सराहनीय: कोरोना दोबारा ना लौटे इसको लेकर जागरूकता अभियान चला रहीं समाजसेवी पारूल
punjabkesari.in Tuesday, Jun 08, 2021 - 01:11 AM (IST)
महेंद्रगढ़ (योगेंद्र सिंह): कोरोना महामारी पर काफी हद तक काबू पा लिया लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। यह बात सभी को समझना चाहिए और अभी भी कोविड-19 गाइड लाइन का पालन करना अनिवार्य है। अपने जीवन में मॉस्क लगाना एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अनिवार्य रूप से करें। कुछ इस प्रकार के संदेश समाजसेवी पारूल राव लगातार ग्रामीण क्षेत्र में घूम-घूमकर लोगों को दे रही हैं। उनकी यह पहल सराहनीय है और लोग भी उनकी बात मानते नजर आ रहे हैं। पिछले सप्ताह सवारियों से भरी बस को भी समाजसेवी पारूल ने पीछा कर पुलिस की मदद से रूकवाकर उसका चालान कराया था।
कोरोना दोबारा ना लौटे इसके लिए लोगों को जागरूक करने का बीड़ा समाजसेवी पारूल ने उठाया हुआ है। जहां भी कोविड-19 गाइड लाइन का पालन नहीं होते नहीं देखती तो तुरंत वहां पहुंचकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही मॉस्क, सोशल डिस्टेंसिंग की नसीहत देती हैं। ब्रह्मादेव चौक के समीप एक बैंक के बाहर ग्राहकों की लंबी कतार देखकर वह अपनी कार से उतरी और लोगों के बीच पहुंच गईं। सभी को सोशल डिस्टेंसिंग की नसीहत देकर उनके बीच दो गज की दूरी कराई और सभी को मॉस्क सही तरीके से पहनने को कहा। जिनके पास मॉस्क नहीं थे उन्हें मॉस्क भी दिए।
पहले तो लोग यह समझ नहीं पाए लेकिन उन्होंने खुद बताया कि वह शिक्षिका हैं, पहले स्टूडेंट्स को सीख देती थी लेकिन अब कोरोना महामारी को देखते हुए आम लोगों को समझाने का बीड़ा उठाया है। इस अवसर पर उन्होंने बैंक मैनेजर से बातचीत कर वहां पर गाइड लाइन की अनुपालना कराने के प्रबंध करने को कहा। पारूल एवं उनके पति यशवंत राव पूरे कोरोना काल में मॉस्क, सेनीटाइजर का वितरण करने के साथ ही दो गाड़ियां मरीज एवं उनके परिजनों को हॉस्पिटल या उनके घर छोड़ने के लिए लगा रखी हैं।
पारूल बताती हैं कि कोरोना महामारी ने लोगों में दहशत का माहौल बना दिया था लेकिन फिर भी केस कम होते ही लोग लापरवाही करने लगे हैं। बीते दिनों एक बस में पूरी सीटें भरीं थीं वहीं यात्री खड़े होकर यात्रा कर रहे थे। इस पर उन्होंने बस का पीछा किया और रामपुरा थाना पुलिस की मदद से बस का चालान करवाया। वहीं बस में तय नियम पचास फीसदी यात्री के साथ उसे गतंत्व की ओर रवाना करवाया। पारूल राव बताती हैं कि वह गुरुग्राम के नामी-गिरामी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थीं और उनके पति की खुद की कंपनी थी। अब दो साल से वह कोरोना की लड़ाई में प्रशासन की मदद करते हुए लोगों को जागरूक करने के अभियान में लगे हुए हैं।
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