PM ने 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान की चार बार लंदन, अमेरिका और रेडियो पर प्रशंसा: जागलान

punjabkesari.in Monday, Jan 11, 2021 - 02:33 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : सुनील जागलान यानी वह शक्स जिसके सेल्फी विथ डॉटर अभियान की प्रशंसा खुद देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी 4 बार कर चुके हैं। जागलान बेटियों के उत्थान के लिए न केवल लोगों को बहुत जागरूक करने का काम करते हैं बल्कि इसके साथ ही इन्होंने 5 प्रदेशों के लगभग 15 हजार मकानों के बाहर बेटी के नाम से नेम प्लेट लगवाने में कामयाबी हासिल की है। जागलान द्वारा बच्चियों को जागरूक करने के लिए एक लाख पुस्तकें भी बाटी गयी हैं। सुनील जागलान अपने इन कार्यों को लेकर कई बार सरकार द्वारा पुरस्कृत किए जा चुके हैं और आने वाले समय में जागलान और भी कई प्रकार के कई कार्यक्रमों का मन बना चुके हैं। उनसे पंजाब केसरी ने विशेष मुलाकात की। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं-

प्रश्न :  सेल्फी विद डॉटर अभियान आपने कब शुरू किया और इसका मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर : 
सेल्फी विद डॉटर अभियान हमने 9 जून 2015 को शुरू किया था और इसका मकसद था कि लड़कियों के चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहे। हमने गांवों में महिलाओं को सबल किया। देश की पहली महिला ग्राम सभा करवाई। हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे प्रदेशों में जहां महिलाएं खाप पंचायतों में नहीं जा जाती थी, वहां उनकी खाप पंचायतें करवाई और उन्हें इन पंचायतों में सम्मिलित करवाया। ऐसे करते-करते हमें आइडिया डिस्कशन के साथ-साथ आते रहे। सरकारों के द्वारा हमें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिलते रहे। फिर हमने एक प्रणाली बनाई कि जो हमें गांव के लिए मिलने वाले फंड में से 50 प्रतिशत महिलाएं खर्च करेंगी।

प्रश्न : सेल्फी विद डॉटर ऐसी सोच- ऐसा आईडिया मन में कैसे आया ?
उत्तर : 
मैं 9 जून को बैठा सोच रहा था कि कुछ नया किया जाए। टी.वी. पर गाना चल रहा था कि सेल्फी ले ले रे, उसी दौरान मेरी बेटी मेरे साथ फ्रंट कैमरे से फोटो ले रही थी। सेल्फी और डॉटर को कनेक्ट किया और यह सेल्फी विद डॉटर आ गया। शुरू में कुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन मीडिया ने बहुत साथ दिया और यह अभियान अखबारों और सोशल मीडिया में काफी प्रचलित हुआ। हमने 3 बेस्ट सेल्फी को चुना। मुझे लगा था कि यह अभियान यहीं तक सीमित रहेगा। लेकिन यह देश के प्रधानमंत्री तक पहुंच गया और उन्होंने 28 जून 2015 को रेडियो पर मन की बात के कार्यक्रम में हमारी प्रशंसा की और वह यहीं नहीं रुके। 2015 में चार बार लंदन, अमेरिका और रेडियो पर इस बारे में बोले। यह देश की सीमा लांघकर दूसरे देशों में पहुंच गया और हमें एक मकसद मिला कि लड़की के चेहरे पर हमेशा के लिए मुस्कान के लिए क्या किया जाए? जब लड़कियों को उनकी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक डिजिटल अधिकार पूरी तरह से दिए जाएं तभी यह सफल हो पाएगा।

