स्पेशल गिरदावरी का काम जल्द होगा पूरा, किसानों को मिलेगा फसलों के नुकसान का मुआवजा: संजीव कौशल
punjabkesari.in Saturday, Nov 13, 2021 - 08:53 AM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी) : हरियाणा सरकार प्रदेश की सभी संपत्तियों को सेफ करने के लिए तरह-तरह के क्रांतिकारी कदम समय-समय पर उठा रही है। अब मॉडर्न रेवेन्यू रिकॉर्ड रूम बनाने का फैसला आम आदमी के लिए काफी लाभान्वित साबित होने वाला है। क्योंकि अपनी संपत्तियों से जुड़े किसी भी छोटे से छोटे डॉक्यूमेंट के लिए पहले व्यक्ति को न केवल भारी सुविधा शुल्क देना पड़ता था। साथ ही साथ संबंधित बाबू-पटवारी कई-कई दिनों या कई-कई महीनों तक भी चक्कर लगवाते थे। लेकिन अब सब कुछ माउस के वन टच पर मौजूद रहेगा।
आमजन के लिए यह एक बेहद राहत भरा कदम साबित होने वाला है। साथ ही प्रदेश सरकार प्रदेश की हर ग्रामीण-शहरी संपत्तियों को ऑनलाइन करने की तरफ पूरी तरह से कदम बढ़ा चुकी है। ग्रामीण आंचल में सदा से विवादों का एक बड़ा कारण बनी लाल डोरे की संपत्तियों को भी उनका स्वामी मिलने से सभी विवाद लगभग समाप्त हो जाएंगे। इन महत्वपूर्ण विषयों को लेकर राजस्व विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेट्री संजीव कौशल से पंजाब केसरी ने महत्वपूर्ण बातचीत की। जिसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जानकारी देने के साथ-साथ अपने सहकारिता विभाग पर भी कई विचार साझा किए। जिसके कुछ आपके सामने प्रस्तुत हैं:-
प्रश्न: मॉडर्न रेवेन्यू रिकॉर्ड रूम क्या है और यह किस स्टेज पर है ?
उत्तर: मॉडर्न रेवेन्यू रिकॉर्ड रूम का मतलब है कि सारा डाटा स्कैन करके डिजिटाइज्ड हो चाहे। कोई डॉक्यूमेंट 100 साल भी पुराना हो किसी भी व्यक्ति को एक्सेस करना हो तो वह रिकॉर्ड को आराम से एक्सेस कर सके। साथ में उसकी स्टोरेज की गई हो। व्यक्ति को डिजिटल विधि के जरिए सब कुछ मिल सके। फ्रंट डेस्क बन जाए। सभी उपायुक्तों के कार्यालय में स्टोरेज का एरिया अच्छा हो। यह काम हमने डेढ़ से दो साल पहले शुरू किया था। पिछले छह-सात महीनों से हम बड़ी तेजी से इस पर काम कर रहे हैं।
सभी उपायुक्तों और डिस्टिक रिवेन्यू अधिकारियों ने इस पर बहुत मेहनत की है। लगभग साढे 18 करोड डाक्यूमेंट्स स्कैन कर लिए गए हैं। उनकी वेरिफिकेशन पहले सर्विस प्रोवाइडर ऑफिस फिर डिस्टिक रिवेन्यू ऑफिसर भी 20 फ़ीसदी तक वेरीफाई करते हैं। इसके अलावा रिवेन्यू रिकॉर्ड रूम बनने के लिए पीडब्ल्यूडी अधिकारियों द्वारा काम कर लिया गया है। स्टोरेज रैक भी बना लिए गए हैं। आईटी का इंफ्रास्ट्रक्चर भी ऐड कर लिया गया है। यानि लगभग काम पूरा हो चुका है। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री से निवेदन करेंगे जो कि जल्द ही इसका उद्घाटन करेंगे।
प्रश्न: क्या हरियाणा मॉडर्न रेवेन्यू रिकॉर्ड बनाने वाला देश का पहला राज्य है ?
उत्तर: हरियाणा हर चीज में लगभग सबसे पहले रहता है। हमारे मुख्यमंत्री- हमारी सरकार डिजिटाइजेशन में बहुत अच्छा काम कर रही है। जब तक बाकी लोग सोचते होते हैं हरियाणा उस काम को कर दिखाता है। इस काम में भी हम सबसे आगे हैं।
प्रश्न: मसावियों को लेकर भी हरियाणा सरकार बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है। उसके बारे में कुछ बताएं ?
