बड़ी संख्या में खिलाड़ी और साइंटिफिक कोच पैदा करेगी हमारी स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी: अनिल विज

punjabkesari.in Tuesday, Aug 10, 2021 - 05:41 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): बेहद सख्त मिजाज के अनिल विज अंतरात्मा से कितने कोमल, बेहद शांत, खुशदिल मिजाज और देश के प्रति समर्पित हैं, इसका अंदाजा हाल ही में उनके भांगड़ा को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। यह कोई शादी-विवाह का भांगड़ा नहीं था, बल्कि विज द्वारा यह देश को मिले गोल्ड मेडल की खुशी में डाला गया था। अनिल विज इस खुशी के मौके पर नीरज चोपड़ा के घर पानीपत भी पहुंचे और उन्होंने नीरज को जन्म देने वाले उसके माता-पिता के पैर छूकर उनका अभिनंदन और धन्यवाद किया। 

विज ने कहा कि हर प्रदेश को अपने बजट में खेलों के लिए बढ़ोतरी की आवश्यकता है। जिस प्रकार से हमारा हरियाणा प्रदेश खिलाडिय़ों को प्रोत्साहन राशि देता है। सभी प्रदेशों को इसी तरह से खिलाडिय़ों की हौसला अफजाई के लिए कदम उठाने चाहिए। पहले मां-बाप अपने बच्चों को कहते थे, क्यों खेलने जाते हो ? पढ़ेगा- सीखेगा बनेगा नवाब। लेकिन जब मैं प्रदेश का खेल मंत्री था और मैंने गोल्ड मेडल जीत कर आने पर प्रोत्साहन राशि 6 करोड़ की, तो आज मां बाप कहते हैं, बेटे मैदान में जाया कर। खेलेगा- कूदेगा बनेगा नवाब। यानि जब तक हम बच्चे को टारगेट नहीं देंगे। उनके भविष्य को सिक्योर नहीं करेंगे। तब तक मां-बाप उन्हें खेलों की तरफ नहीं जाने देंगे। 

विज ने बताया कि हरियाणा प्रदेश में खिलाडिय़ों को हर सुविधाएं दी जाती हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर लगातार काम हो रहा है। पूरे प्रदेश के प्लान की मैपिंग तैयार की हुई है। कहां-कहां पर क्या-क्या इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाएगा। उस पर लगातार हमारा ध्यान है, क्योंकि हरियाणा के खिलाडिय़ों में बहुत टैलेंट है और मैं दावा करता हूं कि पूरे देश के मेडल्स की भूख केवल हरियाणा ही पूरा करने में सक्षम है और उस दिशा में हम लगातार लगे हुए हैं। एक-एक गेम की तैयारी हम करवा रहे हैं, जिसके चलते यहां स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी राई में बनाई जा रही है। स्कूलों में भी हम नर्सरिया खोल रहे हैं, क्योंकि बचपन से ही अगर बच्चे को ऐसा माहौल दिया जाएगा तो वह आगे जाकर बहुत बेहतर खेल पाएंगे। 

विज ने बताया कि ज्यादा मेडल जीतकर आने वाले देशों के मॉडल मैंने स्टडी की है और मैंने पाया कि बचपन से ही वहां अच्छी ट्रेनिंग दी जाती है। खेलों की तरफ बच्चों को आकर्षित किया जाता है, उन्हें तैयार किया जाता है। अगर नर्सरिया नहीं बनेगी तो अच्छे खिलाड़ी तैयार करना मुमकिन नहीं है। मेरे खेल मंत्री रहने के दौरान मैंने 450 नर्सरिया खोली, बाकायदा उन्हें डाइट मनी दी जाती थी। कोच की तनख्वाह दी जाती थी और जिस कारण से स्कूल भी भाग-भाग कर आते थे कि हमें नर्सरी दी जाएं। हम नर्सरी चलाना चाहते हैं।

अनिल विज ने कहा कि हम आज खिलाड़ी तैयार करने के लिए विदेशों से कोच खोज कर लाने को मजबूर हैं, क्यों न यहीं ऐसी व्यवस्था तैयार की जाए कि यहीं से हमें बेहतर कोच मिल सके। हमने इसी तर्ज पर राई में यूनिवर्सिटी पर काम किया है। विधानसभा से पास हो चुकी है। कुछ अड़चनें हैं लेकिन जल्द ही वह दूर कर ली जाएंगी। अगर खिलाडिय़ों को सही दिशा और मार्गदर्शन देना है तो साइंटिफिक कोचिंग अति आवश्यक है। क्योंकि साइंटिफिक कोच उन्हें खेल के हिसाब से सही न्यूट्रिशन इत्यादि की जानकारी दे सकता है। हमने इस यूनिवर्सिटी में इस प्रकार के कोच की व्यवस्था भी की है। अगर कोच नहीं होगा तो खिलाड़ी सीखेंगे कहां से? सरकारी सिस्टम के हिसाब से सर्टिफाइड कोच ही रखा जा सकता है। इसीलिए हम यूनिवर्सिटी तैयार कर रहे हैं।यह केवल हरियाणा के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गेम्स के एक्सपर्ट तैयार करेगी।
 

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Content Writer

Shivam

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