औचित्यहीन वार्ता से किसानों को भटकाने का हो रहा प्रयास: राजन राव

punjabkesari.in Saturday, Jan 23, 2021 - 02:15 PM (IST)

गुरुग्राम (गौरव): हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष कुमारी शैलजा के राजनीतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने किसान नेताओं और सरकार के बीच बार बार होने वाली वार्ता को औचित्यहीन बताते हुए इसे किसानों को उनके मकसद से भटकाने सरकारी प्रयास बताया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की मंशा साफ होती तो वार्ता के पहले दिन ही गतिरोध थम गया होता। बार बार औचित्यहीन वार्ता का तमाशा बना सरकार किसानों को भटकाने का प्रयास कर रही है। लेकिन सरकार का यह मंशूबा भी कभी सफल नहीं होगा। 

सरकार किसानों की मांग पर विचार करने को तैयार ही नहीं है तो क्यों बार बार वार्ता की टेबल सजाई जा रही है। किसान साफ तौर पर कह चुके हैं कि कानूनों के रद्द होने के अलावा उन्हें कुछ और मंजूर नहीं तो सरकार क्यों किसानों को नए नए पैंतरों में फंसना चाहती है। नए नए प्रस्तावों के माध्यम से एक बात साफ हो गई कि कृषि कानूनों और सरकार की मंशा में खोट तो है। अगर तीनों कानून किसान हित में हैं तो क्यों सरकार को उनमें संशोधन करना पड़ा? क्यों कानूनों में बदलाव के लिए सरकार एकदम तैयार हो गई। 

सरकार किसानों से एमएसपी के कानून पर बात क्यों नहीं करती। उन्होंने कहा कि आज किसान अपना सब कुछ दांव पर लगा कर देश बचाने निकला है। राव ने कहा पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है। जिन लोगों को यह मुगालता था कि यह आंदोलन केवल पंजाब, हरियाणा के किसानों का है तो पूरे देश में आंदोलन को मिल रहा समर्थन देख लें। पश्चिम बंगाल से लेकर महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान तक अन्नदाता के साथ पूरा देश एकजुट होकर कानून रद्द कराने की मांग कर रहा है। कांग्रेस के साथ समूचा विपक्ष किसानों के साथ खड़ा है। यहां तक कि भाजपा के कई साथी और एनडीए के घटक दलों को भी अब समझ आने लगा है कि भाजपा देश के धरतीपुत्र के साथ धोखा कर रही है। 

दरअसल, सरकार किसानों और देश के जज्बे को समझ नहीं पा रही है। सरकार अगर जिद्दी है तो अन्नदाता भी प्रतिबद्ध है। वह प्रतीबद्ध है देश की जनता को पूंजीपतियों के हाथ की कठपुतली बनने से रोकने के लिए, वह प्रतिबद्ध है सरकार की हथदर्मिता को चकनाचूर करने के लिए। अगर सरकार तानाशाही पर उतारू है तो किसान भी शांतिपूर्ण सत्याग्रह पर अडिग हैं। सरकार के पास अगर सत्ता बल है तो किसान के पास भी अनुशासन और अहिंसा की ताकत है।

आज पूरा देश किसान के इस जज्बे को सलाम कर रहा है।इतनी यातनाएं और कष्ट झेलने के बाद भी किसानों ने अपना धैर्य नहीं खोया। उन्होंने कहा कानूनों को कुछ अवधि के लिए स्थगित करने के प्रस्ताव को किसान ठुकरा चुके हैं। सरकार यह बात समझ लें कि किसान कानून रद्द कराने के लिए दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हैं न कि नए नए प्रस्ताव के लिए। 26 जनवरी को देश का किसान ट्रैक्टर परेड करके ही मानेगा। परेड को रोकने के लिए सरकार चाहे कितना दम लगा ले, यह होकर रहेगी। 

गणतंत्र दिवस उत्सव किसी सरकार की बपौती नहीं है, यह हर भारतीय नागरिक का पर्व है और हर किसी को अपने तरीके से इसे मनाने का पूरा अधिकार है। इसलिए अगर सरकार अब भी इस गतिरोध को खत्म करना चाहती है तो अगले दौर की वार्ता से पहले तीनों कानूनों को रद्द करे। ताकि किसान खुशी खुशी अपने घरों को लौट सके।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

vinod kumar

Recommended News

Related News

static