किसान आंदोलन: पक रही फसलों को काटने के लिए पंजाब के किसानों ने बदली रणनीति

punjabkesari.in Friday, Feb 26, 2021 - 10:22 AM (IST)

सोनीपत : 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर उतरे किसानों की रहनुमाई करने वाले संगठनों के नेता अपने आंदोलन को किसी भी सूरत में कमजोर होने नहीं देना चाहते। रबी सीजन की पक रही फसल व गर्मी के मौसम को देखते हुए अब किसान अपनी रणनीति में बदलाव करने लगे हैं। किसान अब लंबे समय पर नहीं बैठकर बल्कि एक-एक सप्ताह के लिए बैठा करेंगे। आलम यह है कि सिंघू बॉर्डर धरने पर पहुंचने के लिए काफी संख्या में किसानों के जत्थे ट्रेनों के माध्यम से रेलवे स्टेशन पर पहुंचने लगे हैं।

कृषि कानूनों के विरोध में वीरवार को रेलवे स्टेशन सोनीपत पर जत्थों में पहुंचे पंजाब के बङ्क्षठडा के महाराज गांव  के किसानों ने कहा कि वे आंदोलन को किसी भी सूरत में कमजोर नहीं होने देंगे। इसके लिए वे कुंडली बॉर्डर व सिंघू बॉर्डर धरने पर ही नहीं बल्कि पंजाब में भी रणनीति बना रहे हैं। उन्होंने माना कि कुछ दिन पहले लंबे समय से बैठे किसानों ने घर जाने के लिए इच्छा जाहिर की थी, उसी के चलते अब यह रणनीति बनाई गई है। एक-एक सप्ताह किसान कुंडली बॉर्डर पर धरने पर बैठेंगे।

इसी शृंखला से किसान अपने आंदोलन को कामयाबी तक लेकर पहुंचेंगे। किसान आंदोलन में पंजाब के 32 किसान यूनियनें शामिल हैं। यूनियन के नेताओं ने बताया कि उन्होंने पंजाब में बैठक करके फैसला लिया है कि पंजाब में महापंचायत नहीं की जाएगी और पूरी ताकत किसान आंदोलन को चलाने में झोंकने की रणनीति बनाई गई है। किसान बचाओ मोर्चा के नेता कृपा सिंह व भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के जनरल सैक्रेटरी हरिंद्र सिंह लक्खोवाल ने बताया कि वे अब रणनीति में बदलाव करके किसान आंदोलन को मजबूती देंगेे।
 
आंतिल खाप की रणनीति बनी संजीवनी
ट्रेन के माध्यम से बङ्क्षठडा से आए किसानों ने कहा कि कुछ दिन पहले वे आंतिल चौबीसी खाप के टैंट में बैठे थे। इस दौरान आंतिल खाप ने रणनीति बनाते हुए जिम्मेदारी लगाई थी कि रोजाना आंतिल खाप के एक गांव के ग्रामीण कुंडली बॉर्डर धरने पर पहुंचेंगे, इसी से रणनीति को संजीवनी मानते हुए अब पंजाब के गांवों में मुनादी करवा दी है और गांवों की सूची दी है कि इस दिन इस-इस गांव के लोग सिंघू बॉर्डर पर पहुंचेंगे।


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Content Writer

Isha

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