सर्व कर्मचारी संघ का हल्ला बोल प्रदर्शन, 15 विभागों के कर्मचारियों ने लिया हिस्सा
punjabkesari.in Sunday, Dec 12, 2021 - 05:27 PM (IST)
नूंह (एके बघेल): सर्व कर्मचारी संघ के आह्वान पर पीडब्ल्यूडी के रेस्ट हाउस में हल्ला बोल प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें कर्मचारियों ने ओल्ड रेस्ट हाउस नूहं से गांधी पार्क तक पैदल नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में 15 विभागों के कर्मचारियों ने हिस्सा लिया, जिसकी अध्यक्षता सर्व कर्मचारी संघ जिला प्रधान तैय्यब हुसैन ने की और संचालन जिला सचिव योगराज दीक्षित ने किया।
प्रदर्शन में एएचपीसी वर्कर यूनियन राज्य सचिव सामून खान, नल्हड़ मेडिकल कॉलेज से जितेंद्र गुलिया, संदीप देसवाल, ओमबीर, विजय कुमार व राजबीर सिंह, जन स्वास्थ्य विभाग से लिखी राम सचिव अख्तर हुसैन, अध्यापक संघ के जिला प्रधान फूल कुमार व जिला सचिव अरशद हुसैन ,नगर पालिका से सुभाष व खंड प्रधान असलम व बनवारी लाल, अब्बास आदि मौजूद थे। प्रदर्शन में मेवात माडल स्कूल्स एम्पलोइज वैलफियर एसोसिएशन के महासचिव निसार अहमद व वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिजेंद्र सिंह ने मेवात माडल स्कूलों को शिक्षा विभाग में समायोजित करने के लिए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा का हार्दिक धन्यवाद किया और अनुबंधित कर्मचारियों को पक्का करने व कोविड संक्रमण से अकाल मृत्यु का शिकार हुए कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी देने की मांग की।
योगराज दीक्षित जिला सचिव ने कहा कि हल्ला बोल प्रदर्शनों में ठेका प्रथा समाप्त कर सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, पक्का होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने, एनपीएस रद्द कर पुरानी पैंशन बहाली, तब तक केन्द्र सरकार की तर्ज सरकारी अंशदान 10 से बढ़कर 14 प्रतिशत करने, रिटायरमेंट पर मेडिकल भत्ता और मेडिकल बिलों की प्रतिपूर्ति का भुगतान करने, लिपिक को पे-मैट्रिक्स लेवल-6 में 35400 वेतन देने, 18 महीने के डीए के एरियर का भुगतान करने, एचआरए के स्लैब में बदलाव कर 9-18-27 करने, जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच सेवानिवृत्त हुए कर्मियों के लीव एनकेशमेंट व ग्रेच्यूटी की पुन: गणना करते हुए अंतर का भुगतान करने, नेशनल मुद्रीकरण योजना के तहत सार्वजनिक के किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने आदि मांगों को भी प्रमुखता से उठाया गया।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला प्रधान तय्यूब हुसैन ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के चलते अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने एक कार्यकारी आदेश से जनवरी, 2004 से पुरानी परिभाषित पेंशन स्कीम खत्म कर नए कर्मचारियों पर एनपीएस थोप दी गई थी। हरियाणा में एनपीएस जनवरी, 2006 से लागू की गई थी। उन्होंने कहा कि भाजपा व कांग्रेस ने मिलकर यूपीए-2 के कार्यकाल में संसद में पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) विधेयक पास कर एनपीएस लागू की थी। उन्होंने कहा कि इस स्कीम के तहत कर्मचारी के मूल वेतन का दस प्रतिशत हिस्सा कटौती किया जाता है और इतना ही राशि सरकार द्वारा जमा करवाया जाता है। रिटायरमेंट पर जमा हुई कुल राशि का 40 प्रतिशत नकद और बाकी 60 प्रतिशत राशि को शेयर मार्केट में निवेश किया जाता है। इसके लिए बकायदा फंड मैनेजर नियुक्त किया गया है। शेयर मार्केट के उतार चढ़ाव से पेंशन का निर्धारण होता है। जो एक हजार से तीन हजार के बीच ही होती है। जिसके कर्मचारी का परिवार गुजर बसर नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट का भी यह कथन हैं कि पेंशन कोई खैरात व उपहार नहीं है बल्कि कर्मचारी द्वारा सरकारी सेवा में जीवन का दिया बहुमूल्य समय के बदले बुढ़ापे का सहारा है। उन्होंने कहा कि एनपीएस के विरोध मे कर्मियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस आक्रोश को देखते हुए ही सातवें वेतन आयोग ने भी एनपीएस को समाप्त कर कोई अन्य बेहतर पेंशन स्कीम लागू करने की सिफारिश की थी, किंतु केंद्र सरकार ने इसे अनदेखा कर दिया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने एनपीएस में कुछ संशोधन करके आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास किया है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि जब तक पुरानी पेंशन बहाली व ठेका प्रथा समाप्त कर कच्चे कर्मियों को पक्का नहीं किया जाएगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
चरखी दादरी में भी हुआ प्रदर्शन
चरखी दादरी (नरेन्द्र): वहीं चरखी दादरी में भी सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा संबंधित आल इंडिया स्टेट गर्वमेंटस एम्लाईज फैडरेशन की स्थानीय ईकाई द्वारा अपने पूर्व प्रस्तावित कार्यक्रमानुसार सरकार व विभाग की कर्मी विरोध नीतियों के खिलाफ हल्ला बोल प्रदर्शन किया गया। इसकी अगुवाई सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान राजकुमार घिकाडा ने की।
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