राकेश टिकैत जिस मर्जी सीट पर चुनाव लड़कर अपनी जमानत बचाकर दिखाएं : भूपेश्वर दयाल
punjabkesari.in Wednesday, May 26, 2021 - 10:56 AM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी) : हाल ही में हिसार घटनाक्रम के बाद गरमाई हरियाणा की सियासत में आज पंजाब केसरी ने मुख्यमंत्री के ग्रीवेंसिस ओएसडी भूपेश्वर दयाल से खास मुलाकात की। जिसमें उन्होंने कथित किसान नेताओं खास तौर पर राकेश टिकैत और चढूनी को बातों ही बातों में इस प्रकार की राजनीति की बजाएं चुनाव लड़ने का चैलेंज दिया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपनी राजनीतिक पूछ बनी रहे और पैसा आता रहे। इसलिए भोले-भाले लोगों को बरगला कर इस आंदोलन में बिठाए हुए हैं। लेकिन उन्हें भगवान से डरना चाहिए। साथ ही साथ उन्होंने इस आंदोलन के पीछे मुख्य रूप से दो विपक्षी पार्टियों पर भी हाथ बताया। जिसमें उनका इशारा साफ तौर पर कांग्रेस और इनेलो की तरफ था। दयाल ने कहा कि विपक्षी दलों को चाहिए कि इस प्रकार के आफतकाल में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहिए था। लोगों की सेवा करनी चाहिए थी। लेकिन यह लोग केवल और केवल अड़चनें पैदा करें में लगे हैं। उनसे कई मुद्दों पर बातचीत हुई।
भूपेश्वर दयाल ने कहा कि जब राजनीति मानवता पर हावी होने लग जाए तो सही में वह बहुत बुरा वक्त होता है। एक तरफ हमारा देश प्राकृतिक आपदा झेल रहा है और दूसरी तरफ संकुचित विचारधारा के लोग इस प्रकार की घटनाक्रम कर रहे हैं। आज मंदिर बंद है और अस्पताल खुले हैं। यानि आज मंदिर से ज्यादा जरूरी अस्पताल हैं। ऐसे अस्पताल जो इतने लोगों द्वारा मिलकर बनाए गए हैं। उन्हें तोड़ने तक के लिए लोग पहुंच जाएं तो यह सबसे ज्यादा हद गिरी की राजनीति है।भूपेश्वर दयाल ने कहा कि जिनका किसानी से-खेतों से कुछ लेना देना नहीं है। जो आज किसान नेता बने हुए हैं। फार्म हाउस के किसान नेता जो आज राजनीति में कूद पड़े हैं।
किसान यूनियन के नाम पर जो एक ठगबंधन चल रहा है। उसके पीछे आज दो पार्टियों का हाथ है। कौन किस से जुड़ा है। सारी पब्लिक को ज्ञात है। आज किसान अपने खेतों में मेहनत कर रहा है। किसान अपनी दो वक्त की रोटी कमाने में लगा है। यह लोग भोले-भाले लोगों को लेकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। अपने प्रदेश को छोड़कर यहां पर बैठे हैं। 2022 में उत्तर प्रदेश में चुनाव हैं। टिकैत 403 सीटों मे से जिस मर्जी सीट पर चुनाव लड़कर अपनी जमानत बचा कर दिखाएं। मैं उनका स्वागत करता हूं। वही चढूनी जी भी जहां से चाहे चुनाव लड़े। लेकिन लोगों की जान से न खेलें। आज लोगों की जान बचाना बहुत जरूरी है। केवल इसलिए कि पैसा आता रहे, केवल इसलिए कि इनकी राजनीतिक पूछ होती रहे, इसलिए यह लोगों को बरगलाकर ट्रैक्टर-ट्राली में भरकर ले जा रहे हैं और उनको बीमार करके मरने के लिए छोड़ दे रहे हैं। सरकार का काम बढ़ा रहे हैं। टिकैत और चढूनी जी कहते हैं कि किसानों के धरने में कोरोना नहीं है। वह तो अस्पतालों में है। मैं कहना चाहता हूं कि ऊपर वाले से डरें। स्वास्थ्य का ख्याल रखें। हजारों लोग वहां आते जाते हैं। न वहां मास्क है, न सोशल डिस्टेंसिंग है और न सैनिटाइजेशन है। वहां केवल आपकी राजनीतिक रोटियां सिक रही हैं।
भूपेश्वर दयाल ने कहा कि जो आंदोलनजीवी हैं। परजीवी है। वह ऐसे लोग जो फार्म हाउस के किसान हैं। जिन्होंने कभी फोटो खिंचवाने के अलावा खेत की मेढ़ नहीं देखी है। सुबह से शाम तक केवल ट्विटर पर लोगों से संपर्क में रहते हैं। न सदन में आते हैं। न लोगों से मिलते हैं। जब कोई इंडस्ट्रीलिस्ट चार सिलेंडर देता है तो उसके ऊपर अपनी और राहुल गांधी की फोटो जरूर लगाकर बांटते हैं।कुछ फार्म हाउस पर बुलाकर लोगों को पीटने वाले लोग हैं। जिन्होंने तीन पुश्तों से कभी किसानी नहीं की। यह फिर भी किसान नेता बने हुए हैं। भूपेश्वर दयाल ने कहा कि सरकार जो कर सकती थी वह कर रही है। एक सकारात्मक रुख अपनाने की बजाय ऐसे काम पर भी राजनीति हो रही है। जहां लोग मर रहे हैं। प्राकृतिक आपदा के इस समय में कांग्रेस के साथी अगर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर एक पॉजिटिव आउटरीच करते।