प्रश्न : महिलाओं को हमेशा आम तौर पर अधिकारों से वंचित रखा जाता है। अधिकार दिलवाने के लिए आपके क्या प्रयास हैं ?
उत्तर : 
आप बिलकुल सही कह रहे हैं। हमने इसी मकसद के चलते लाडो राइट्स के नाम की एक लाख पुस्तके हमने गांव-गांव जाकर बाटी हैं। हम उन पुस्तकों में से प्रश्नपत्र बनाते हैं। हमारे प्रश्नपत्रों में कोई लड़का किसी लड़की को चूंटी भर देता तो उस पर कौन सी धारा लगेगी? अगर माता-पिता लड़की को 12वीं के बाद नहीं पढ़ाते तो वह कौन सी हिंसा में आता है? इस प्रकार के प्रशन होते हैं और इसी से उनको अपने अधिकारों का पता चलता है हम इस प्रकार की प्रतियोगिता के माध्यम से उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं। मेवात की लड़कियां जो कभी कंप्यूटर्स के नजदीक भी नहीं जाती थी। हमने 2017 में वहां पहले सिलाई सेंटर खोला। फिर उसे बिल्डिंग में लाइब्रेरी बनाई और फिर वही 10 कंप्यूटर रखें। डिजिटल इंडिया विद लाडो के नाम से कंपेन किया। फिर तीसरा प्रॉपर्टी राइट्स की बात आती है हमने 2015 में लोगों को जागरुक करके अपने गांव के 30 घरों के बाहर लड़कियों के नाम से नेम प्लेट लगवाई। शुरू में कुछ लोगों ने इसका विरोध किया और कुछ ने यह नेम प्लेट तक तोड़ दी। हम फिर भी इस अभियान में लगे रहे। लेकिन आज 5-6 प्रदेशों में लोगों को जागरूक करके हम बेटियों के नेम प्लेट 15 हजार घरों के बाहर लगवा चुके हैं। हमारी सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन किसी प्रकार का फंड नहीं लेती है। लोगों को मोटिवेट करती है। सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद लेती है।

प्रश्न : टीम लाडो क्या है ओर इनका मकसद क्या है ? 
उत्तर : 
300 से ज्यादा हमारी टीम लाडो बन चुकी हैं। उनका मकसद गांव गांव जाकर लड़कियों के मोबाइल में जिला उपायुक्त और जिला पुलिस अधीक्षक के नंबर फीड करवाना और लड़कियों के साथ कुछ भी गलत होने पर उनकी मदद करना होता है।

प्रश्न : आप हरियाणा के अलावा और कौन-कौन से स्टेट में सक्रिय हैं ?
उत्तर : 
हम हरियाणा के अलावा राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश में काम कर रहे हैं और हमारा अभियान वहां भी बहुत अच्छा चल रहा है। चंडीगढ़ में भी हमने नेम प्लेट का कंप्लेन शुरू किया है और यहां भी हमने टीम बनानी शुरू कर दी है।

प्रश्न : आने वाले समय में कौन-कौन से अभियान हैं। जिन्हें आप जल्दी क्रियानवन करेंगे ?
उत्तर : 
एक अभियान मेरे दिल के बहुत करीब है। जब मैं 2011 में सरपंच था मैं सेनेटरी पैड बनाने की मशीन दिल्ली से खरीद कर लाया था। उस समय मेरे अंदर एक हिचकिचाहट के कारण यह अभियान सफल नहीं बना पाया था। हम जल्द ही पैड मित्र अभियान लांच करने जा रहे हैं।

प्रश्न : पैड मित्र अभियान का प्रारूप क्या होगा ?
उत्तर : 
हर घर में एक पीरियड चार्ट लगेगा। जिस घर में दो या तीन महिलाएं हैं,  मां-बेटी हैं इस चार्ट में उनका नाम शामिल होगा। जिसमें सभी के पीरियड्स की तारीख लिखी जाएगी। हर महीने यह सही समय पर आ रहे हैं या नहीं, इससे यह पता चलता रहेगा। साथ में मां-बेटी और बहनों के बीच संवाद की स्थिति बनी रहेगी। उनके भाई-पिता भी यह देख रहे हैं इससे वह भी ध्यान रखेंगे कि घर में पैड है या नहीं। इस छोटा बच्चा भी जो बड़ा हो रहा है उसे भी यह विषय साधारण सा लगेगा। यह सबके लिए संवाद का विषय हो जाएगा। हम इस पैड मित्र अभियान को जल्द ही मेवात और गुरुग्राम में शुरू करने जा रहे हैं।