उत्तर: सभी गांवों के अलग-अलग इलाकों के मसावियों को डिजिटाइज किया जा रहा है। इसके लिए सर्वे ऑफ इंडिया के ऑफिस में फ्लैट बेड स्केनर है। हम वहां इस काम को करवा रहे हैं। इसके अलावा लैंड रिकॉर्ड के डायरेक्टर कार्यालय में भी हमने प्रबंध किया है। यह काम बहुत तेजी से वहां भी हो रहा है। हफ्ते दर हमने तिथि के अनुसार जिले बांटे हुए हैं। वहां से मसावियाँ आ रही हैं। उनकी प्रॉपर डिजिटाइजेशन की जा रही है। इसमें हर किसी को सुविधा मिले इस प्रक्रिया से हम काम कर रहे हैं। इन सभी चीजों को करने के पीछे हमारी यही अपेक्षा है कि क्योंकि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि पूरे हरियाणा की लाल डोरा की जमीन को हम स्वामित्व कर देंगे।
दूसरी तरफ हम रेवेन्यू एस्टेट को डिजिटाइज करते हुए उनके मैप्स बना लेंगे। तीसरा रेवेन्यू रिकॉर्ड रूम बन जाएगा। उसके बाद सारी अर्बन लोकल बॉडीज की प्रॉपर्टी के सारे रिकॉर्ड को भी डिजिटाइज्ड करके हम हर चीज को जीपीएस कोऑर्डिनेटर के साथ जोड़ देंगे। कोर्स नेटवर्क हमारा पहले ही चल रहा है जो कि 19 जगह पर स्थापित हो चुका है। उससे हर जगह का नक्शा हर एक प्लाट तक उसमें दिखेगा। हम इससे यह भी देखेंगे कि इस जगह का कलेक्टर रेट कितना है ? मुख्यमंत्री की यह भी सोच है कि कलेक्टर रेट एक रंग में आ जाए और प्लाट मालिक की सोच के मुताबिक कलेक्ट्रेट पूछा जाएगा कि वह क्या अपेक्षा करता है, उसके प्लॉट का क्या कलेक्ट्रेट होना चाहिए वह भी अलग कलर में आ जाएगा। व्यक्ति अपनी मर्जी से रेट भर सकता है यानि हर प्रॉपर्टी की डिटेल जीपीएस कोर्डिनेटर के साथ सारी सुविधाएं रहेंगी।
प्रश्न: रजिस्ट्री करने की पावर अन्य अधिकारियों को दिए जाने के पीछे सरकार का मकसद क्या है ?
उत्तर: हमारी यह तक सोच है कि रजिस्ट्री इत्यादि करवाने के लिए व्यक्ति को तहसील तक में जाने की जरूरत ना हो। घर बैठे ही अपनी प्रॉपर्टी को व्यक्ति ऑनलाइन बेच सके। सारे डॉक्यूमेंटेशन सब कुछ एक बटन टच पर मौजूद रहे। सब कुछ ऑनलाइन मिले।प्रिंटआउट तक ऑनलाइन मिल सके और अन्य अधिकारियों को पावर देने के पीछे भी सरकार का जीरो टोलरेंस ही मकसद है। व्यक्ति को तहसील में जाना ही ना पड़े। जिससे व्यक्ति की समय की बचत होगी। भारत सरकार भी एक लेजिसलेशन ला रही है। अगर भारत सरकार पहले कर लेगी तो अच्छी बात है।नहीं तो हरियाणा सरकार ने भी एक ड्राफ्ट लेजिसलेशन तैयार करने का फैसला कर लिया है।
प्रेसिडेंट के एसेंट के साथ उसे भी अप्रूवल की कोशिश हमारी रहेगी। हमारे पास तहसीलदार और नायब तहसीलदार हैं। लेकिन मुख्यमंत्री और कैबिनेट ने फैसला किया है कि किसी भी जिले में सभी एसडीएम और सीटीएम को हम इसके लिए ऑथराइज कर देंगे। मतलब व्यक्ति को तहसील में जाना ही आवश्यक नहीं रहेगा। उदाहरण के तौर पर जगाधरी तहसील क्षेत्र में मौजूद प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त के लिए जगाधरी तहसील की बजाय रादौर एसडीएम दफ्तर में जाकर भी यह काम करवा पाएंगे या सीटीएम कार्यालय में भी यही काम हो पाएगा। एसडीएम और सीटीएम सभी तहसीलों की रजिस्ट्री अपने दफ्तर में कर सकेंगे। हमारे पास 74 एसडीएम और 22 सीटीएम है जो अपने क्षेत्र की रजिस्ट्री कर पाएंगे। कुछ क्षेत्रों में उपयुक्त मात्रा में तहसीलदार न होने के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना होता था।किसी दूसरे क्षेत्र के अधिकारी की ड्यूटी लगाने से दोनों क्षेत्र के लोगों को दिक्कतें होती थी। इस काम के बाद लोगों को बड़ी सुविधा हुई है।
प्रश्न: इससे भ्रष्टाचार पर किस हद तक रोक लगेगी ?
