धान सीजन के दौरान चीका अनाज मंडी में करोड़ों के घोटाले का अंंदेशा

punjabkesari.in Monday, Mar 01, 2021 - 08:42 AM (IST)

गुहला/चीका : चीका मंडी में विगत धान सीजन के दौरान बड़े घोटाले की आशंका जताते हुए मंडी के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि इस बार धान के सीजन में चीका मंडी में करोड़ों का घोटाला हुआ है जिसमें न केवल व्यापारी शामिल है बल्कि कई विभागों से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हैं। मंडी में इस बड़े घोटाले को अंजाम देते हुए यह फर्जीवाड़ा सरेआम किया गया है। सूत्रों की मानें तो सरकार यदि इस मामले पर जांच बिठा देती है तो बहुत बड़े घोटाले की परतें खुल सकती हैं। मंडी से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि चीका मंडी में विगत धान सीजन में फर्जी रूप से लगभग 1 लाख क्विंटल के करीब धान लिखा गया है जिसके फर्जी गेटपास जारी करने के लिए 2 लड़केे विशेष रूप से कम्प्यूटर संभालने के लिए रखे गए थे।

इतना ही नहीं जो व्यापारी सही ढंग से कार्य कर रहे थे उनके गेट पास कटवाने के लिए व्यापारियों या उनके मुलाजिमों को लाईनों में लगना पड़ता था जबकि दूसरी तरफ आलम यह था कि जो व्यापारी इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे थे उन व्यापारियों के व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर ही गेट पास पहुंच जाते थे। विश्वस्त सूत्रों की माने तो मंडी में लगभग 10 आढ़ती ऐसे रहे हैं जिन्होंने धान के सीजन के दौरान लगभग 10-10 हजार क्विंटल तक फर्जी धान सरकारी खाते में लिखवाकर कुछ गिने चुने मिलर्स की मदद की है ओर फर्जीवाड़े को अंजाम देने में अपनी सहभागिता निभाई है।

सूत्रों के अनुसार गेटपास कटवाने की एवज में मार्कीट कमेटी को लगभग 20 रुपए प्रति क्विंटल तक की रकम बतौर नजराना दी गई है। उसके विपरीत मंडी में 200 से 250 रुपए प्रति क्विंटल तक का लेनदेन भी चला है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार पोर्टल पर उन किसानों का धान इसकी ऐवज में चढ़ाया गया जिन्होंने धान के अलावा कोई अन्य फसल अपने खेतों में लगाई हुई थी। इस मामले को लेकर विश्वस्त सूत्रों का यह कहना है कि व्यापारियों ने अपने साथ जुड़े किसानों का सहयोग लेते हुए इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया हालांकि किसान को इससे कोई फायदा नहीं हुआ। 

सरकारी खाते में जमकर लगाया पी.डी.एस. 
मंडी से जुड़े सूत्रों की माने तो इस बार जिन गिने चुने मिलर्स द्वारा फर्जी माल लिखवाया गया ओर उसकी एवज में जमकर पी.डी.एस. चावल लगाया गया। वे इस समय जमकर पी.डी.एस.(पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) का चावल नए चावल के साथ मिलाकर सी.एम.आर. की गाडिय़ां लगा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि सरकार एकाएक फिजीकल वैरिफिकेशन करवाती है तो मामले का पटापक्षेप हो सकता है लेकिन यदि इस मामले में समय गंवाया जाता है तो फर्जीवाड़ा समय अनुसार सुधार लिया जा सकता है। 

पी.आर.-14 धान की जमकर हो रही बिक्री
धान के सीजन के दौरान सरकार की हिदायत के अनुसार पेड़ी गे्रड़ ए की ही खरीद सरकारी खाते में की जा सकती है जिसमें मोटा व लंबे दाने का धान खरीदा जाता है लेकिन ज्यादातर जो धान खरीदा जाता है उसका चावल सरकार को अक्सर कम ही लगता है। चीका व आसपास के क्षेत्र में पीआर-11-14 किस्म का धान उन मिलर्स को बेच दिया जाता है जो पी.आर. किस्म के धान का चावल पकाकर उसे प्राईवेट तौर पर बेच देते हैं लेकिन इतने बड़े मामले को बिना सांठ-गांठ के अंजाम देना संभव नहीं है। ज्यादातर कुछ एक मिलर्स द्वारा धान को दो नंबर में मिलों से निकलवा लिया जाता है।

मंडी सूत्रों ने बताया कि नियमानुसार राइस मिल से केवल वही धान बाहर निकाला जा सकता है जो प्राईवेट तौर पर खरीद किया गया हो सरकार धान केवल सरकार के खाते में ही लगाया जा सकता है जिसे मिल से बिना सरकारी अनुमति के नहीं निकाला जा सकता लेकिन गुहला क्षेत्र मेें पी.आर. 11-14 किस्म का धान अक्सर प्राईवेट बिकता है ओर निर्धारित समर्थन मूल्य से कहीं ज्यादा महंगा बिकता है इसलिए उस धान को बेच दिया जाता है व बाहरी राज्यों से पी.डी.एस. चावल मंगवाकर उसे मशीनों के जरिये साफ सुथरा बनाकर सरकार को जमा करवा दिया जाता है। कुल मिलाकर इस व्यवस्था में सुधार करने के लिए सरकार व प्रशासन लाखों कोशिशें ही क्यों न कर लें लेकिन ढाक के तीन पात वाली कहावत तब तक चरितार्थ होती रहेगी जब तक भ्रष्ट सिस्टम पर कोई कार्रवाई नहीं होती। 

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Content Writer

Manisha rana

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