प्रश्न : सेल्फी विद डॉटर अभियान का क्या आपने पंजीकरण कार्रवाया है ?
उत्तर : 
सेल्फी विद डाटर भारत सरकार की तरफ से मेरे नाम से रजिस्टर्ड है। इसी तरह से हमने फाउंडेशन 2017 में राजिटर्ड करवाई थी। जिसका शुभारम्भ पूर्व राष्ट्रपति स्व. प्रणव मुखर्जी जी द्वारा राष्ट्रपति भवन में हुआ था।

प्रश्न : इन सब कामो में काफी खर्च होते हैं। फंडिंग की व्यवस्था कहाँ से हो पाती है ?
उत्तर : 
मैं प्रणव मुखर्जी फाउंडेशन में सलाहकार के पद पर नोकरी करता हूँ। मेरी तनख्वाह, मेरा सर्कल द्वारा ओर बहुत से वहाट्स ग्रुप्स है जिनसे यह सब चलता है। अभी हमने 40 के करीब लाइब्रेरी बनाई है। मेवात में बच्चों के पास शिक्षा के लिए मोबाइल नही थे। हमने उनकी डिटेल शेयर कर दी। उन्हें मोबाइल दिलवाए। इस प्रकार हम मोटिवेशन करते है। हम जर्नल कलेक्शन करते हैं। जिसमे देने वाला और लेने वाला दोनों शामिल होते हैं।

प्रश्न : कोरोनाकाल में ऑनलाइन शिक्षा शुरू हुई। क्या आपने भी बच्चियों के लिए कुछ नया किया ?
उत्तर : 
हम पहले से ही व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हुए थे।गुरुग्राम और मेवात में 178 सरकारी स्कूल थे। हमारे बी.एड. और जे.बी.टी किए हुए वॉलिंटियर इसमें जुड़े हुए थे। फिर हमने कुछ ऐप डाउनलोड करवा ऑनलाइन एजुकेशन देना शुरू किया और वही मॉडल सरकार को पसंद आया। अब सरकार 8 लाख 20 हजार टेबलेट लड़के-लड़कियों को बांटने जा रही है।

प्रश्न : पंचायती चुनावों में महिलाओं की 50 प्रतिशत भागीदारी को आप किस नजर से देखते हैं ?
उत्तर : 
यह सरकार का बहुत क्रांतिकारी और बेहतरीन कदम है। ग्राम पंचायत में 50 प्रतिशत की भागीदारी की बात शुरू हुई और यह 1 दिन संसद में भी हो सकेगी। इस पर मैं यही कहना चाहूंगा कि हरियाणा का पंचायती राज एक्ट बहुत कमजोर है। इसमें सरपंचों को कम और अधिकारियों की बहुत ज्यादा पावर रहती है। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में सरपंच बहुत सशक्त हैं। वहां गांव में सरपंच मुख्यमंत्री की तरह काम करता है। उसी तर्ज पर हरियाणा में भी हो सरकार को ऐसा प्रोग्रेसिव स्टेप उठाना चाहिए।

प्रश्न : आप सरपंच रहे हैं। खामियों को भी भली-भांति जानते हैं। किस प्रकार के सुधारों की जरूरत है ?
उत्तर : 
योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए फंड और योजनाएं बनानी होती हैं। उसकी परमिशन लेने के लिए बार-बार बीडीपीओ, डीडीपीओ और डी.सी के पास चक्कर लगाने पड़ते है। गांव के रिजर्व फंड तक को खर्च करने के लिए भी एफ.सी. से परमिशन लेनी पड़ती है। जिस प्रकार से मुख्यमंत्री पूरी तरह से इनडिपेंडटेंट है। कैबिनेट की मीटिंग लेकर कोई भी फैसला ले सकता है। इसी प्रकार गांव के लोग ग्राम सभा में शामिल हो और उनके पास फंड को अपने गांव की किसी भी सुविधा में खर्च करने की आजादी होनी चाहिए। ऐसा क्यों नहीं है यहां? सबसे पहले सरपंच और पंचों को स्वतंत्र रूप से अधिकार इस सरकार को देना चाहिए। 


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Manisha rana

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