सिर से आसमान उड़ गया
परिजनों ने बताया कि किसान आंदोलन की शुरूआत हुई तो अजय ने भी किसानों की लड़ाई में साथ देने के लिए वह भी सिघुं बॉर्डर पर पहुंच गया। इस दौरान अजय 1 दिसंबर को अपने घर बरोदा गांव वापस आया, लेकिन अगले दिन 2 दिसंबर को अजय फिर से सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन में चला गया। 8 दिसंबर की सुबह खबर मिली कि अजय की हार्ट अटैक आने से मौत हो गई। यह खबर सुनते ही मानो परिवार में हर सदस्य के पैरों तले जमीन खिसक गई हो, सिर से आसमान उड़ गया हो। परिजनों के मुंह से रूदन और आंखों से आंसू के अलावा कुछ न निकले।

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परिवार को हो रही बेटियों के भविष्य की चिंता
परिजनों ने बताया कि अजय अपनेे पीछे बूढ़े माता-पिता, पत्नी और तीन बेटियां छोड़ गया है। वह घर में एकलौता कमाने वाला था। अजय के बड़े भाई की भी 7 साल पहले एक हादसे में मौत हो गई थी। अजय के जाने के बाद अब परिवार में कोई कमाने वाला नहीं बचा। अजय के बूढ़े माता-पिता और अजय की पत्नी भावना को अब बेटियों के भविष्य की चिंता सता रही है कि अब अजय का सपना कैसे पूरा होगा। 

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'पति थे तो कोई चिंता नहीं थी'
अजय की पत्नी भावना ने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी पूर्वी व परी (7) दोनों जुड़वा बहनें हैं और छोटी बेटी वंशिका (6) तीनों ही प्राइवेट स्कूल पढ़ती हैं। माता-पिता बुढ़ापे में दोनों बेटों की मौत से बिल्कुल टूट चुके हैं। अब माता-पिता की आने वाली बुढ़ापा पेंशन और घर में एक भैंस से होने वाले दूध को बेच कर ही किसी तरह पूरे परिवार का गुजारा हो रहा है। भावना कहती हैं कि जब उनके पति थे तब उन्हें अपनी बेटियों की पढ़ाई की चिंता नहीं थी, पति जैसे-तैसे कर घर का अच्छे से गुजारा चला लेते थे, लेकिन अब उनके बिना बेटियों की पढ़ाई की चिंता सता रही है।

सरकार से मदद की आस
वहीं अजय की माता कृष्णा सारा दिन अजय की तस्वीर सीने से लगाए उसे याद करती रहती हैं। अब परिवार इसी आस में है कि सरकार उनकी हालत देखते हुए अजय की पत्नी को कोई नौकरी दे दे और आर्थिक मदद करे ताकि परिवार का गुजारा चल सके और अजय के सपने को पूरा किया सके।
 

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Content Writer

Shivam

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