सत्ता परिवर्तन की बात करने वाली इनेलो के हौसले रैली की भीड़ को देख पस्त हुए: सुभाष बराला
punjabkesari.in Thursday, Sep 30, 2021 - 04:46 PM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी): जींद में हुई इनेलो की रैली पर सार्वजनिक हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह रैली करने वाले और सत्ता परिवर्तन की बात करने वाले लोग खुद भली भांति जानते हैं कि रैली का स्तर क्या था, किस प्रकार की रैली हुई। इस रैली से इन लोगों को जितनी उम्मीदें थी, जितनी भीड़ की उम्मीदें यह पाले बैठे थे, यह रैली उसके आसपास भी कहीं दिखाई नहीं दी। इससे इनके हौसले पूरी तरह से पस्त हुए हैं।
बराला ने कहा कि रैली के मंच पर चौधरी बीरेंद्र सिंह की मौजूदगी से भी तरह-तरह की अफवाहें, तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन मैं इस बात को स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि यह एक सामान्य बात है। क्योंकि 19 तारीख को गुरुग्राम में चौधरी छोटूराम पर एक किताब का विमोचन के कार्यक्रम में चौ ओम प्रकाश चौटाला दीपेंद्र हुड्डा भी मौजूद थे। इसीलिए ऐसे कार्यक्रम में किसी की उपस्थिति को राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। भले ही चौधरी छोटू राम की राजनीतिक विरासत को ही बीरेंद्र डूमरखा लेकर चल रहे हैं। लेकिन सत पुरुषों, शहीदों, गुरुओं, इत्यादि महान शख्सियतों में किसी की भी आस्था और विश्वास हो सकता है।
ऐलनाबाद चुनाव पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पवन बेनीवाल पूर्व में भाजपा पार्टी के ऐलनाबाद सीट से उम्मीदवार थे। जो कि अब कांग्रेस पार्टी में शामिल हो चुके हैं। लेकिन इस तरह के लोग आते-जाते हैं। भाजपा पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। इस प्रकार आने-जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता। भाजपा का अपना एक बड़ा वोट बैंक है और गठबंधन के बाद पार्टी को और मजबूती मिली है। ऐलनाबाद में भी हमारी स्थिति काफी मजबूत है और गठबंधन में मौजूद दोनों पार्टियां मिलकर फैसला लेंगी कि कौन और किस पार्टी से वहां चुनाव मैदान में उतारा जाए।
उन्होंने 10 तारीख को विपक्ष जनता के समक्ष कार्यक्रम पर कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विधानसभा क्षेत्र करनाल से इस कार्यक्रम की शुरुआत एक सामान्य बात है। इसमें अलग से कुछ देखने की आवश्यकता नहीं है। कोई भी नेता-किसी भी पार्टी का हो, लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप कहीं से भी अपने कार्यक्रम कर सकता है। शुक्र है, सालों-साल बाद हुड्डा जनता में दिखाई देंगे। सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान और अब 2 साल गठबंधन की सरकार के दौरान हुड्डा कहीं नहीं दिखे। अब जनता के बीच जाएंगे उनका स्वागत है। मेरा-मेरी पार्टी और हमारे मुख्यमंत्री खुद चाहते हैं कि अगर कोई खामी-किसी भी स्तर पर उजागर होती है, उसे कैसे ठीक किया जाए। उसका कैसे निराकरण किया जाए, इस पर काम किया जाना चाहिए। सभी का प्रयास यही रहता है। अगर नेता प्रतिपक्ष सकारात्मक सोच के साथ रचनात्मक इस प्रकार का कोई विषय उठाते हैं, ध्यान में लाते हैं, तो यह एक अच्छी बात होगी।
इसके साथ बराला ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान इस प्रकार का वातावरण बनाया गया कि किसान की जमीन छिन जाएगी। इसी नाते से काफी स्थानों पर अवरोध दिखाई दिए। लेकिन सोशल मीडिया-मीडिया पर बड़े नेताओं द्वारा खुद कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग किए जाने की जो बातें सामने आ रही है, इससे धीरे-धीरे लोगों को समझ में आ जाएगा। केंद्र में नरेंद्र मोदी और हरियाणा में मनोहर लाल की सरकार ने किसानों के हित में जितने फैसले लिए आज तक के इतिहास में किसी ने नहीं लिए। मैं आंदोलनकारियों से निवेदन करता हूं कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी जो इनका सहयोग कर रही है, उन पर दबाव बनाएं कि कांग्रेस शासित राज्य पंजाब और राजस्थान में हरियाणा जैसी सुविधाएं किसानों को दिलवाए। जितनी फसलें हरियाणा सरकार खरीदती है या भावांतर भरपाई के तहत हम फसलों पर देते हैं, यह मांग किसान नेताओं को कांग्रेस नेताओं के सामने रखनी चाहिए। यह सब चीजें जनता देख रही है और रिजल्ट सबके सामने होगा।
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