उत्तर: भ्रष्टाचार एक कीड़ा है जो समाज को हर तरह से तंग करता है। हम भी जानते हैं कि तहसीलों और थानों पर भ्रष्टाचार के आरोप हमेशा लगते रहे हैं। उसी को कम करने का यह एक बड़ा कदम है। क्योंकि जितने अधिकारी अधिक संख्या में हम बनाएंगे। आम आदमी के पास अपनी चॉइस होगी कि वहां नहीं जाना और वहां जाना है।
प्रश्न: ओलावृष्टि और लगातार लंबे समय तक चली बारिश से फसलों को भारी नुकसान हुआ। स्पेशल गिरदावरी की रिपोर्ट और किसानों को दी जाने वाली राहत राशि के बारे में कुछ बताएं ?
उत्तर: हमने दोबारा रिव्यू किया था। लगभग सभी जिलों की स्पेशल गोदावरी तैयार है। आशा करते हैं कि अगले तीन-चार दिनों में यह रिपोर्ट आनी शुरू हो जाएंगी। लगभग 1 हफ्ते में सभी जिलों की रिपोर्ट आ आएंगी। क्योंकि डिविजनल कमिश्नर भी इसे चेक करते हैं। इसलिए लगभग 15 दिनों में यह काम कंप्लीट हो जाएगा।
प्रश्न: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में हरियाणा सरकार द्वारा लिया गया फैसला क्या है ?
उत्तर: को-ऑपरेटिव शुगर मिल करनाल का मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया है। उसमें उन्होंने किसानों के लिए 12000 से आकर 15000 रुपए मुआवजा किया है और बागवानी में 10000 से 12000 मुआवजा कर दिया है। जहां जहां लोग प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेते हैं वहां 2 एकड़ वाली के मालिक यत वाले किसानों का प्रीमियम अब किसान नहीं बल्कि सरकार भरेगी और 2 से 5 एकड़ के मालिक वाले किसानों को 50 फ़ीसदी प्रीमियम भरना पड़ेगा। यह एक बड़ा फैसला है। हरियाणा में एवरेज लैंडहोल्डिंग 5 एकड़ से कम है। लगभग सभी किसानों को इसका लाभ मिलेगा।
प्रश्न: पैक्स को कंप्यूटरीकृत करने के लिए भी युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है। वह किस स्टेज पर है ?
उत्तर : कंप्यूटराइजेशन का काम बहुत तेजी से किया जा रहा है। स्टेट लेवल कमेटी बनाई गई है। जिसकी अध्यक्षता खुद मै कर रहा हूं। नाबार्ड के सीजीएम, हरको बैंक के एमडी और कोऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार इसके मेंबर हैं। इसमें पहला स्टेप था कि हम कंसलटेंट लगाएं जो इस काम को बहुत तेजी से समझता हो। जो कि हमने यह लगा लिया है। अगली बैठक अगले हफ्ते रखी गई है। अगले 6 से 8 महीने में हम पूरी तरह से इसे कंप्यूटराइज कर देंगे।
प्रश्न: एथेनॉल प्रोडक्शन को लेकर सरकार की पॉलिसी क्या है ?
उत्तर: शाहबाद का एथेनॉल प्लांट का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने करनाल में रिमोट कंट्रोल से कर दिया है। बाकि जगह भी को-ऑपरेटिव शुगर मिलों का घाटा कम करने की सरकार की सोच है। हरियाणा में हम देश में सबसे अधिक गन्ने का रेट दे रहे हैं। जिससे मिलो का घाटा होना स्वाभाविक है। सरकार इस घाटे को करने की पूरी कोशिश में है। एथेनॉल की यूनिट लगभग हर शुगर मिलों में लगाने की सरकार की सोच है। शाहबाद में 60 किलो लीटर प्रतिदिन की कैपेसिटी का प्लांट चालू हो चुका है। सरकार ने 90 केएलपीडी का पानीपत में भी एथेनॉल प्लांट लगाने का फैसला किया है। इसके लिए कमेटी भी बनाई गई थी कि हरियाणा में बाकी शुगर मिलो में भी किस कैपेसिटी के प्लांट लगाए जाएं? रिपोर्ट भी सरकार के पास कमेटी ने पेश कर दी है। उसके मुताबिक 90 केएलपीडी को बहुत अच्छा प्रपोजल बताया है। लेकिन कई शुगर मिल थोड़ी छोटी है। इसलिए दो छोटी शुगर मिलों को जोड़कर 90 केएलपीडी के एथेनॉल यूनिट लगाने की रिकमेंडेशन कमेटी ने दी है। अब फैसला सरकार का होगा कि कौन-कौन से शुगर मिलों को मिलाकर यह प्लांट लगाए जाएं।