प्री-मैच्योर बच्ची का मामला : 24 घंटे का दिया था समय, 72 घंटे बाद भी नहीं सौंपी रिपोर्ट

punjabkesari.in Sunday, May 31, 2020 - 10:29 AM (IST)

सोनीपत (ब्यूरो) : प्री-मैच्योर बच्ची को 22 घंटे तक एक कूड़ानुमा बास्केट में मरने के लिए छोड़ने के मामले को स्वास्थ्य विभाग शुरूआत से गंभीरता से नहीं ले रहा। बच्ची की मौत के बाद प्रशासन ने मैडीकल बोर्ड गठित कर सिविल सर्जन बी.के. राजौरा को 24 घंटे में जांच रिपोर्ट सौंपने के आदेश थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने 72 घंटे बाद तक भी रिपोर्ट प्रशासन को नहीं सौंपी थी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग व मैडीकल बोर्ड की नीयत पर सवाल खड़ा हो गया है। वहीं शिकायतकर्ता रवि दहिया ने फेसबुक पर लाइव आकर लोगों को बच्ची से संबंधित वीडियो दिखाए व मर चुकी बच्ची को न्याय दिलाने की दिशा में सहयोग मांगा।

रवि ने खुलासा किया कि किस तरह से प्री-मैच्योर बच्ची के बारे में अस्पताल प्रशासन ने बेहद अमानवीयता से काम किया। रवि ने बताया कि अस्पताल में जांच कर रही टीम ने उन्हें बयान दर्ज करवाने के लिए बुलवाया था। इधर, अब प्रशासन ने सिविल सर्जन को फटकार लगाते हुए रिपोर्ट सौंपने का अल्टीमेटम दिया है। प्रशासन ने कहा है कि यदि रिपोर्ट शीघ्र नहीं सौंपी जाती तो वे स्वयं मामले की जांच करवाएंगे। इससे पहले डी.सी. श्यामलाल पूनिया ने एक दिन पहले प्रैस वार्ता के
दौरान बच्ची के मामले में अस्पताल के गैरजिमेदाराना रवैये को मैडीकल नेगलीजैंसी करार दिया था।

यह है मामला
बता दें कि प्रभु नगर निवासी रवि दहिया ने मंगलवार को पुलिस को शिकायत देकर बताया था कि गांधी चौक के पास निजी अस्पताल में एक महिला ने प्री-मैच्योर एवं अंडरवेट जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था, जिनमें से एक बच्चे की पैदा होते ही मौत हो गई थी जबकि दूसरी बच्ची को एक कूड़ादाननुमा बास्केट में डाल दिया गया था। रवि को जब इस बात का पता चला तो वह अस्पताल में पहुंचा और पूरे मामले की वीडियो भी बनाई गई थी। उसने बताया कि बच्ची जिंदा थी, इसके बावजूद उसे अमानवीय तरीके से बास्केट में मरने के लिए छोड़ दिया गया। बच्ची के माता-पिता व अस्पताल के चिकित्सक बच्ची के मरने का इंतजार करते रहे, जबकि बच्ची 22 घंटे बाद भी जिंदा थी।

रवि के प्रयासों से बच्ची को 22 घंटे बाद सिविल अस्पताल में भेजा गया, जहां पर ईलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस मामले में रवि ने आरोप लगाया है कि बच्ची के साथ अमानवीयता का व्यवहार करते हुए उसे मरने के लिए छोड गया, जबकि पुलिस ने भी मौके पर जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। इस मामले में पुलिस द्वारा पत्र  लिखे जाने के बाद व एस.डी.एम. द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने के बाद सी.एम.ओ. की अध्यक्षता में एक बोर्ड का गठन कर दिया गया, जिसे अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। इस मामले में शनिवार शाम तक भी रिपोर्ट नहीं सौंपी गई थी। प्रशासन ने इस मामले में मैडीकल बोर्ड को फिर से अल्टीमेटम दिया है।

कार्रवाई नहीं हुई तो डा. राज सिंह बैठेंगे भूख हड़ताल पर
पूर्व सी.डब्ल्यू.सी. चेयरमैन डा. राज सिंह सांगवान ने डी.सी. श्यामलाल पूनिया को पत्र लिखकर कहा था कि बच्ची को जन्म के बाद से मरने के लिए छोड़ देना बेहद शर्मनाक कृत्य है। उन्हें पंजाब केसरी से पता चला है कि इस मामले में बेहद लापरवाही व अमानवीयता हुई है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जे.जे. एक्ट व अन्य चाइल्ड प्रोटैक्शन एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए, लेकिन अब इस मामले में दो दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण डा. राज  सिंह ने चेतावनी दी है कि यदि रविवार को भी कोई कदम नहीं उठाया गया तो वे भूख हड़ताल कर बच्ची के पक्ष में जन सहयोग जुटाएंगे।

आज रिपार्ट नहीं मिली तो प्रशासन खुद करवाएगा जांच : एस.डी.एम.
एस.डी.एम. आशुतोष राजन ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए कहा कि डी.सी. साहब ने रिपोर्ट शीघ्र मांगी है। इसके बावजूद स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट देने में समय लगाया जा रहा है। इस मामले में प्रशासन रविवार सुबह तक इंतजार करेगा। इसके बाद भी यदि रिपोर्ट नहीं आई तो प्रशासन अपने स्तर पर जांच करवाएगा। बच्ची के मामले में जलालत हुई है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

 

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Edited By

Manisha rana

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