खुलासा: कोरोना के नाम पर निजी अस्पताल बोल रहे झूठ, पैदा कर रहे भय का माहौल

punjabkesari.in Sunday, May 02, 2021 - 04:47 PM (IST)

रेवाड़ी (मोहिंदर भारती): कोरोना के नाम पर कुछ निजी अस्पतालों में झूठ बोला जा रहा है, इसका खुलासा जिला प्रशासन द्वारा गठित की गई ऑडिट टीम के निरीक्षण के दौरान सामने आ गया। जिले के चार बड़े निजी अस्पतालों ने खुद के अस्पतालों में वेंटिलेटर से आईसीयू और ऑक्सीजन के बेड फुल दिखा दिए। निरीक्षण टीम जब सच्चाई जानने के लिए अस्पतालों में पहुंची तो सबकुछ शीशे की तरह साफ नजर आया। अस्पतालों द्वारा रिपोर्ट में दी गई गलत जानकारी और ऑडिट टीम रिपोर्ट में पाई गई अनियमितता पर डीसी ने सख्त एक्शन लिया है। डीसी के निर्देश पर चारों अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस भेजकर 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा गया है।

दरअसल, जिला में कोरोना के हालात को काबू करने व प्रत्येक मरीज को जल्द से जल्द उचित उपचार मिले इसको ध्यान में रखते हुए डीसी यशेन्द्र सिंह ने बीती देर रात तक जिला के कोविड मरीजों का इलाज कर रहे 21 अस्पतालों के डाक्टरों के साथ बैठक कर मंथन किया। जरूरतमंद मरीज को ऑक्सीजन की सप्लाई मिले तथा बेड की व्यवस्था हो इस पर विस्तार से चर्चा की गई। जिला में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए डीसी यशेन्द्र सिंह एक्शन मोड में दिखाई दिए। डीसी यशेन्द्र सिंह ने बैठक में कहा कि जरूरतमंद को ऑक्सीजन व बेड मिले तथा जो मरीज ठीक हैं उन्हें डिस्चार्ज किया जाए। बता दें कि कुछ अस्पतालों में मेडिक्लेम के मरीजों को अस्पताल द्वारा लंबे समय तक रखा जा रहा है। जबकि वास्तव में कहानी कुछ और ही है।



ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया पैनिक
डीसी यशेन्द्र सिंह ने अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरूरत की अस्पताल वाईज समीक्षा की। अस्पतालों में ऑक्सीजन रिक्वायरमेंट जानकर डीसी ने बैठक में ही डिप्टी सिविल सर्जन डा. विजय प्रकाश व एमओ डा. सर्वजीत थापर को अस्पतालों में ऑक्सीजन का स्टेटस जानने के लिए भेजा। डाक्टरों की टीम ने ऑडिट करने पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि अस्पताल जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन की डिमांड प्रशासन से करके पैनिक माहौल पैदा कर रहे थे।

इन अस्पतालों की सच्चाई देख दंग रह जाएंगे आप
1. मीटिंग में मातिृका अस्पताल रेवाड़ी ने बताया कि उनके अस्पताल में 5 मरीज हाई फ्लो ऑक्सीजन पर हैं जबकि निरीक्षण करने पर हाई फ्लो पर कोई मरीज नहीं मिला। अस्पताल ने बताया कि उनके यहां ऑक्सीजन पर 30 मरीज हैं जबकि जांच में 18 मरीज पाए गए तथा वेंटिलेटर पर 2 मरीज बताए गए जबकि जांच करने पर एक मरीज पाया गया। 34 मरीज अस्पताल में भर्ती बताए गए जबकि ऑडिट के दौरान 31 मरीज मिले। बाईपेप पर 2 मरीज बताए गए जबकि एक ही मरीज बाईपेप पर भर्ती था।

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2. कैप्टन नंदलाल अस्पताल ने बताया कि उनके अस्पताल में 34 मरीज भर्ती हैं जबकि ऑडिट टीम द्वारा चैक किया गया तो 14 मरीज पाए गए। सभी 14 मरीज को ऑक्सीजन लगी हुई थी जबकि 5 नार्मल बेड पर थे जिनको दो लीटर प्रतिमिनट के हिसाब से ऑक्सीजन चल रही थी। 9 मरीज आईसीयू में भर्ती थे जबकि रिपोर्ट में शून्य मरीज दिखाए गए। इनमें से 8 मरीजों की ऑक्सीजन 2 लीटर प्रति मिनट चल रही थी। अस्पताल द्वारा वेंटिलेटर पर 2 मरीज दिखाए गए थे जबकि एक मरीज था और आक्सीजन के 30 बेड बताए गए जबकि 18 बेड ही जांच में पाए गए।

3. सिग्नस अस्पताल ने बताया कि उनके अस्पताल में 31 मरीज भर्ती हैं जबकि जांच टीम द्वारा चैक किया गया तो 25 मरीज पाए गए। 4 मरीज आईसीयू में भर्ती थे जबकि रिपोर्ट में शून्य मरीज दिखाए गए। अस्पताल द्वारा वेंटिलेटर पर 2 मरीज दिखाए गए थे जबकि एक मरीज था।

4. इसके अलावा वेदांता अस्पताल ने बताया कि उनके अस्पताल में 27 मरीज भर्ती हैं जबकि जांच टीम द्वारा चैक किया गया तो 31 मरीज पाए गए। 

24 घंटे के भीतर देना होगा जवाब

सीएमओ डा. सुशील माही ने मातिृका, कैप्टन नंदलाल अस्पताल, सिग्नस व वेदांता के डाक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी करके 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है कि उन्होंने प्रशासन को गुमराह करते हुए मरीजों की स्थिति व मरीजों के डाटा बारे गलत सूचना क्यों दी। बता दें कि 30 अप्रैल को अस्पतालों द्वारा मरीजों की स्थिति व मरीजों के डाटा से जो जानकारी उपलब्ध कराई थी उसमें जांच टीम द्वारा एक मई को निरीक्षण करने पर भिन्नता पाई गई है जो कि महामारी के समय गंभीर लापरवाही है। बाकी अस्पतालों की आक्सीजन स्टेटेस जानने के लिए कमेटी गठित कर दी गई है जो यह चैक करेगी कि वास्तव में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कितनी जरूरत व खपत है।
 

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Content Writer

Shivam

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