लॉकडाउन में मिड डे मील लेने पहुंच गए लोग, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई धज्जियां, बुलानी पड़ी पुलिस

punjabkesari.in Saturday, Mar 28, 2020 - 10:50 AM (IST)

फरीदाबाद (ब्यूरो) : लॉकडाउन होने के बावजूद लोग सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिसका प्रकोप आने वाले समय हजारों लोगों को झेलना पड़ सकता है। शुक्रवार को लॉकडाउन होने के बावजूद लोग एतमातपुर के सरकारी स्कूल के मिड डे मील लेने के लिए पहुंच गए। जिससे स्कूल में पूरा अफरातफरी का माहौल बन गया। ऐसे में स्कूल के शिक्षकों को परेशान होकर पुलिस का सहारा लेना पड़ा। 

पहली से आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को मिड डे मील देने की योजना है। राशन वितरण का काम इस्कॉन संस्था को दिया हुआ है। यह संस्था तैयार करके भोजन, दूध, चावल, छोले , राजमा स्कूलों तक पहुंचाती है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते विद्यालयों में 31 मार्च तक अवकाश कर दिया गया है। इसके चलते सरकार ने विद्यार्थियों के घरों तक मिड डे मील उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। इसके लिए जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी शशि अहलावत ने कार्य योजना तैयार की।

इसके तहत खाना बनाने की लागत बच्चों के खाते में और खाद्य सामग्री घर पहुंचाने के लिए कहा गया। इस कार्य के लिए टीचर्स और इस्कॉन के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई। गुरुवार को जिले के स्कूलों में चावल और अनाज पहुंचा। हालांकि यह राशन अध्यापक और इस्कॉन के कर्मचारियों के साथ विद्यार्थियों के घर तक पहुंचना है, लेकिन विद्यार्थियों को मिड डे मील के बारे में पता चल गया। काफी बच्चे स्कूल में ही पहुंच गए। इतना ही नहीं इन विद्यार्थियों को देखकर अन्य लोग भी स्कूल में राशन लेने के लिए दौड़ पड़े।

लोगों ने समझा कि सरकार ने कोरोना वायरस के चलते गरीब व मजदूरों के लिए राशन पहुंचाया है। अध्यापकों ने लोगों को समझाया, पर लोगों नहीं माने। इसके चलते हैड टीचर चतर सिंह को पुलिस बुलानी पड़ी। पुलिस के समझाने के बाद ही लोग स्कूल से निकले और अध्यापक राशन बांटने जा सके। पहली से पांचवीं तक के विद्यार्थियों को मिड डे मील में प्रतिदिन 100 ग्राम व छठी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को प्रतिदिन 150 ग्राम अनाज दिया जाता है।

पहली से पांचवीं कक्षा तक के प्रति विद्यार्थी के हिसाब से कुकिंग कॉस्ट 4.48 रुपये व छठी से आठवीं तक प्रति विद्यार्थी के हिसाब से कुकिंग कॉस्ट 6.71 रुपए आती है। अध्यापकों का कहना है कि अधिकांश स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या की तुलना में राशन कम पहुंचा है। उदाहरण के तौर पर गांव एतमादपुर में प्राइमरी विंग में करीब 700 बच्चों है, लेकिन 400 से 500 बच्चों के लिए राशन पहुंचा है। 


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Isha

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