किसान आंदोलन के समाधान के लिए सरकार को छोडऩा होगा हठ: राजन राव

punjabkesari.in Tuesday, Dec 29, 2020 - 08:03 PM (IST)

गुरुग्राम (गौरव): हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्षा, कुमारी सैलजा के राजनैतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने कहा कि किसान आंदोलन के समाधान के लिए सरकार अहम और हठ को छोडऩा होगा। अगर वास्तव में ही सरकार किसान हितैषी है तो हर प्रकार के छल और प्रपंचों को किनारे कर खुले मन से किसानों की समस्या को समझते हुए उन्हें दूर करना होगा। किसान इसी आस में है कि सरकार उनकी बात को समझेगी। अभी तक छह दौर की वार्ता में सरकार ने अपना अडिय़ल रुख ही किसानों को दिखाया है। अब समय आ गया है कि सरकार सभी तरह की जिद छोड़कर देशहित और अन्नदाता के हित में कदम उठाए।

राव ने कहा कि सरकार किसानों के साथ भी राजनैतिक द्वेष को भावना से कार्यवाही कर रही है। किसान नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई इस बात का प्रमाण है। किसान नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी सरकार की मंशा को उजागर करती है। उन्होंने कहा कि सातवें दौर की वार्ता का प्रस्ताव स्वीकार कर किसानों ने यह साफ कर दिया है कि वो समस्या के समाधान के लिए तैयार हैं। लेकिन सरकार चंद कॉरपोरेट के दबाव में किसान हितों को दरकिनार कर रही है। उन्होंने कहा कि आए दिन किसान मर रहे हैं। जो किसान कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने की मजबूर हैं, उनके परिवारों पर क्या गुजर रही होगी सरकार को इससे भी कुछ लेना देना नहीं। 

राव ने कहा कि सरकार की किसान हितों के प्रति मंशा उसी दिन साफ हो गई थी जब अडानी ने पानीपत में 100 एकड़ जमीन खरीदी थी। उसी दिन से सरकार ने मंडियों और खेती पर कब्जे की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा कि बिना किसी योजना या सही तैयारी के कोई भी कानून ऐसे रातों-रात नहीं बन जाता। किसानों के खेत और फसल कार्पोरेट के हाथों पर सौंपने का खाका बहुत पहले ही खींचा जा चुका था। कार्पोरेट इसके लिए अपनी तैयारी पूरी कर चुका था। इसके बाद ही केंद्र की आरएसएस-भाजपा सरकार ने किसान विरोधी कृषि कानून बनाये। इस बात की पुष्टि पानीपत जिले के नौल्था गांव में 100 एकड़ ज़मीन में बन रहे अडानी के कृषि गोदाम से होती है। जिस तरह आसाम में एनआरसी से पहले शरणार्थी कैंप बनाए गए थे। 

राव ने कहा कि पानीपत जिला के इसराना तहसील के गांव नौल्था में अडानी ग्रुप ने 100 एकड़ से ज्यादा जमीन 2 साल पहले खरीदी हुई है, जहां अब रेलवे ट्रैक, सड़क व मंडी का कार्य जारी है। गोहाना के गांव मुंडलाना व कैथल में भी ऐसे ही जमीन अडानी ग्रुप द्वारा खरीदी गई है। अगर ये सरकार कॉरपोरेट को फायदा नहीं पहुंचाना चाहती तो ऐसा किसानों को अजीब डर दिखा कर अडानी ग्रुप के हाथों जमीन बेचने के लिए क्यों मजबूर किया गया? उन्होंने कहा कि सरकार को इस तरह के धोखे पर सफाई देते हुए खुले मन से बात करनी चहिए। 

राव ने उम्मीद जताई कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करते हुए किसानों के साथ समस्त देशवासियों को नए साल का मुबारक तोहफा देगी। साथ ही किसानों कि एमएसपी की कनुनी गारंटी के साथ बिजली बिल ड्राफ्ट में बदलाव का भी कदम उठाएगी और पराली कानून से किसानों को बाहर रखने की दरियादिली दिखाएगी। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है और फिर संशोधन आदि का झुनझुना बजाया जाता है तो समझ लेना होगा कि यह सरकार कॉरपोरेट के हाथ पूरी तरह बिक चुकी है। उसे अन्नदाता और देशहित से कोई सरोकार नहीं है। 


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Shivam

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