कुदरत का कहर: प्रदेश में हुई बारिश व ओलावृष्टि ने बढ़ाई किसानों की चिंता, मुआवजे की उम्मीद

punjabkesari.in Saturday, Mar 14, 2020 - 09:18 PM (IST)

यमुनानगर/ गोहाना (सुमित/सुनील): पिछले 3 दिनों से खराब मौसम के चलते हरियाणा प्रदेश के अलग-अलग जिलों में हुई बारिश व ओलावृष्टि के कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है। बेमौसमी बारिश के कारण गेंहू-सरसों आदि फसलें बर्बाद हो रही हैं, रही-सही कसर ओलावृष्टि निकाल रही है। बारिश के साथ होने वाली ओलावृष्टि में फसलें तहस नहस हो गई हैं। ऐसे में किसानों की उम्मीद पर पानी के साथ पत्थर भी फिर गया है। किसानों को अब सरकार से उम्मीद है कि इस प्राकृतिक आपदा के कारण हुए नुकसान का मुआवजा मिल जाए तो कुछ राहत और तसल्ली हो, वरना जो किसान सिर्फ अपनी फसलों से होने वाली आय पर निर्भर हैं, उन्हें इस बार खाने के लाले पड़ सकते हैं।

सोनीपत के गोहाना के किसानों ने बताया कि अबकी बार उम्मीद थी कि उनकी गेहूं की फसल की अच्छी पैदावार होगी, लेकिन पिछले कई दिनों से मौसम खराब होने के चलते फसलों को भारी नुकसान हुआ है। किसान बारिश के चलते खराब हुई फसलों की सरकार से गिरदावरी की मांग करते आ रहे हैं। अब बारिश के साथ साथ ओलावृष्टि से तो किसान और मायूस हो गए हैं। किसानों को कहना है कि सरकार यदि मुआवजा दे तो उनका गुजारा हो।

नूंह जिले के पुन्हाना खंड में तेज बरसात-ओलावृष्टि के बाद गेहूं व सरसों की फसल को काफी नुकसान हुआ है। बेमौसम बरसात ही नहीं ओलावृष्टि ने धरतीपुत्र किसान को हिलाकर रख दिया है। किसानों ने सरकार से स्पेशल गिरदावरी की मांग करते हुए खराब फसलों का मुआवजा देने की मांग की है। खंड के सिंगार, इनदाना, मढयाकी, बिछोर, नीमका, पलवल जिले के खाई का इत्यादि गांव के जंगल में जमकर ओलावृष्टि हुई है। जिससे गेहूं व सरसों की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई, बाकि फसलों को भी नुकसान हुआ है। सरसों की कटी हुई फसल खेतों में ही झड़ गई और गेहूं की फसल धरती पर बिछ गई। 

यमुनानगर में पिछले 3 दिनों से खराब हुए मौसम के चलते जिले के किसानों के रंग उड़ गए हैं। पिछले 3 दिनों से आंधी, तूफान, बरसात, ओलावृष्टि होने से फसलें तबाह हो गई हैं। पिछले 2 दिनों से कृषि विभाग के कार्यालय में किसानों का तांता लगा हुआ है, जो अपनी फसल का ब्योरा बीमा कंपनियों को भेजने के लिए आ रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार लगभग 250 किसान अभी तक अपनी खराब हुई फसल का ब्योरा कृषि विभाग को सौंप चुके हैं, ताकि कृषि विभाग उन्हें बीमा कंपनियों तक पहुंचाए और उन्हें क्लेम मिल सके। 

मौसम के अभी भी साफ होने के अनुमान नहीं है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बरसात टुकड़ों टुकड़ों में हो रही है, जिसके चलते अभी तक सही मायनों में पूर्ण रूप से नुकसान का आंकलन नहीं किया जा सका है, लेकिन इसके लिए कार्रवाई जारी है। लगातार बरसात व ओला वृष्टि से तापमान में गिरावट आई है और लोग इस मौसम में भी ठंड का अहसास कर रहे हैं। फसलों में पानी जमा हो गया है। 

यहां किसानों का कहना है कि अब तो किसी हालत में भी खेती लाभ का सौदा नहीं रही। कोई ही ऐसा सीजन होता होगा जब वे अपनी फसल को बिना किसी नुकसान के उठाते होंगे। कभी बरसात, कभी ओले तो कभी बाढ़, तो कभी आग किसान की उम्मीदों पर पानी फेर रही है।


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Shivam

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