सरकार के संसाधनों को बढ़ाने की कोशिश करते। लोगों की मदद करते तो एक अच्छी बात होती। ऐसे में ऐसी टीका टिप्पणी करना कि यह नहीं हुआ, वह नहीं हुआ कहना बहुत आसान है। ऐसी आपदा की किसी को उम्मीद नहीं थी कि इतने गुना एक विरिएन्ट बनकर हिंदुस्तान के नाम पर आएगा और लोगों पर कहर बरपाएगा। सरकार ने बड़ी मेहनत की। आज पंजाब में कांग्रेस की सरकार है और वहां के मुख्यमंत्री कई महीने से अपने फार्म हाउस के फर्स्ट फ्लोर से नीचे नहीं उतरे। एक तो उदाहरण वह हैं और दूसरी तरफ हमारे मुख्यमंत्री कोरोना से ग्रसित हो गए, दोबारा फिर बीमार पड़ गए। उसके बावजूद वह हरियाणा के हर जिले में जाकर अस्पतालों का निरीक्षण करते हैं। निजी तौर पर वहां ऑक्सीजन का आवंटन चेक करना भी उनकी कार्यशैली में शामिल है। आज हमारे मुख्यमंत्री अपने घर पर नहीं बैठे हैं। अपने शहर तक में नहीं है। 4 दिन हफ्ते में मुख्यमंत्री ग्राउंड पर रहते हैं। लोगों का काम करते हैं। नकारात्मक की राजनीतिक जो कांग्रेस और अन्य पार्टियां कर रही हैं। वह उनको भी झेलते हैं। ऐसे समय में बिना जवाब दिए केवल जन सेवा में दिन रात एक किए हुए हैं।
भूपेश्वर दयाल ने कहा कि ब्लैक फंगस नाम की बीमारी के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी अभी अवेलेबल नहीं है। एक टीके के बारे में 1 हफ्ते पहले ही पता चला है कि इसकी आवश्यकता पड़ेगी। क्योंकि इस बीमारी की पहले अपेक्षा नहीं थी।इसलिए टीका अवेलेबल नहीं है। सरकार मैन्युफैक्चर से कांटेक्ट कर रही है। जिस तरह रेमडिसिविर के अवेलेबिलिटी इंश्योर की गई। यह टीके भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। बाकी इलाज के बारे में तो डॉक्टर ही बेहतर बता पाएंगे। क्योंकि एक नई बीमारी है। भूपेश्वर दयाल ने कहा कि पहले फेज में जब वैक्सीनेशन की गई तो देश में हाईएस्ट 23 फ़ीसदी वेस्टेज हरियाणा को करनी पड़ी। कई महीनों का सफर यह रहा कि सरकार को ऐड करनी पड़ी। भाजपा के वालीएंटर्स घर-घर जाकर लोगों से वैक्सीन लगवाने के लिए रिक्वेस्ट करते थे। लेकिन लोग नहीं आए। ऐसे समय में यह आंदोलनजीवी ट्विटर के माध्यम से एक प्रॉपगंडा करते रहे।
कई नेताओं ने तो यह तक कहा की इस वैक्सीन को लगवाने से मनोवृति भाजपा की हो जाएगी। आज जब लोगों को यह जरूरत महसूस हुई। इस वैक्सीन की गुणवत्ता साबित हुई। आज एकदम सभी लोग वैक्सीन लगवाना चाह रहे हैं।अगर उस समय लोग वैक्सीन लगवाते तो शायद यह कतारे नहीं होती। मैं फिर कहूंगा कि राजनीति कोरोना या अन्य आपदाओं के मैटर पर नहीं होनी चाहिए। डॉक्टरों पर इलाज को छोड़ दें। ऑक्सीजन के मामले पर इतना हाहाकार मचाया गया। किसी ने पॉजिटिव मदद नहीं की। वही कुछ डोज भारत ने श्रीलंका-बांग्लादेश में भेजी। क्योंकि पड़ोसी भी हमारे भाई हैं। हमें उनका भी ध्यान रखना है। कल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर पूरे पंजाब में पोस्टर लगाए कि बच्चों की वैक्सीन मोदी जी आपने विदेश में क्यों भेज दी। एक बात को नहीं समझ रहे हैं कि जब फिलिस्तीन में आतंकवादी मारे जा रहे हैं उसके लिए तो कांग्रेस पार्टी ट्वीट करके और फिर आंदोलन करने में व्यस्त है। जब हमारे पड़ोसी मुल्क जो हमारे दुख सुख के साथी हैं। आज अमेरिका, स्वीडन जैसे देश हमारी मदद कर रहे हैं। अगर हमने उनके लिए कुछ वैक्सीन भेज भी दी तो इन्हें दर्द क्यों हो रहा है।
भूपेश्वर दयाल ने कहा कि बिल्कुल कार्रवाई हुई है। कई जिलों में ओवर चार्जिंग करने वाले अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें डिसइंपैनल कर दिया गया है। ऐसे समय में लोगों को ज्यादा अस्पताल चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने भी चेतावनी दी है कि ओवरचार्जिंग करने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मैं यह कहना चाहूंगा कि इस दौर में पता चला कि डॉक्टर भगवान का स्वरूप है। 99 फ़ीसदी डॉक्टर भगवान बन कर लोगों की मदद कर रहे हैं। कहीं 1 फ़ीसदी इस पेशे को बदनाम कर रहे हैं।मुख्यमंत्री की चेतावनी एक फ़ीसदी उन लोगों के खिलाफ हैं जो इतने नोबल प्रोफेशन को बदनाम करने में लगे हैं।
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